धोखे से रूसी सेना के साथ जंग में धकेले गए भारतीयों की आपबीती

Sep 16, 2024 - 16:53
 0  0
धोखे से रूसी सेना के साथ जंग में धकेले गए भारतीयों की आपबीती

भारत लौट कर मुझे खुशी महसूस हो रही है. रूस में बिताए उन दिनों की बात सोचकर मुझे रोना आ जाता है."

ये कहना है मोहम्मद सूफ़ीयान का जो शुक्रवार, 13 सितंबर 2024 को हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे. उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे. रो-रोकर उनकी आंखें सूज गई हैं.

वो कहते हैं, "मैं ईश्वर का शुक्रगुज़ार हूं कि उन्होंने मुझे मौक़ा दिया कि मैं एक बार फिर अपने परिवार से मिल सका. मुझे लगता है ये मेरा दूसरा जन्म है."

मोहम्मद सूफ़ीयान तेलंगाना के नारायणपेट ज़िले में मुख्य शहर के रहने वाले हैं. वो कहते हैं कि नौकरी देने वाले एजेंट ने उन्हें झांसा दिया जिस कारण वो रूस-यूक्रेन जंग के मैदान तक पहुंच गए. उन्होंने यहां आठ महीने बिताए और जिसके बाद अब वो भारत वापिस आ गए हैं. मोहम्मद सूफ़ीयान हवाई अड्डे पहुंचे पर अपने परिजनों को देखकर भावुक हो गए, ये लोग रूस से उनकी सुरक्षित वापसी पर उन्हें रिसीव करने के लिए वहां पहुंचे थे. बीते दिनों छह भारतीय नागरिक रूस से वापस भारत लौटे हैं, इनमें सूफ़ीयान भी एक हैं. भारत वापस आए लोगों में तीन कर्नाटक के कलबुर्गी (पहले गुलबर्गा) से एक कश्मीर से और एक पंजाब से हैं.

कैसे पहुँचे रूस और फिर जंग में?

24 साल के सूफ़ीयान बीते साल दिसंबर में काम के लिए रूस पहुंचे थे. इससे पहले वे दुबई में एक कपड़े की दुकान में काम करते थे. दुबई में काम करते हुए उन्होंने यूट्यूब चैनल पर एक विज्ञापन देखा जिसमें रूस में 'हेल्पर' के काम के लिए लोगों से आवेदन करने की अपील की गई थी.

लिए संपर्क करने के लिए मोबाइल फोन नंबर साझा करते थे.

ऐसे ही एक विज्ञापन को देखकर मोहम्मद सूफ़ीयान को रूस जाने की इच्छा हुई. वो काम से 15 दिनों की छुट्टी लेकर दुबई से भारत लौटे. भारत में फ़ैसल ख़ान के लिए काम करने वाले एजेंट युवाओं से वादा करते थे कि रूस में उन्हें सिक्योरिटी और हेल्पर के काम में लगाया जाएगा. भारत में काम करने वाले ये एजेंट मुंबई से काम रहे थे, वहीं कुछ एजेंट रूस से काम कर रहे थे.

इस तरह भारत, रूस और संयुक्त अरब अमीरात में कुल मिलाकर चार सब-एजेंट थे जिनके साथ मिलकर फ़ैसल ख़ान काम करता था. मोहम्मद सूफ़ीयान ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने फ़ैसल ख़ान से उनके दिए नंबर पर संपर्क किया और कहा कि अभी के मुक़ाबले थोड़ा अधिक पैसा मिलने पर वो रूस में काम करने के लिए तैयार हैं.

उन्होने बताया, "उन्होंने मुझे बताया था कि रूस में सुरक्षा विभागों में नौकरियां उपलब्ध थीं. मुझे ये नहीं बताया गया था कि मुझे रूसी सेना के साथ काम करना है या फिर मुझे रूस-यूक्रेन जंग में फ्रंटलाइन पर भेज दिया जाएगा."

"इन एजेंटों ने मुझे बताया था कि पहले मुझे तीन महीनों की ट्रेनिंग दी जाएगी, ये नौकरी पर रहते हुए ट्रेनिंग होगी जिसके लिए मुझे भारतीय मुद्रा में 30 हज़ार रुपये हर महीने दिए जाएंगे. मुझे बताया गया था कि ट्रेनिंग के बाद मेरा वेतन बढ़ाया जाएगा."

इमेज कैप्शन,रूस से भारत लौटे समीर अहमद

एजेंटों के ज़रिए नौकरी पर लगाए गए इन भारतीय युवकों को रूस पहुंचने के बाद रूसी आर्मी के साथ काम करने में लगाया गया. रूसी सेना के साथ एक-डेढ़ महीने की ट्रेनिंग के बाद इन्हें यूक्रेन से सटी रूस की सीमा के पास ले जाया गया, जहां युद्ध चल रहा था.

कलबुर्गी के अब्दुल नदीम ने रूसी सेना के साथ बिताए वक्त और अपने अनुभव बीबीसी के साथ साझा किए. उन्होंने बताया, "हमें ये जानकारी नहीं दी गई थी कि हमें रूसी सेना के साथ काम करना होगा. उन्होंने कहा था कि सिक्योरिटी विंग में हमें हेल्पर के तौर पर काम करना होगा. हमारे साथ धोखा हुआ.""जब हमने फ़ैसल ख़ान से संपर्क किया तो उन्होंने ऐसा जताया जैसे कि वो अन्य एजेंटों के साथ संपर्क में हैं लेकिन असल में ऐसा नहीं था. हमारे साथ धोखा हुआ. सच ये है कि फ़ैसल ख़ान ने रूस भेजने के बदले हममें से हर किसी से तीन-तीन लाख रुपये लिए थे.

मोहम्मद सूफ़ीयान कहते हैं कि रूसी सेना में जाने के बाद मोबाइल फ़ोन तक उनकी पहुंच ख़त्म हो गई और इस कारण वो अपने दोस्तों या परिजनों से संपर्क नहीं कर सके.

वो कहते हैं, "बीते साल दिसंबर में मैं रूस पहुंचा. इसके लिए मैं दुबई से भारत लौटा, जहां मैं काम कर रहा था. भारत आने के बाद मैं हैदराबाद से चेन्नई गया और फिर यहां से शारजाह होते हुए रूस आया."रूस और यूक्रेन के बीच जंग के मैदान के बारे में सूफ़ीयान बताते हैं, "हम एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते थे और इस दौरान आर्मी के अधिकारी हमारे मोबाइल फ़ोन छीन लेते थे. किसी से बात कर पाना असंभव था."

Files

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow