आज का एक्सप्लेनर:मोदी सरकार ने कांग्रेस के शशि थरूर को ही क्यों चुना, ऑपरेशन सिंदूर का डेलिगेशन लीड करेंगे; पर्दे के पीछे क्या चल रहा
मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए ऑल पार्टी डेलिगेशन की घोषणा की, तो उसमें पहला नाम कांग्रेस सांसद शशि थरूर का था। कांग्रेस का कहना है कि हमने थरूर का नाम दिया ही नहीं। हालांकि थरूर बोल रहे कि भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। आखिर मोदी सरकार ने कांग्रेस के नामों की बजाय थरूर को क्यों चुना, क्या बीजेपी की तरफ जा रहे हैं थरूर या पर्दे के पीछे कोई और कहानी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: मोदी सरकार ने दुनियाभर में भेजने के लिए ऑल पार्टी डेलिगेशन क्यों बनाया?
जवाबः केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए 17 मई को डेलिगेशन बनाए। इसमें कई पार्टियों के नेताओं को शामिल किया गया है। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC के सदस्य देशों का दौरा करेगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'सबसे बड़े मौके पर भारत एकजुट है। 7 सर्वदलीय डेलिगेट्स जल्द ही बड़े देशों का दौरा करेंगे, जो आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई के बारे में बताएंगे। यह राजनीति और मतभेदों से परे हटकर देश की एकता को दिखाने का समय है।' ये सातों डेलिगेशन 23 या 24 मई को 10 दिनों के लिए भारत से रवाना होंगे। वहां बताएंगे कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का दृष्टिकोण क्या है और ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन क्यों और कैसे लिया गया। यह पहली बार नहीं है, जब केंद्र सरकार किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए विपक्षी नेताओं की मदद लेगी। इससे पहले भी दो बड़े इंसीडेंट्स में ऐसा हो चुका है… सवाल-2: इस बार ऑपरेशन सिंदूर के डेलिगेशन में कौन-से नेता शामिल हैं?
जवाबः संसदीय कार्य मंत्रालय ने डेलिगेशन को लीड करने वाले 7 सांसदों के नाम जारी किए हैं। 7 डेलिगेशन में एक की अगुआई कांग्रेस सांसद शशि थरूर करेंगे। न्यूज एजेंसी PTI के सोर्स के मुताबिक, हर डेलिगेशन में लीडर्स सहित 5-5 मेंबर हो सकते हैं… पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, ओडिशा से भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, TMC के सुदीप बंदोपाध्याय, बीजद के सस्मित पात्रा, CPI-M के जॉन ब्रिटास और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी को डेलिगेशन का हिस्सा बनाए जाने की संभावना है। सवाल-3: डेलिगेशन में शशि थरूर के नाम पर विवाद क्यों मचा है?
जवाबः कांग्रेस का कहना है कि पार्टी ने शशि थरूर का नाम आगे बढ़ाया ही नहीं, इसके बावजूद सरकार ने उन्हें डेलिगेट बना दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर लिखा, 'शुक्रवार यानी 16 मई की सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की थी। उन्होंने विदेश भेजे जाने वाले डेलिगेशन के लिए 4 सांसदों का नाम मांगा था। कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम दिए थे।' जयराम रमेश ने कहा, आगे क्या होगा, मैं नहीं कह सकता। नाम अलग-अलग हैं। हमने अपना फर्ज निभाया। हमें उम्मीद थी कि सरकार सही इरादे से नाम मांग रही है। हमें नहीं पता था कि वे शरारती मानसिकता से ऐसा कर रहे हैं। हमें उम्मीद थी कि ये नाम फाइनल लिस्ट में शामिल होंगे, लेकिन PIB की लिस्ट पूरी तरह से अलग है। इस पर बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि जयराम रमेश अपने ही कांग्रेसी सांसद शशि थरूर को डेलिगेशन का नेतृत्व करने पर चुने जाने का विरोध कर रहे हैं। राहुल गांधी भारत के लिए बोलने वाले हर व्यक्ति से नफरत क्यों करते हैं, यहां तक कि अपनी पार्टी में भी। पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं, 'इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीति कर रहे हैं, जबकि यह देश की एकजुटता का मामला है। इसमें पहली गलती तो खुद कांग्रेस की है, क्योंकि उन्होंने शशि थरूर का नाम लिस्ट में नहीं रखा। वहीं, बीजेपी ने राजनीति भुनाने के लिए शशि थरूर का नाम ही चुना।' सवाल-4: मोदी सरकार ने कांग्रेस के दिए नामों को दरकिनार कर शशि थरूर को ही क्यों चुना?
जवाबः शशि थरूर ने 1978 से 2007 तक यूनाइटेड नेशन्स यानी UN में विभिन्न पदों पर काम किया। उनकी वैश्विक मंचों पर बोलने की क्षमता और कूटनीतिक समझ बहुत बेहतर है। थरूर अच्छी अंग्रेजी बोल लेते हैं और अमेरिका-यूके में काफी वक्त गुजारा है। ऐसे में उन्हें भारत के डेलिगेट के तौर पर बेहतर नेता माना जा सकता है। हालांकि उन्हें चुने जाने की यही वजह नहीं है। रशीद किदवई कहते हैं, 'शशि थरूर ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के लिए सरकार की प्रशंसा की थी, जो कांग्रेस के बिहेवियर से काफी अलग थी। उन्होंने इसे संयमित और सटीक कार्रवाई बताया, जिससे मोदी सरकार को लगा कि वह भारत की स्थिति को बेहतर ढंग से पेश कर सकते हैं। वहीं, कांग्रेस ने जो 4 नाम दिए थे, वो सभी पाकिस्तान और तुर्किये जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरते आए हैं।' सवाल-5: क्या पिछले कुछ वक्त से शशि थरूर का झुकाव बीजेपी और पीएम मोदी की तरफ बढ़ा है?
जवाबः 2009 में शशि थरूर UN की नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। केरल की तिरुवनंतपुरम सीट से 4 बार लोकसभा सांसद बने, लेकिन पिछले कुछ समय से थरूर की ओर से इशारे मिलना शुरू हुए कि कांग्रेस और उनके बीच सबकुछ ठीक नहीं है। 26 फरवरी 2025 को थरूर ने एक मलयालम पॉडकास्ट में कहा, अगर मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है, तो मेरे पास बहुत विकल्प हैं। अगर पार्टी मेरा इस्तेमाल करना चाहती है, तो पार्टी के लिए मौजूद हूं। अगर नहीं तो मेरे पास करने के लिए मेरी चीजें हैं। आपको नहीं सोचना चाहिए कि मेरे पास दूसरे विकल्प नहीं हैं। शशि थरूर के इस बयान से कयास लगाए जाने लगे कि वे कांग्रेस छोड़ सकते हैं। इस बीच उन्होंने फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की तारीफ कर दी। उन्होंने पीएम मोदी के दौरे को काफी अच्छा बताया। शशि थरूर ने F-35 फाइटर जेट की डील को लेकर के
मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए ऑल पार्टी डेलिगेशन की घोषणा की, तो उसमें पहला नाम कांग्रेस सांसद शशि थरूर का था। कांग्रेस का कहना है कि हमने थरूर का नाम दिया ही नहीं। हालांकि थरूर बोल रहे कि भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। आखिर मोदी सरकार ने कांग्रेस के नामों की बजाय थरूर को क्यों चुना, क्या बीजेपी की तरफ जा रहे हैं थरूर या पर्दे के पीछे कोई और कहानी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: मोदी सरकार ने दुनियाभर में भेजने के लिए ऑल पार्टी डेलिगेशन क्यों बनाया?
जवाबः केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए 17 मई को डेलिगेशन बनाए। इसमें कई पार्टियों के नेताओं को शामिल किया गया है। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC के सदस्य देशों का दौरा करेगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'सबसे बड़े मौके पर भारत एकजुट है। 7 सर्वदलीय डेलिगेट्स जल्द ही बड़े देशों का दौरा करेंगे, जो आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई के बारे में बताएंगे। यह राजनीति और मतभेदों से परे हटकर देश की एकता को दिखाने का समय है।' ये सातों डेलिगेशन 23 या 24 मई को 10 दिनों के लिए भारत से रवाना होंगे। वहां बताएंगे कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का दृष्टिकोण क्या है और ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन क्यों और कैसे लिया गया। यह पहली बार नहीं है, जब केंद्र सरकार किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए विपक्षी नेताओं की मदद लेगी। इससे पहले भी दो बड़े इंसीडेंट्स में ऐसा हो चुका है… सवाल-2: इस बार ऑपरेशन सिंदूर के डेलिगेशन में कौन-से नेता शामिल हैं?
जवाबः संसदीय कार्य मंत्रालय ने डेलिगेशन को लीड करने वाले 7 सांसदों के नाम जारी किए हैं। 7 डेलिगेशन में एक की अगुआई कांग्रेस सांसद शशि थरूर करेंगे। न्यूज एजेंसी PTI के सोर्स के मुताबिक, हर डेलिगेशन में लीडर्स सहित 5-5 मेंबर हो सकते हैं… पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, ओडिशा से भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, TMC के सुदीप बंदोपाध्याय, बीजद के सस्मित पात्रा, CPI-M के जॉन ब्रिटास और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी को डेलिगेशन का हिस्सा बनाए जाने की संभावना है। सवाल-3: डेलिगेशन में शशि थरूर के नाम पर विवाद क्यों मचा है?
जवाबः कांग्रेस का कहना है कि पार्टी ने शशि थरूर का नाम आगे बढ़ाया ही नहीं, इसके बावजूद सरकार ने उन्हें डेलिगेट बना दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर लिखा, 'शुक्रवार यानी 16 मई की सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की थी। उन्होंने विदेश भेजे जाने वाले डेलिगेशन के लिए 4 सांसदों का नाम मांगा था। कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम दिए थे।' जयराम रमेश ने कहा, आगे क्या होगा, मैं नहीं कह सकता। नाम अलग-अलग हैं। हमने अपना फर्ज निभाया। हमें उम्मीद थी कि सरकार सही इरादे से नाम मांग रही है। हमें नहीं पता था कि वे शरारती मानसिकता से ऐसा कर रहे हैं। हमें उम्मीद थी कि ये नाम फाइनल लिस्ट में शामिल होंगे, लेकिन PIB की लिस्ट पूरी तरह से अलग है। इस पर बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि जयराम रमेश अपने ही कांग्रेसी सांसद शशि थरूर को डेलिगेशन का नेतृत्व करने पर चुने जाने का विरोध कर रहे हैं। राहुल गांधी भारत के लिए बोलने वाले हर व्यक्ति से नफरत क्यों करते हैं, यहां तक कि अपनी पार्टी में भी। पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं, 'इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीति कर रहे हैं, जबकि यह देश की एकजुटता का मामला है। इसमें पहली गलती तो खुद कांग्रेस की है, क्योंकि उन्होंने शशि थरूर का नाम लिस्ट में नहीं रखा। वहीं, बीजेपी ने राजनीति भुनाने के लिए शशि थरूर का नाम ही चुना।' सवाल-4: मोदी सरकार ने कांग्रेस के दिए नामों को दरकिनार कर शशि थरूर को ही क्यों चुना?
जवाबः शशि थरूर ने 1978 से 2007 तक यूनाइटेड नेशन्स यानी UN में विभिन्न पदों पर काम किया। उनकी वैश्विक मंचों पर बोलने की क्षमता और कूटनीतिक समझ बहुत बेहतर है। थरूर अच्छी अंग्रेजी बोल लेते हैं और अमेरिका-यूके में काफी वक्त गुजारा है। ऐसे में उन्हें भारत के डेलिगेट के तौर पर बेहतर नेता माना जा सकता है। हालांकि उन्हें चुने जाने की यही वजह नहीं है। रशीद किदवई कहते हैं, 'शशि थरूर ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के लिए सरकार की प्रशंसा की थी, जो कांग्रेस के बिहेवियर से काफी अलग थी। उन्होंने इसे संयमित और सटीक कार्रवाई बताया, जिससे मोदी सरकार को लगा कि वह भारत की स्थिति को बेहतर ढंग से पेश कर सकते हैं। वहीं, कांग्रेस ने जो 4 नाम दिए थे, वो सभी पाकिस्तान और तुर्किये जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरते आए हैं।' सवाल-5: क्या पिछले कुछ वक्त से शशि थरूर का झुकाव बीजेपी और पीएम मोदी की तरफ बढ़ा है?
जवाबः 2009 में शशि थरूर UN की नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। केरल की तिरुवनंतपुरम सीट से 4 बार लोकसभा सांसद बने, लेकिन पिछले कुछ समय से थरूर की ओर से इशारे मिलना शुरू हुए कि कांग्रेस और उनके बीच सबकुछ ठीक नहीं है। 26 फरवरी 2025 को थरूर ने एक मलयालम पॉडकास्ट में कहा, अगर मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है, तो मेरे पास बहुत विकल्प हैं। अगर पार्टी मेरा इस्तेमाल करना चाहती है, तो पार्टी के लिए मौजूद हूं। अगर नहीं तो मेरे पास करने के लिए मेरी चीजें हैं। आपको नहीं सोचना चाहिए कि मेरे पास दूसरे विकल्प नहीं हैं। शशि थरूर के इस बयान से कयास लगाए जाने लगे कि वे कांग्रेस छोड़ सकते हैं। इस बीच उन्होंने फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की तारीफ कर दी। उन्होंने पीएम मोदी के दौरे को काफी अच्छा बताया। शशि थरूर ने F-35 फाइटर जेट की डील को लेकर केंद्र सरकार की तारीफ भी की। उन्होंने कहा था कि यह फाइटर जेट काफी कीमती हैं। जबकि इस डील को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार को घेर रही थी। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, 'F-35 को इलॉन मस्क कबाड़ बता चुके हैं, उसे पीएम मोदी खरीदने पर क्यों तुले हुए हैं।' पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई ने कहा, 2022 में भी जब कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो गांधी परिवार की पहली पसंद मल्लिकार्जुन खड़गे रहे, जबकि शशि थरूर भी पद के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने थरूर पर खड़गे को तरजीह दी। इसके बाद से ही थरूर के सुर भी बदले नजर आने लगे, लेकिन यह भी सच है कि थरूर के लिए बीजेपी की राह कंटीले तारों वाले रास्ते की तरह है। मार्च 2025 में शशि थरूर ने भारत की विदेश नीति की सराहना की थी। रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की कूटनीति पर टिप्पणी करते हुए थरूर ने कहा था, 'मुझे मानना होगा कि 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख की आलोचना करने पर मुझे शर्मिंदगी उठानी पड़ी। पीएम मोदी ने दो हफ्तों के अंदर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों को गले लगाया और दोनों जगह उन्हें स्वीकार किया गया।' शशि थरूर के इस बयान पर बीजेपी ने कहा कि देर आए दुरुस्त आए। केरल बीजेपी के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा, शशि थरूर ने सच स्वीकार किया है, जो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के मुंह पर तमाचा है। राहुल हमेशा भारत की विदेश नीति की आलोचना करते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाते हैं। सवाल-6: क्या शशि थरूर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जा सकते हैं या निशाना कुछ और है?
जवाबः थरूर ने 2024 के लोकसभा चुनावों में कहा था कि यह मेरा आखिरी लोकसभा चुनाव है। इससे कयास लगाए गए कि वे अब केरल की राजनीति में दिलचस्पी लेंगे। जानकारों का मानना है कि शशि थरूर अपने आप को केरल के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखते हैं, जो फिलहाल कांग्रेस में रहते हुए पूरा होना मुश्किल लग रहा है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘बीजेपी भी केरल में चुनाव जीतना चाहती है और उसे शशि थरूर के रूप में बड़ा चेहरा दिख रहा है। 2024 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शशि थरूर के सामने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को उतारा था और उन्होंने थरूर को कड़ी टक्कर दी थी। फिर भी बीजेपी राज्य में एक ही सीट जीत पाई। अब बीजेपी की कोशिश है कि थरूर को कांग्रेस से तोड़ लिया जाए। हालांकि इसमें थरूर का फायदा नहीं है, क्योंकि केरल में बीजेपी का जीतना बहुत मुश्किल है।’ रशीद किदवई कहते हैं, 'शशि थरूर बीजेपी में जाने की गलती कभी नहीं करेंगे। अगर वे केरल की राजनीति में टिके रहना चाहते हैं तो उन्हें कांग्रेस का दामन पकड़े रहना होगा। वैसे भी थरूर और बीजेपी की सोच काफी अलग है। थरूर कई बार बीजेपी और पीएम मोदी पर तीखे बयान भी दे चुके हैं। थरूर ने अपनी किताब में हिंदू धर्म के बारे में लिखा और यह भी कहा कि संघ का हिंदुत्व असल हिंदुत्व से मेल नहीं खाता। ऐसे में बीजेपी में जाने का सवाल नहीं।' शशि थरूर ने मलयालम पॉडकास्ट में बीजेपी में जाने के सवाल का जवाब देते हुए कहा था, 'नहीं। मैं बीजेपी में नहीं जा रहा। हर पार्टी का अपना विश्वास और इतिहास होता है। अगर आप किसी दूसरी पार्टी के विश्वास को नहीं अपना सकते तो उसके साथ जुड़ना सही नहीं है। मुझे नहीं लगता कि यह सही है।' --------------- शशि थरूर से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें- ऑपरेशन सिंदूर- भारतीय डेलिगेशन में थरूर के नाम पर विवाद: कांग्रेस बोली- हमने उनका नाम नहीं दिया; सरकार ने उन्हें एक डेलिगेशन का लीड बनाया केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। पूरी खबर पढ़ें...