त्वचा को निखारने के लिए आते हैं होली व धुलेंडी पर्व

अनमोल संदश, खंडवा
शीत ऋतु के समापन और ग्रीष्म ऋतु के आगमन के संधिकाल पर होलिका दहन के बाद में धुलैंडी का पर्व आता है। शीत ऋतु से त्वचा शुष्क हो जाती है, त्वचा के ऊपर मृत कोशिकाएं (कमंजी बमसस) होती है। जिसकी वजह से त्वचा से ठीक से पसीना नहीं निकल पाता है और त्वचा का तापक्रम असंतुलित हो जाता है, ग्रीष्म ऋतु में शरीर से पर्याप्त मात्रा में पसीना निकलना जरूरी है यदि शरीर से पर्याप्त मात्रा में पसीना नहीं निकलता है तो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण नही होता है।
\ब्लड प्रेशर का बढऩा, त्वचा रोग का होना, सर दर्द अथवा शरीर में एसिड का बढऩा यह सभी प्रकार की बीमारियां पसीना नहीं निकलने के कारण होती है। इसीलिए होलिका दहन के बाद में मिट्टी से बने ऊबटन के माध्यम से एक दूसरे को लगाकर त्वचा को निखारा जाता है यह बात बालाजी धाम में चल रहे हैं प्राकृतिक चिकित्सा शिविर के तीसरे दिन आचार्य सचिन ने कही।
नारायण बाहेती, सुनील जैन ने बताया कि इस अवसर पर आचार्य सचिन ,आयोजक बालाजी रूप की और से रितेश गोयल व मधुराष्टकं परमार्थिक सेवा समिति के अजय लाड़ ने कहाकि हम उसी तर्ज पर खंडवा में होली का पर्व मनाने के लिए जा रहे हैं । जिस तरह से प्राचीन काल में होली खेली जाती थी, बालाजी धाम कॉलोनी में 25 मार्च को प्रात: 8 से 9.30 बजे के बीच में यहां पर प्राकृतिक रंगों की होली का कार्यक्रम किया जा रहा है। जिसमें संपूर्ण खंडवावासी नि:शुल्क भाग ले सकते हैं। यहां पर हल्दी, चंदन, नीम का रस, चुकंदर का रस, गोपी चंदन, काली मिट्टी, मुल्तानी मिट्टी, सफेद मिट्टी से रंग बनाए जाएंगे, और उसी से धुलण्डी पर होली पर्व मनाया जाएगा। बालाजी ग्रुप के रितेश गोयल ने कहा कि मैने इस तरह की होली नवकार नगर में पिछले वर्ष परिवार सहित खेली थी। इन सुगन्धित उबटनों से होली खेलने के बाद त्वचा से हफ्ते भर तक सुगन्ध आती रहती है। नारायण बाहेती ने कहा कि मैं लांयस ,रोटरी व सभी सामाजिक संस्थाओं और वैश्य समाज व सभी समाज के सभी बन्धुओ को एक अच्छा सन्देश देने के उद्देश्य से इस पर्व को मनाने के लिए आमंत्रित करता हूं। गायत्री परिवार के बृजेश पटेल व प्रबंधक लोकेश स्वामी ने भी कहा कि सभी शिविरार्थी गायत्री परिवार व सभी धार्मिक संगठनों के सभी सदस्य एक साथ यहां होली खेलेंगे।
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