घर का बुझ गया इकलौता चिराग, मौत से एक दिन पहले रात में ये सामान लाया था मासूम

Sep 24, 2024 - 14:50
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घर का बुझ गया इकलौता चिराग, मौत से एक दिन पहले रात में ये सामान लाया था मासूम

हाथरस में सहपऊ के गांव रसगवां स्थित डीएल पब्लिक स्कूल (आवासीय) के कक्षा दो के छात्र कृतार्थ की हत्या के बाद से अन्य छात्र भी सहमे हुए हैं। इस घटना की सूचना के बाद अन्य बच्चों के अभिभावक भी स्कूल पहुंच गए और अपने बच्चों को लेकर चले गए। कुछ ही देर में छात्रावास खाली हो गया। दिल दहला देने वाली इस घटना के पीछे की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। पुलिस प्रबंधक और कुछ अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही हैअभिभावकों का कहना था कि यहां बच्चों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। स्कूल प्रबंधक पर ही आरोप लग रहे हैं। उन्हें अब इस स्कूल में अपने बच्चे नहीं पढ़ाने हैं। इस स्कूल के छात्रावास में वर्तमान में 24 बच्चे रहते थे। फिलहाल छात्रावास पूरी तरह से खाली हो गया है। जो बच्चे स्कूल बस या अन्य साधनों से स्कूल आते हैं, वह स्कूल बंद होने पर लौट गए।

पिता श्रीकृष्ण ने बताया कि रविवार रात 10 बजे उनकी कृतार्थ से फोन पर बात हुई थी। इससे साफ है कि उसकी हत्या इसके बाद ही हुई है। अन्य बच्चे सो गए होंगे, तभी यह घटना हुई होगी। फिर इस मासूम की हत्या की हत्या से किसी को क्या फायदा होगा। किसी रंजिश से फिलहाल परिजन इनकार रहे हैं। शक की सुई प्रबंधक की ओर घूम रही है। जब हत्या हो गई थी तो वह क्यों परिजनों को उसके बीमार होने की सूचना देकर गुमराह करता रहा।

कृतार्थ की हत्या की सूचना पर उसके परिवार में कोहराम मच गया। इसके साथ ही पूरे गांव में शोक लहर दौड़ गई। शाम को पोस्टमार्टम होने के बाद उसका शव जैसे ही गांव पहुंचा तो परिवार में करुण-क्रंदन मच गया। गमगीन माहौल में उसका अंतिम संस्कार किया गया।

बुखार आने पर चार सितंबर को घर आया था कृतार्थ

कृतार्थ को छात्रावास में रहने के दौरान बुखार आया था। बुखार आने की सूचना पर पिता श्रीकृष्ण चार सितंबर को उसे घर ले आए थे। ठीक होने पर उसे वापस छात्रावास में छोड़ आए थे। पिता का कहना है कि हमें क्या पता था कि अब हम फिर से अपने बेटे से नहीं मिल पाएंगे। पूरा परिवार बेटे के लौटने का इंतजार कर रहा है। अब मैं उसकी मां से कैसे नजरें मिला पाऊंगा।

स्कूल प्रबंधक दो घंटे तक परिजनों को करता रहा गुमराह, पकड़े जाते ही बोला-मुझे माफ कर दो

कृतार्थ के पिता का कहना है कि स्कूल प्रबंधक दो घंटे तक उन्हें चकमा देता रहा। वह आगे-आगे गाड़ी लेकर दौड़ता रहा और हम पीछे-पीछे थे। पकड़े जाते ही बोला कि मुझे माफ कर दो।मृतक के पिता श्री कृष्ण ने बताया कि उनके पास सुबह करीब पांच बजे प्रबंधक का फोन आया और बताया कि कृतार्थ बीमार है। घर से स्कूल की दूरी महज पांच किलोमीटर की है। मैंने प्रबंधक से कहा कि मैं पांच मिनट में स्कूल पहुंच रहा हूं, लेकिन उन्होंने इंतजार नहीं किया। बेटे की तबीयत बहुत खराब है। आगरा के टेढ़ी बगिया तक वह हमें चकमा देता रहा।

21 सितंबर को फोन पे से 200 रुपये मंगाए थे

कृतार्थ ने अपने पिता श्रीकृष्ण को 21 सितंबर को फोन किया था। फोन करके कुछ सामान खरीदने के लिए 200 रुपये विद्यालय के एक शिक्षक फोन पे में मंगाए थे। पिता ने बताया कि मेरा बेटा ज्यादातर मुझसे ही कॉल करके बात करता था। मुझे ही अपनी जरूरत बताता था। मैं नोएडा में नौकरी के दौरान भी उसकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता था।घर का बुझ गया इकलौता चिराग

तुरसेन के रहने वाले श्रीकृष्ण पर एक बेटा कृतार्थ व छोटी बेटी युविका है। दोनों इसी विद्यालय में पढ़ते थे। कृतार्थ छात्रावास में रहकर कक्षा दो और युविका एलकेजी में पढ़ रही थी। कृतार्थ की मौत से घर का इकलौता चिराग बुझ गया है। इसे लेकर परिवार में हाहाकार मचा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।


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