सीएसआईआरओ और टोरंटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का अध्ययन,जैवविविधता पर संकट बना समुद्र में 1.10 टन करोड़ प्लास्टिक

एजेंसी, जिनेवा
मानवीय लापरवाही के कारण समुद्र भी तेजी से प्रदूषित होते जा रहे हैं। एक अध्ययन में पता चला है कि समुद्र की गहराइयों में 1 करोड़ 10 लाख टन प्लास्टिक जमा है, जो न सिर्फ पर्यावरण बल्कि जैवविविधता के लिए गंभीर संकट बन चुका है। अध्ययन के अनुसार हर मिनट कचरे से भरे एक ट्रक के बराबर प्लास्टिक समुद्र में समा रहा है। कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाईजेशन (सीएसआईआरओ) और टोरंटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का अध्ययन ओशियोनोग्राफिक रिसर्च पेपर्स में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि 192 देशों से निकला करीब 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा प्रतिवर्ष महासागरों में समा रहा है। समुद्रों में पहुंचने वाला करीब 80 फीसदी कचरा जमीन पर ठोस कचरे के कुप्रबंधन से जुड़ा है। यह कचरा भूमि से जुड़े समुद्री मार्गों से पहुंच रहा है। शेष 20 फीसदी कचरे के लिए समुद्र तट के किनारे बसी हुई बस्तियां जिम्मेदार हैं।
2060 तक करीब 3 गुना बढ़ जाएगा प्लास्टिक कचरा
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की हाल ही जारी रिपोर्ट 'ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक: पालिसी सिनेरियोज टू 2060Ó से पता चला है कि हर साल पैदा होने वाला यह प्लास्टिकत कचरा 2060 तक करीब तीन गुना बढ़ जाएगा। एक मोटे अनुमान के अनुसार यह अगले 37 वर्षों में बढ़कर 101.4 करोड़ टन से ज्यादा होगा। दुनिया भर में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण के सबसे बड़े उत्सर्जक 10 देश हैं। इनमें सबसे अधिक से लेकर सबसे कम तक क्रमश: चीन, इंडोनेशिया, फिलिपीन, वियतनाम, श्रीलंका, थाईलैंड, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया और बांग्लादेश हैं।
नहीं रोका तो होगा विनाशकारी
अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता एलिस झू कहती हैं कि समुद्र तल पर मौजूद प्लास्टिक कचरे की मात्रा समुद्र की सतह पर तैरते प्लास्टिक से 100 गुना अधिक हो सकती है। यदि हम प्लास्टिक को समुद्रों में प्रवेश करने से रोक सकें तो इसकी मात्रा कम हो जाएगी। यदि इसको नहीं रोका गया तो यह पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए विनाशकारी साबित होगा।
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