हरि भजे सो हरि का होई जात पात पुंछे नहीं कोई: नायक

Feb 12, 2025 - 18:23
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हरि भजे सो हरि का होई जात पात पुंछे नहीं कोई: नायक

पृथ्वीपुर : म.प्र. जन अभियान परिषद एवं गैलवारा समर्पण संस्था पृथ्वीपुर द्वारा संत रविदास जयंती के अवसर संगोष्ठी का आयोजन सरस्वती शिशु मन्दिर पृथ्वीपुर में किया गया. इस कार्यक्रम में अध्यक्षता रामनरेश नायक (संस्कृत भारती), मुख्य अतिथि मदनलाल बंशकार (पूर्व सरपंच ककावनी) , विशिष्ट अतिथि अखलेश जैन, सुभाष चन्द्र त्रिपाठी, ने की. विशिष्टअतिथि श्री अखिलेश जैन ने कहा की संत रविदास प्रभु पारायण जातीयता के कट्टर विरोधी मानव समानता के कट्टर समर्थक सर्वहितकारी स्वतंत्र चिंतक और उदार संत थे आज भारत की जो प्रगति दिखाई दे रही है उसकी जे भारतीय संतों की परंपरा में है संत रविदास जी इसके अभिन्न अंग हैं। 


उनके कार्य और कार्य के परिणामों को देखकर ही समकालीन संतो ने उन्हें संत शिरोमणि की उपाधि दी थी श्री सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि काम क्रोध लोभ अहंकार और ईर्ष्या मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु हैं जो मनुष्य के चरित्र व आचरण दोनों को नष्ट भ्रष्ट कर देते हैं इसलिए इसे हमेशा दूर रहना चाहिए संत रविदास निष्काम भक्त थे उनके हृदय में कोई भी अभिलाष नहीं थी मुख्य अतिथि ने कहा कि संत रविदास का व्यक्तित्व कितना प्रभावशाली था कि उच्च वर्ण और ब्रिज जाति के विद्वान जनवरी उनका सत्कार करने लगे थेमुख्य वक्ता रामनरेश नायक ने जोइस अवसर पर संत रविदास के जीवन व उनकी शिक्षा पर प्रकाश  डाला, उन्होने बताया कि भारतीय संस्कृति मे  जात पात का कोई स्थान नहीं है. संत रविदास ने अपनी लेखनी से एक विचार समाज को दिया कि कोई भी व्यक्ति केवल जन्म के आधार पर श्रेष्ठ नहीं है संत रविदास जी एक अत्यंत विनीत राग द्बेष रहित खंडन मंडन  प्रवृत्ति से विहीन उच्च कोटि के संत विचारक और कवि थे उनकी वाणी सरल और सुबोध होती हुई भी क्रांतिकारी विचारों और उत्कट भक्ति भावना से पूर्ण थी संत रविदास की कृति रैदास रामायण के रूप में विख्यात है कार्यक्रम के अंत में संस्था के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने नशा मुक्ति की शपथ दिलाई मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश जानेमन परिषद के ब्लॉक समन्वयक श्री राजकुमार पाठक ने सभी का आभार व्यक्त किया मंच का संचालन विवेक पांडे ने किया इस अवसर पर राजीव भोडैले हेमंत नामदेव हिमांशु जैन संजीव भोडैले दिनेश गुप्ता विक्रम सिंह दांगी राजेंद्र सिंह राहुल रजक बसंत आदि उपस्थित रहे। 

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