31 मार्च 2023 को सिंधी महाकुंभ में की गईं थीं घोषणाएं, सिंधी समाज को एक साल पहले किए वादों के पूरा होने का इंतजार

31 मार्च 2023 को सिंधी महाकुंभ में की गईं थीं घोषणाएं, सिंधी समाज को एक साल पहले किए वादों के पूरा होने का इंतजार

अनमोल संदेश, संतनगर

सिंधी समाज की समस्याओं और उत्थान को लेकर न जाने कितनी बार घोषणाएं हुईं। भाजपा सरकार के लंबे कार्यकाल में सिंधियों से तमाम वादे तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किए। भोपाल में 31 मार्च 2023 को सिंधियों के महाकुंभ में सिंधी समाज की समस्याओं के निराकरण एवं उत्थान की कई घोषणाएं की गई थीं, जिन पर एक साल बाद भी अमल नहीं हो सका है।

बता दें कि सिंधी महाकुंभ में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, सिंधियों के एकमात्र महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम महाराज की मौजूदगी में सिंधी समाज से जुड़ी कई घोषणाएं की गई थीं।  उस वक्त के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश के सिंधी विस्थापित परिवारों को उनकी प्रापर्टी का मालिकाना हक देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि इसके आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, सिंधी समाज का आरोप है कि इस मामले में अधिकारियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को गुमराह किया और 

भू-धारणा अधिकार नियम पर हस्ताक्षर करवा लिए। इस नियम में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की बात है, उन्हें मालिकाना हक मिलेगा। जबकि, सिंधी विस्थापितों के पास जो प्रॉपर्टी है, वह क्लैम में भारत सरकार के पुर्नवास विभाग की तरफ से मिली थी, न कि अतिक्रमण से।

ये घोषणाएं अटकीं

सिंधी बाहुल्य संत हिरदाराम नगर में खेल मैदान पर शहीद हेमू कालाणी की आदमकद प्रतिमा तो लग गई, लेकिन जबलपुर एवं इंदौर में लगाने की घोषणा पूरी नहीं हुई है। सिंधी महापुरुषों की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात भी की थी, लेकिन घोषणा पर कोई प्रगति नहीं हुई।

दशकों से वादों के भरोसे समाज

समाज की सबसे बड़ी अपेक्षा पट्टों को लेकर मामला प्रक्रिया में उलझा हुआ है। दशकों से वादों के भरोसे समाज को रखा गया है। चुनाव होने के बाद पट्टा समस्या को निराकरण होगा, ऐसी उम्मीद करते हैं।

- माधु चांदवानी, महासचिव

पूज्य सिंधी पंचायत

न बढ़ा बजट 

न ही अनुदान

अब समाज को मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उम्मीद है। अपनी पार्टी की पुरानी सरकार की घोषणाओं को अमली जामा पहनाएंगे।  मप्र सिंधी साहित्य अकादमी का बजट 5 करोड़ सालाना किए जाने की घोषणा पूरी होगी। 2019 तक अकादमी का बजट 1.80 करोड़ था, उसे भी बढ़ाने के बजाए घटाकर केवल 30 लाख कर दिया गया

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