4 जिलों की 95 झंडा मंडलियों का मोहना में मिलन:खेड़ापति हनुमान मंदिर में रात भर चले भजन-कीर्तन, 3 हजार से ज्यादा भक्तों ने लिया प्रसाद

शाजापुर जिले के मोहना स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर में श्री हनुमान झंडा मंडली द्वारा झंडा सम्मेलन का आयोजन हुआ। आगर, शाजापुर, उज्जैन और राजगढ़ जिले की मंडलियों ने इसमें भाग लिया। कार्यक्रम शुक्रवार शाम 6 बजे से शनिवार सुबह 4 बजे तक चला। मंदिर परिसर में फूलों से सजाए गए विशेष मंच पर सभी मंडलियों ने भजनों की प्रस्तुतियां दीं। श्रीराम के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। खेड़ापति हनुमान, सोमेश्वर महादेव, मंगलेश्वर महादेव और बाल हनुमान का श्रृंगार कर महाआरती की गई। मंडलियों ने कई प्रसिद्ध भजन प्रस्तुत किए। इनमें तुलसीदास जी का 'श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन' और 'लाल देह लाली लसे' शामिल थे। 'राम नाम का महत्व', 'संकट मोचन नाम तिहारो' और 'राम नाम का मनका फेर' जैसे पारंपरिक भजन भी गाए गए। नगरवासियों ने पुष्पवर्षा से मंडलियों का स्वागत किया। मंडलियों को राधा रानी की छाया प्रति देकर सम्मानित किया गया। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया गया। मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 3000 लोगों के लिए दाल-बाटी और लड्डू का प्रसाद बनाया गया।

4 जिलों की 95 झंडा मंडलियों का मोहना में मिलन:खेड़ापति हनुमान मंदिर में रात भर चले भजन-कीर्तन, 3 हजार से ज्यादा भक्तों ने लिया प्रसाद
शाजापुर जिले के मोहना स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर में श्री हनुमान झंडा मंडली द्वारा झंडा सम्मेलन का आयोजन हुआ। आगर, शाजापुर, उज्जैन और राजगढ़ जिले की मंडलियों ने इसमें भाग लिया। कार्यक्रम शुक्रवार शाम 6 बजे से शनिवार सुबह 4 बजे तक चला। मंदिर परिसर में फूलों से सजाए गए विशेष मंच पर सभी मंडलियों ने भजनों की प्रस्तुतियां दीं। श्रीराम के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। खेड़ापति हनुमान, सोमेश्वर महादेव, मंगलेश्वर महादेव और बाल हनुमान का श्रृंगार कर महाआरती की गई। मंडलियों ने कई प्रसिद्ध भजन प्रस्तुत किए। इनमें तुलसीदास जी का 'श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन' और 'लाल देह लाली लसे' शामिल थे। 'राम नाम का महत्व', 'संकट मोचन नाम तिहारो' और 'राम नाम का मनका फेर' जैसे पारंपरिक भजन भी गाए गए। नगरवासियों ने पुष्पवर्षा से मंडलियों का स्वागत किया। मंडलियों को राधा रानी की छाया प्रति देकर सम्मानित किया गया। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया गया। मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 3000 लोगों के लिए दाल-बाटी और लड्डू का प्रसाद बनाया गया।