अर्सलान खान को शिष्य बनाने वाले और कोई नहीं कोच सुखविंदर सिंह बावा हैं , ये युवराज सिंह के भी गुरु हैं।

Dec 17, 2023 - 07:58
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अर्सलान खान  को शिष्य बनाने वाले और कोई नहीं  कोच सुखविंदर सिंह बावा हैं , ये युवराज सिंह के भी गुरु हैं।

युवराज सिंह का नाम हर कोई जानता है. बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने खेल से दो बार भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम रोल निभाया. भारत ने जब साल 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीता था तब युवराज सिंह को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था. युवराज के पिता खुद टीम इंडिया के लिए खेले लेकिन युवराज को बेहतरीन खिलाड़ी बनाने में उनके बचपन के कोच सुखविंदर सिंह बावा का भी बहुत बड़ा रोल रहा है. अब उन्हीं के एक और शिष्य ने कमाल का खेल दिखाया है. ये खिलाड़ी भी बाएं हाथ का बल्लेबाज है और नाम है अर्सलान खान. अर्सलान ने हाल ही में खत्म हुई विजय हजारे ट्रॉफी में कमाल की पारियां खेली. वह इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे.


अर्सलान चंडीगढ़ से खेलते हैं. उनकी टीम तो लीग स्टेज से ही बाहर हो गई थी लेकिन इस बल्लेबाज ने लीग स्टेज में ही बल्ले से वो कमाल किया कि देखने वाले देखते रह गए. इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने विजय हजारे ट्रॉफी-2023 में सात मैच खेले और 508 रन बनाए. इस दौरान उनके बल्ले से दो शतक और चार अर्धशतक निकले.



विजय हजारे ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी में धमाल मचाने से पहले इस बल्लेबाज ने अंडर-23 टूर्नामेंट में धमाल मचाया था. पांच फुट, चार इंच के इस बल्लेबाज ने 11 पारियों में 699 रन बनाए थे जिसमें पांच शतक शामिल थे. इसके अलावा दो अर्धशतक भी जमाए. इसी के दम पर उन्हें चंडीगढ़ की सीनियर टीम में जगह मिली. 2019 में अपने पहले ही फर्स्ट क्लास मैच में उन्होंने दोहरा शतक जमाया था. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ 233 रनों की पारी खेली थी. उन्होंने अंडर-19 क्रिकेट हिमाचल प्रदेश से खेली लेकिन जैसे ही चंडीगढ़ को बीसीसीआई ने मान्यता दी और फिर अर्सलान यहां आ गए क्योंकि ये उनका घर है.



अर्सलान ने स्कूल के होमवर्क से बचने के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया था. उनके बड़े भाई शाहनवाज ने उनसे पूछा कि क्या वह क्रिकेट खेलेंगे. इस पर उन्होंने हां कह दिया और फिर उनके भाई उन्हें युवराज सिंह के कोच सुखविंदर बावा के पास ले गए. उस समय सुखविंदर गुड़गांव में रहते थे लेकिन एक कार्यक्रम के सिलसिले में चंडीगढ़ में थे. उन्होंने अपना समय निकाल अर्सलान को देखा और फिर शाहनवाज से कहा कि वह अर्सलान को अपने साथ ले जा रहे हैं. पांच साल वह बावा सर के पास रहे और यहीं से उनका करियर बदल गया. ये बात अर्सलान ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में बताई थी. अर्सलान ने बताया कि शुरुआती छह महीने तो उन्हें अपने घर की काफी याद आई लेकिन बावा सर के परिवार ने उनका ख्याल रखा और अपने परिवार के सदस्य की तरह ही माना.


बावा ने इस इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने सिर्फ तीन गेंद ही अर्सलान को खेलते देखा था और इतने में ही प्रभावित हो गए थे. इसके बाद वह अर्सलान के पिता के पास गए जिनकी टेलर की दुकान है. उनके पिता को मनाने में उन्हें मशक्कत करनी पड़ी लेकिन वह मान गए. बावा को भी अर्सलान को लेकर ताने सुनने पड़े क्योंकि लोग कहते थे कि उन्होंने एक मुस्लि को अपने घर में रखा है.


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