सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए अधिकारियों के इस्तेमाल पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

Dec 4, 2023 - 12:38
 0  1
सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए अधिकारियों के इस्तेमाल पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को पिछले नौ वर्षों में सत्तारूढ़ सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए रक्षा अधिकारियों और सिविल सेवकों की तैनाती को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।राजनीतिक प्रचार का आरोप लगाते हुए, पूर्व सिविल सेवक ईएएस सरमा और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अध्यक्ष जगदीप एस छोकर द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में इस तरह के प्रचार प्रसार पर सवाल उठाया गया है।


याचिकाकर्ताओं का केस वकील प्रशांत भूषण लड़ रहे हैं। याचिका में रक्षा मंत्रालय की उपलब्धियों को उजागर करने के लिए 'सेल्फी प्वाइंट' पर रक्षा अधिकारियों को तैनात करने वाले रक्षा लेखा महानियंत्रक के आदेश का विरोध किया गया है।


इसके अलावा, इसमें केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी ज्ञापन को चुनौती दी गई है जिसमें पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों को 'जिला रथ प्रभारी' के रूप में तैनात करने का निर्देश दिया गया है।


याचिकाकर्ताओं ने केंद्र या राज्य में किसी भी राजनीतिक दल को सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाने वाले अभियानों या प्रचार के लिए लोक सेवकों का उपयोग करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की है।


सोमवार को सुनवाई के दौरान, भूषण ने तर्क दिया कि राजनीतिक प्रचार के लिए रक्षा अधिकारियों और सिविल सेवकों का उपयोग सरकारी कर्मचारियों के आचरण को नियंत्रित करने वाले नियमों का उल्लंघन है।


अदालत ने कहा कि जागरुकता के लिए ऐसा करना ठीक है लेकिन आदर्श आचार संहिता के दौरान इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।


पीठ ने टिप्पणी की कि लोकप्रिय योजनाओं के बारे में जानकारी प्रसारित करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हो सकता, और कहा कि याचिका में एक व्यापक मुद्दा उठाया गया है और प्रचार के लिए नेताओं की तस्वीरों के नियमित उपयोग का उल्लेख किया गया है।


अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह धारणा कि भारत सरकार एक राजनीतिक दल है, निराधार है। उन्होंने विस्तृत निर्देश प्रदान करने का वादा करते हुए सरकार और राजनीतिक दलों के बीच अंतर पर जोर दिया।


मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी को होनी है।

Files

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow