अहमदाबाद विमान हादसे पर शंकराचार्य सदानन्द सरस्वती ने जताया शोक:बोले- दिवंगतों के लिए प्रार्थना, परिवारों के साथ संवेदना, ऐसी घटना न हो, ईश्वर से यही कामना
अहमदाबाद विमान हादसे पर शंकराचार्य सदानन्द सरस्वती ने जताया शोक:बोले- दिवंगतों के लिए प्रार्थना, परिवारों के साथ संवेदना, ऐसी घटना न हो, ईश्वर से यही कामना
अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना को लेकर पूरे देश में शोक की लहर है। नागपुर प्रवास पर रहे द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद समाचार है। उन्होंने बताया कि इस दुर्घटना में कई लोग दिवंगत हो गए, जिनमें कुछ लोग विदेश यात्रा पर थे। हादसे की खबर सुनते ही वे बेहद व्यथित हुए। शंकराचार्य ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं पूरे समाज को झकझोर देती हैं। उन्होंने दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए भगवान द्वारकाधीश से प्रार्थना की और कहा कि ईश्वर शोकसंतप्त परिवारों को यह असहनीय दुख सहने की शक्ति दे। उन्होंने यह भी कामना की कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और सभी यात्राएं सुरक्षित रहें। शंकराचार्य ने कहा कि हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि देश और समाज में शांति और सुरक्षा बनी रहे। नरसिंहपुर में है शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का आश्रम शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का नरसिंहपुर जिले से गहरा और आध्यात्मिक संबंध रहा है। वे ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और उनके उत्तराधिकारी हैं। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, जो द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य थे, उनका निधन भी नरसिंहपुर जिले में ही हुआ था। सदानंद सरस्वती ने अपने गुरु की तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम में उनके साथ रहकर वर्षों तक तपस्या और साधना की थी। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के समाधि के उपरांत, द्वारका पीठ की जिम्मेदारी शंकराचार्य सदानंद सरस्वती को सौंपी गई, जिससे उनका संबंध इस पवित्र भूमि से और भी प्रगाढ़ हो गया।
अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना को लेकर पूरे देश में शोक की लहर है। नागपुर प्रवास पर रहे द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद समाचार है। उन्होंने बताया कि इस दुर्घटना में कई लोग दिवंगत हो गए, जिनमें कुछ लोग विदेश यात्रा पर थे। हादसे की खबर सुनते ही वे बेहद व्यथित हुए। शंकराचार्य ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं पूरे समाज को झकझोर देती हैं। उन्होंने दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए भगवान द्वारकाधीश से प्रार्थना की और कहा कि ईश्वर शोकसंतप्त परिवारों को यह असहनीय दुख सहने की शक्ति दे। उन्होंने यह भी कामना की कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और सभी यात्राएं सुरक्षित रहें। शंकराचार्य ने कहा कि हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि देश और समाज में शांति और सुरक्षा बनी रहे। नरसिंहपुर में है शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का आश्रम शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का नरसिंहपुर जिले से गहरा और आध्यात्मिक संबंध रहा है। वे ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और उनके उत्तराधिकारी हैं। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, जो द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य थे, उनका निधन भी नरसिंहपुर जिले में ही हुआ था। सदानंद सरस्वती ने अपने गुरु की तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम में उनके साथ रहकर वर्षों तक तपस्या और साधना की थी। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के समाधि के उपरांत, द्वारका पीठ की जिम्मेदारी शंकराचार्य सदानंद सरस्वती को सौंपी गई, जिससे उनका संबंध इस पवित्र भूमि से और भी प्रगाढ़ हो गया।