बांग्लादेश की सत्ता से शेख़ हसीना का बेदख़ल होना क्या पाकिस्तान के हक़ में है?

बीते दिनों ऐसे कई वाक़ये रहे, जिसमें बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार समेत अहम पक्षों ने पाकिस्तान और चीन से रिश्ते मज़बूत करने के संकेत दिए हैं.
एक महीने पहले तक जो बांग्लादेश भारत के क़रीब था, वो अब चीन और पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की वकालत कर रहा है.बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैय्यद अहमद ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मंत्री नाहिद इस्लाम से एक सितंबर को मुलाक़ात की थी.नाहिद इस्लाम ने इस मुलाक़ात में पाकिस्तान के साथ 1971 का मसला सुलझाने की बात की. दोनों देशों के बीच बीते सालों में 1971 की लड़ाई एक अहम मुद्दा रही है.
इससे पहले 30 अगस्त को पाकिस्तानी पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से बात की थी.
चीन की पहल
1971 में पूर्वी पाकिस्तान जंग के बाद पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था. बांग्लादेश के बनने में भारत की अहम भूमिका थी.मगर अब बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार चीन की ओर क़दम बढ़ाती दिख रही है.कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटाई गई थी. जमात-ए-इस्लामी पर शेख़ हसीना सरकार ने 2013 में पाबंदी लगाई थी.जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी है. इस पार्टी का छात्र संगठन काफ़ी मज़बूत है.जिस आंदोलन के बाद शेख़ हसीना की सत्ता गई, उसमें इस संगठन के छात्रों की भूमिका अहम रही है.
इस पर देश में हिंसा और चरमपंथ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं.भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जमात पर बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी दंगे भड़काने का भी आरोप लगा था. जमात-ए-इस्लामी की छवि भारत विरोधी मानी जाती है.
जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफ़ीक़-उर रहमान ने बीते दिनों कहा था- भारत ने अतीत में कुछ ऐसे काम किए हैं जो बांग्लादेश के लोगों को पसंद नहीं आए.शफ़ीक़-उर रहमान ने बांग्लादेश में हाल ही में आई बाढ़ के लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहराया था.
रहमान ने कहा था, बांग्लादेश को अतीत का बोझ पीछे छोड़कर अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ मज़बूत और संतुलित संबंध बनाए रखना चाहिए.शेख़ हसीना का हटना चीन के लिए मौक़ा?
ऐसे में पाबंदी हटने के बाद जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से चीनी राजदूत ने मुलाक़ात की.चीनी राजदूत याओ वेन ने कहा, ''चीन बांग्लादेश के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहता है. चीन बांग्लादेश और बांग्लादेशियों का समर्थक है.''
शेख़ हसीना सरकार में बांग्लादेश का झुकाव चीन से ज़्यादा भारत की तरफ़ रहा.
जुलाई महीने में शेख़ हसीना अपना चीन दौरा बीच में छोड़कर बांग्लादेश लौट आई थीं.
- इसके बाद शेख़ हसीना ने कहा था, ''तीस्ता परियोजना में भारत और चीन दोनों की दिलचस्पी थी लेकिन वह चाहती हैं कि इस परियोजना को भारत पूरा करे.''ज़ाहिर है कि ये बात चीन को रास नहीं आई होगी.कहा जा रहा है कि शेख़ हसीना का सत्ता से बाहर होना चीन और पाकिस्तान के लिए मौक़े की तरह है.चीनी राजदूत और जमात नेताओं के प्रमुख की मुलाक़ात को भी इसी रूप में देखा जा रहा है.
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