ज़हरीले सांपों की वजह से बिहार में क्यों बढ़ रही हैं मौतें, बचाव के सरकारी उपाय कितने कारगर

सुबह के साढ़े छह बजे थे. 19 साल के गुलशन तख़्त पर अपने दादा के पास ही घर में सो रहे थे.तभी उनको अपने दाएं पैर की उंगलियों के नीचे तेज़ चुभन महसूस हुई.गुलशन तेज़ दर्द से कराह कर उठ बैठे. उन्होंने अपने दादा डोमिन मंडल को बताया कि शायद उन्हें सांप ने काटा है.
डोमिन मंडल उस दिन को याद कर कहते हैं, ''हम लोग पास में ही रहने वाले ओझा को फ़ौरन बुला लाए. इस बीच उसके पापा नाव लाने चले गए. ओझा आया. उसने गुलशन को जांचा और हमें बताया कि इसे छछूंदर ने काटा है. लेकिन बच्चे की हालत तो बिगड़ती ही जा रही थी.''ये घटना बिहार के सुपौल ज़िले के बेलागोट गांव की है
25 जुलाई को ये घटना हुई लेकिन गुलशन की मां अनीता देवी आज भी उस दिन को याद करती हैं तो लगातार रोने लगती हैं.
इसके बाद घर में सांप की तलाश शुरू हुई. वो एक ड्रम के पीछे छिपा था. उसे जाल डालकर पकड़ लिया गया. वो बेहद ज़हरीला कोबरा सांप था.
जब ये घटना घटी तो कोसी नदी में पानी का स्तर बहुत बढ़ा हुआ था. गुलशन को सुपौल ले जाने के लिए बस नाव का ही सहारा था.बारिश और बाढ़ की वजह से ये गांव सड़क मार्ग से कट जाता है. ढाई घंटे के इंतज़ार के बाद नाव की व्यवस्था हो पाई लेकिन तब तक कोबरा के ज़हर से गुलशन की हालत बिगड़ने लगी थी.अनीता देवी कहती हैं, ''नाव से सुपौल पहुंचने में उसे तीन घंटे और लग गए. वो तब तक बुदबुदा रहा था. सुपौल के सदर अस्पताल में उसकी हालत ठीक नहीं हुई तो मधेपुरा रेफ़र कर दिया गया लेकिन चार बजे उसकी मौत हो गई.''गुलशन के मरने की सूचना मिलने के बाद घरवालों ने घर में पकड़े गए सांप को भी मार डाला. बाद में गुलशन और मरे हुए सांप दोनों को कोसी नदी में बहा दिया गया.
ऐसी मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है
गुलशन जैसे ही कई और लोग हर साल ज़हरीले सांपों के काटने से अपनी जान गंवा देते हैं. और बारिश के मौसम में बिहार के ग्रामीण इलाकों में इस समस्या ने एक गंभीर रूप अख़्तियार कर लिया है.अंधविश्वास, मेडिकल सुविधाओं की कमी और आवागमन की बेहतर सुविधाएं ना होने की वजह से सांपों के काटने की वजह से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
बेलागोट ‘बिहार का शोक’ कही जाने वाली कोसी नदी से चारों तरफ से घिरा हुआ एक गांव है.
यहां आने-जाने का एकमात्र साधन नाव है. कोसी पार करने के बाद भी जो सड़क मिलती है, वो सबसे नज़दीकी सुपौल सदर अस्पताल जाने के रास्ते में तीन जगह कट गई है.
इस वजह से गुलशन को सुपौल ले जाने में जो देरी हुई वो उसके लिए जानलेवा साबित हुई.गुलशन के घर से क़रीब 300 किलोमीटर दूर भोजपुर ज़िले के बिहिया के सदासी टोला में रहने वाली 55 साल की पुनीता देवी को भी 23 अगस्त को घर में झाड़ू लगाते वक़्त एक ज़हरीले सांप ने काट लिया.उनके घर से सांप निकालने पहुंचे स्नेक रेस्क्युअर नवनीत कुमार राय बीबीसी को बताते हैं, ''उनके घर से 25 किलोमीटर दूर सदर अस्पताल है लेकिन ये लोग इलाज के लिए नहीं गए. ये लोग उन्हें 50 किलोमीटर दूर कंजिया धाम नाम की एक धार्मिक जगह लेकर गए. जहां के बारे में मान्यता है कि सांप काटे व्यक्ति को वहां सुला देने से वो ठीक हो जाता है. जब कई घंटे महिला नहीं जगी तो ये लोग डॉक्टर के पास ले गए. तब तक वो मर चुकी थीं.”
'स्नेक बाइट कैपिटल'
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक़, हर साल सांपों के काटने से दुनिया भर में 80 हज़ार से एक लाख 30 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है.इनमें से हर साल भारत में औसतन 58 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है. इस वजह से भारत को दुनिया की ‘स्नेकबाइट कैपिटल ऑफ़ द वर्ल्ड’ का दुर्भाग्यपूर्ण टैग मिला है.
बिहार राज्य के हेल्थ मैनेजमेंट इनफ़ॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) से मिले आंकड़ों के मुताबिक़, अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच राज्य में 934 मौतें सांपों के काटने की वजह से हुईं.
इसी दौरान सांपों के काटने के कारण सरकारी अस्पतालों में 17,859 मरीज़ इलाज के लिए आए.
लेकिन केंद्र सरकार की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक़, देशभर में सांप के काटने से होने वाली मौतों का आंकड़ा 'अंडर रिपोर्टेड' है.
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