मंडे मेगा स्टोरी- चुराए ब्लूप्रिंट्स से परमाणु शक्ति बना पाकिस्तान:घास खाकर भी परमाणु बम बनाने की जिद; भारत के 15 दिन बाद ही टेस्ट
एक स्कूल मास्टर का बेटा, जो भारत के भोपाल में पैदा हुआ, विदेशों से डॉक्यूमेंट्स और ब्लूप्रिंट्स चुराए और पाकिस्तान जाकर उनका न्यूक्लियर हीरो बन गया। ए. क्यू. खान ने सिर्फ पाकिस्तान को एटमी ताकत नहीं बनाया, बल्कि ब्लैक मार्केट के जरिए दुनिया को भी खतरे में डाल अरबों रुपए कमाए। बात-बात पर परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान ने आखिर परमाणु बम बनाया कैसे? साइंस, जासूसी, चोरी और साजिश की ये रोमांचक दास्तां, जानेंगे मंडे मेगा स्टोरी में... अब आखिर में 2 अहम सवालों के जवाब… सवाल-1: भारत और पाकिस्तान की न्यूक्लियर पॉलिसी में क्या फर्क है? जवाबः दोनों देशों की न्यूक्लियर पॉलिसी काफी अलग है... भारत की पॉलिसी- No First Use पाकिस्तान की पॉलिसी- हमेशा अलर्ट मोड पाकिस्तान से ज्यादा कारगर हथियार भारत के पास सवाल-2: क्या पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को कंट्रोल करने की जरूरत है? जवाबः 15 मई 2025 को श्रीनगर की बादामी बाग छावनी में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को गैर-जिम्मेदार और रोग नेशन बताते हुए कहा, पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे गैर-जिम्मेदार पाकिस्तान ने अनेक बार भारत को न्यूक्लियर अटैक की धमकी दी? मैं मानता हूं कि पाकिस्तान के एटमी हथियारों को इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी यानी IAEA की निगरानी में लिया जाना चाहिए। IAEA केवल उन देशों की न्यूक्लियर एक्टिविटी की निगरानी कर सकता है, जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि यानी NPT पर दस्तखत किए हैं और पाकिस्तान ने NPT पर साइन नहीं किए हैं। वहीं IAEA केवल असैन्य परमाणु सुविधाओं पर नजर रखता है और न्यूक्लियर वेपन्स की निगरानी और नियंत्रण भी नहीं करता। कुल मिलाकर पाकिस्तान की मंजूरी बिना IAEA कुछ नहीं कर सकता। अमेरिकी थिंकटैंक कार्नेगी में न्यूक्लियर पॉलिसी के सीनियर फेलो जॉर्ज पर्कोविच के मुताबिक, 'साउथ एशिया में जब कभी तनाव बढ़ता है, तो पाकिस्तान न्यूक्लियर अटैक की बात करता है। भारत घुसपैठ, आतंकवाद और हमलों का जवाब देने के लिए अगर सैन्य कार्रवाई से जितना नुकसान पहुंचाएगा, उतनी ही संभावना है कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का सहारा ले और टकराव विनाश की ओर बढ़े।' अमेरिकी थिंकटैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोजेक्ट ऑन न्यूक्लियर इश्यू की रिसर्च एसोसिएट दीया अष्टकला के मुताबिक, ‘अमेरिका ने खतरा महसूस करते हुए पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर कई बार प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका को पाकिस्तान के साथ अपने समीकरण और परमाणु खतरे पर नजर रखने की जरूरत है। ऐसे में अमेरिका को पाकिस्तान के रुख की जांच करनी चाहिए और भारत के साथ साझेदारी बढ़ानी चाहिए।' अमेरिकी थिंकटैंक ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट में फॉरेन पॉलिसी के सीनियर फेलो मार्विन काल्ब के मुताबिक, 'पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपतियों को यह डर सताता रहा है कि परमाणु हथियारों का भंडार गलत हाथों में पड़ जाएगा। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों से पता चलता है कि पाकिस्तानी नेता अक्सर आतंकवादियों के साथ मिलकर साझा लक्ष्य हासिल करने के लिए काम करते रहे हैं। ऐसे में अगर आतंकियों के हाथ में ये चले गए तब तो विनाश हो जाएगा।' **** ग्राफिक: अंकुर बंसल और अजीत सिंह ------ न्यूक्लियर वेपन से जुड़ी ये भी खबर पढ़िए... ‘130 परमाणु हथियारों का निशाना भारत': पाकिस्तान फौरन न्यूक्लियर अटैक की धमकी क्यों देने लगता है, भारत कैसे निपटेगा जब कभी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है तो पाकिस्तानी नेता भारत को न्यूक्लियर अटैक की धमकी देने लगते हैं। उसकी न्यूक्लियर पॉलिसी भी इस बात की तस्दीक करती है। जबकि भारत इस मामले में अलग रुख अख्तियार करता है। पूरी खबर पढ़ें...

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