गणपति पूजा पर प्रधानमंत्री मोदी का मेरे घर पर आना गलत नहीं : CJI चंद्रचूड़

Nov 5, 2024 - 08:45
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गणपति पूजा पर प्रधानमंत्री मोदी का मेरे घर पर आना गलत नहीं : CJI चंद्रचूड़

नई दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार 4 नवंबर को कहा कि गणपति पूजा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के उनके आधिकारिक आवास पर आने में “कुछ भी गलत नहीं” था. ऐसे मामलों पर “राजनीतिक हल्कों में परिपक्वता की “भावना” की जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के घर जाने के औचित्य और न्यायपालिका के साथ कार्यपालिका की सीमाओं पर कांग्रेस के अगुवाई में विपक्षी दलों और वकीलों के एक वर्ग ने सवाल उठाए थे. वहीं दूसरी ओर BJP ने इन सभी आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए कहा था कि ‘‘यह देश की संस्कृति का हिस्सा है.’’


CJI चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि इस बात का सम्मान किया जाना चाहिए कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संवाद मजबूत अंतर-संस्थागत तंत्र के तहत होता है. ऐसे में दोनों की शक्तियों के अलग-अलग होने का मतलब यह नहीं है कि वे एक-दूसरे से मिलेंगे नहीं.


CJI ने कहा, “शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा का यह अर्थ नहीं है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका इस भावना में एक-दूसरे से अलग हैं कि वे मिलेंगे नहीं या तर्कसंगत संवाद नहीं करेंगे. राज्यों में, मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति का मुख्यमंत्री से मिलने और मुख्यमंत्री के मुख्य न्यायाधीश से उनके आवास पर मिलने का एक प्रोटोकॉल है. इनमें से अधिकांश बैठकों में बजट, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी आदि जैसे बुनियादी मुद्दों पर चर्चा की जाती है.”


CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ ने प्रधानमंत्री के उनके आवास पर आने के बारे में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणपति पूजा के लिए मेरे घर आए. इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सामाजिक स्तर पर न्यायपालिका और कार्यपालिका से जुड़े व्यक्तियों के बीच निरंतर बैठकें होती हैं. हम राष्ट्रपति भवन में, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं. हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों से बात करते हैं. इस दौरान उन मामलों पर बात नहीं होती, जिनपर हमें फैसला लेना होता है, बल्कि सामान्य रूप से जीवन और समाज से जुड़े मामलों पर बात होती है.”


10 नवंबर 2024 को रिटायर होने जा रहे मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “इसे समझने और अपने न्यायाधीशों पर भरोसा करने के लिए राजनीतिक व्यवस्था में परिपक्वता की भावना होनी चाहिए, क्योंकि हम जो काम करते हैं उसका मूल्यांकन हमारे लिखित शब्दों से होता है. हम जो भी फैसले लेते हैं उसे गुप्त नहीं रखा जाता है और उसपर खुलकर चर्चा की जा सकती है.”

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