मोदी पर छह साल बैन याचिका खारिज

Apr 30, 2024 - 11:45
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मोदी पर छह साल बैन याचिका खारिज

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कई मामलों पर सुनवाई की गई। इसमें याचिकाएं भी आईं जिन्हें समय देकर पीएम मोदी पर छह साल बैन लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने इंकार किया और एक नास्तिक की सुनवाई व संदेशखाली पर आगे की तारीख दी गई है। वहीं सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट के नाबालिग के ऑपरेशन के फैसले को पलट दिया है। 

एजेंसी, नई दिल्ली

दिल्ली हाईकोर्ट ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का हवाला देकर पीएम नरेंद्र मोदी को छह साल चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित करने की मांग याचिका खारिज कर दी है। 

याचिकाकर्ता ने पीएम पर यूपी की चुनावी सभा में आचार संहिता का उल्लंघन का आरोप लगाया था। वकील आनंद एस जोंधले द्वारा दायर याचिका में पीएम को छह साल की  चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित करने की मांग पर न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने माना कि उल्लंघन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट शिकायत पर विशेष दृष्टिकोण अपनाने चुनाव आयोग को निर्देश नहीं कर सकता। आयोग इस पर स्वतंत्र विचार कर सकता है। 


चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील सिद्धांत कुमार द्वारा दी गई दलील में कहा गया है कि शिकायत का संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी और इस संबंध में जरूरी आदेश पारित किए जाएंगे।

आनंद ने अपनी याचिका में कहा था कि पीएम मोदी ने 6 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलभीत में एक चुनावी रैली के दौरान हिंदू देवताओं और सिख गुरुओं का जिक्र किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने पीलभीत से भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद के समर्थन में रैली के दौरान कहा था, 'उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार करके राम लला का अपमान किया। समारोह में शामिल होने वाले उनकी पार्टी के लोगों को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया। इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों ने हमेशा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से नफरत की है। उन्होंने आगे कहा था कि इंडिया गुट ने शक्ति को नष्ट करने का फैसला किया है। पीएम मोदी ने राहुल गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा था, जिस शक्ति की पूजा आज पूरे देश में हो रही है, उसका कांग्रेस ने अपमान किया है। कोई भी शक्ति का उपासक कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगा। दरअसल, भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के मौके पर 17 मार्च 2024 को मुंबई के शिवाजी पार्क में कांग्रेस ने रैली का आयोजन किया था। इस रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'हिंदू धर्म में शक्ति शब्द होता है। हम शक्ति (क्चछ्वक्क) से लड़ रहे हैं, एक शक्ति से लड़ रहे हैं। अब सवाल उठता है, वो शक्ति क्या है? जैसे किसी ने यहां कहा- राजा की आत्मा ईवीएम में है। सही है, सही है। राजा की आत्मा ईवीएम में है। हिंदुस्तान की हर संस्था में है। ईडी में है, सीबीआई में है, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में है। 

आयोग को आदेश नहीं दे सकते: सुप्रीम कोर्ट 

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में क्या तर्क दिया था?

एडवोकेट आनंद एस जोंधले ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीलीभीत में एक जनसभा के दौरान अपने भाषण में कहा कि उन्होंने राम मंदिर का निर्माण करवाया। पीएम ने यह भी दावा किया कि उन्होंने करतारपुर साहिब कॉरिडोर का विकास करवाया और लंगर में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों पर से जीएसटी हटवाया। प्रधानमंत्री ने ग्ररुग्रंथ साहिब को अफगानिस्तान से सुरक्षित भारत ले आने की बात भी अपने भाषण में कही। पीएम ने नियम सामान्य आचरण-के तहत दिए गए निर्देशों के खंड आदर्श आचार संहिता का उल्लंंघन किया है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से पीलीभीत में अपने भाषण के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है और इस तरह भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत अपराध किया है। इस आधार पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अयोग्यता का प्रावधान है। आनंद एस जोंधाले ने हाई कोर्ट से ईसीआई को पीएम मोदी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत एफआईआर दर्ज करने और उन्हें तत्काल प्रभाव से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के नियमों का उल्लंघन करने कारण 6 साल के लिए चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित करने का आदेश देने की मांग की थी।

संदेशखाली केस पर जुलाई में सुनवाई होगी

लकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद मामले को जुलाई के लिए लिस्ट कर दिया। 


हालांकि, जस्टिस बीआर गंवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सवाल किया कि निजी लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार ने याचिका क्यों लगाई है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली केस सीबीआई को सौंपा था। हाईकोर्ट ने 2 मई को सुनवाई तय की थी, लेकिन इसके पहले ही ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। संदेशखाली की महिलाओं ने ञ्जरूष्ट नेताओं पर यौन उत्पी?न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। मामले के तीन मुख्य आरोपी शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार 13 मई तक कस्टडी में हैं।

कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद ष्टक्चढ्ढ ने संदेशखली में जमीन हड़पने और महिलाओं के खिलाफ अपराध (यौन शोषण) से केस में पहली स्नढ्ढक्र दर्ज की है। इसमें 5 मुख्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। हालांकि, ये आरोपी कौन हैं, ये सामने नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि ये प्रभावशाली लोग हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार ष्टक्चढ्ढ जांच पर रोक नहीं लगा सकती है। दरअसल, राज्य से जु?े किसी भी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ष्टक्चढ्ढ की इन्क्वायरी के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए ष्टक्चढ्ढ को दी गई 'सामान्य सहमति' वापस ले ली थी। उस समय चिटफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।


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