ओडिशा: पुलिस थाने में सेना अधिकारी और उनकी मंगेतर के उत्पीड़न का आरोप, क्या है पूरा मामला?

भुवनेश्वर के एक थाने में भारतीय सेना के एक अधिकारी और उनकी मंगेतर के साथ पुलिस की कथित मारपीट और ज़्यादती के मामले में 20 सितंबर को मामला दर्ज किया गया है. ये घटना 14 सितंबर को हुई थी.
चेतावनी: इस कहानी में कुछ ऐसे विवरण हैं जो पाठकों को परेशान कर सकते हैं.
ओडिशा पुलिस के क्राइम ब्रांच ने भरतपुर थाने के पांच पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ ये मामला दर्ज किया है. हालांकि, पुलिस ने आरोपों को ख़ारिज किया है और अपनी तरफ़ से घटना का अलग विवरण पेश किया है.
नामज़द पांचों अभियुक्त पुलिसकर्मी थाना प्रभारी दीनकृष्ण मिश्र, सब इंस्पेक्टर वैशालिनी पंडा, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआई) शैलमयी साहू, सागरिका रथ और कांस्टेबल बलराम हांसदा पहले से ही निलंबित किए जा चुके हैं.इस मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है. राज्य में विपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शुक्रवार को मामले की न्यायिक जांच की मांग की जबकि कांग्रेस ने भी इस मामले में मोहन माझी सरकार को आड़े हाथों लिया है.वहीं इस मामले पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने आश्वासन दिया है कि किसी भी दोषी के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई होगी.
आरोप क्या हैं?
14 सितंबर को देर रात (रविवार तड़के) ये अधिकारी और उनकी मंगेतर भरतपुर थाने में एक रिपोर्ट दर्ज कराने आए थे. उनका आरोप था कि कुछ लड़कों ने उनके साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी की है.इस मामले में पुलिस पर ये आरोप लगाया गया है कि शिकायत दर्ज करने की बजाय पुलिसकर्मियों ने सेना अधिकारी और उनकी मंगेतर की मदद करने की बजाए उनके साथ बेरहमी से मारपीट की और महिला के साथ यौन हिंसा की.
इस मामले में महिला ने जो ब्यौरा दिया है वो काफ़ी वीभत्स है.
19 सितंबर को अपनी बात पहली बार मीडिया के सामने रखते हुए महिला ने ये भी कहा कि थाने में उन्हें न केवल मारा पीटा गया, बल्कि उनके साथ यौन हिंसा भी हुई.
ये भी आरोप है कि उनको हवालात में बंद भी किया गया और अधिकारी की मंगेतर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.वहीं पुलिस का आरोप है कि जब अधिकारी और उनकी मंगेतर भरतपुर थाने में आए थे, तब दोनों नशे में धुत थे, थाने में उन्होंने हुड़दंग मचाया और वहां मौजूद अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया.इस मामले में सेना के उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप के 10 घंटे के बाद अधिकारी को छोड़ दिया गया. लेकिन उनकी मंगेतर को पुलिस ने अपनी हिरासत में रखा और फिर उन्हें एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां उनकी ज़मानत की अर्ज़ी ख़ारिज हो गई.ओडिशा हाई कोर्ट ने 18 सितंबर को निचले कोर्ट के फ़ैसले पर फटकार लगाते हुए उनकी तत्काल ज़मानत मंज़ूर की और भुवनेश्वर के एम्स में उनके इलाज कराए जाने के आदेश दिए.
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