गाली देने से रोका तो बीजेपी नेता ने गोली मारी:छतरपुर में 12वीं के टॉपर की ली थी जान; कलेक्टर बनना चाहता था
गाली देने से रोका तो बीजेपी नेता ने गोली मारी:छतरपुर में 12वीं के टॉपर की ली थी जान; कलेक्टर बनना चाहता था
पंकज की उम्र सिर्फ 17 साल थी। 12वीं की परीक्षा में स्कूल टॉपर था। उसका सपना था कि बड़ा होकर कलेक्टर बनूंगा, लेकिन बीजेपी नेता प्रवीण पटेरिया ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वो राशन लेने गया था और गाली देने से मना किया था। पंकज की दादी गिरजा प्रजापति ये बोलते हुए रो पड़ीं। उनका दर्द इसलिए भी गहरा है क्योंकि पंकज की मां उसके बचपन में ही गुजर गई थी। तब से दादी ने ही मां की तरह उसे पाला-पोसा था। दरअसल, 8 जून को छतरपुर जिले के बिलहरी गांव में राशन वितरण के दौरान विवाद हो गया था। गाली-गलौज और हाथापाई के बीच फायरिंग हो गई। गोली पंकज की जांघ में लगी। उसे ग्वालियर रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। आखिर क्या हुआ था उस दिन, क्यों 17 साल के लड़के को गोली मार दी गई, क्या आरोपी को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, पंकज के परिजन और गांव वाले क्या कहते हैं और पुलिस ने अब तक इस मामले में क्या-क्या किया… इन सभी सवालों के जवाब तलाशने दैनिक भास्कर की टीम बिलहरी गांव पहुंची। पंकज के शरीर पर चोट के निशान थे
बिलहरी गांव छतरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर नौगांव तहसील से सटा हुआ है। गांव का माहौल फिलहाल शांत है। चौराहे पर फल का ठेला नजर आया। हमारे पूछने पर फल बेचने वाले ने बताया कि यहां से डेढ़ किमी दूर कुम्हार मोहल्ला है। जिस घर में मौत हुई है, वो परिवार वहीं रहता है। हम उसी दिशा में आगे बढ़े। यहां मोहल्ले की गलियां सुनसान हैं। आगे बढ़ने पर एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर कई लोग बैठे दिखे। ये पंकज के परिवार के लोग हैं। इन्हीं के बीच उसके पिता भी हैं। घटना के दिन को याद करते हुए पंकज के पिता बृज गोपाल प्रजापति कहते हैं- रविवार को सुबह करीब साढ़े आठ बजे मेरा भतीजा करण घर आया। उसने पंकज से कहा कि चल राशन मिल रहा है। फिर दोनों राशन लेने चले गए। करीब 1 घंटे बाद पंकज और करण दोनों घर आए। पंकज के शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। जगह-जगह से खून निकल रहा था। मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ, चोट कैसे लगी तो उन्होंने बताया कि राशन दुकान चलाने वाले प्रवीण, उसके भाई नवीन और राशन देने वाले राम सेवक अरजरिया ने पंकज के साथ मारपीट की है। मेरी आंखों के सामने बेटे को गोली मार दी
बृज गोपाल प्रजापति ने कहा- पंकज, करण और अपने एक अन्य भतीजे को लेकर मैं राशन की दुकान पर गया। मैं बाहर से चिल्लाने लगा कि किसने मेरे बेटे को इतनी बुरी तरह मारा, अब बाहर निकले...मेरे सामने मारे। इतने में मैंने देखा कि प्रवीण पटेरिया अपनी बंदूक लेकर छत पर आ गया। उसने दो-तीन गोलियां चलाईं। पंकज जमीन पर गिर पड़ा। उसके शरीर से खून बह रहा था। मैंने उसे जल्दी से गोद में उठाया और भतीजे से कहा- बाइक से अस्पताल ले चल। पहले छतरपुर, फिर ग्वालियर रेफर किया
पंकज की जांघ से काफी खून बह रहा था। उसे नौगांव अस्पताल में छोड़कर मैं थाने चला गया, जहां पुलिस को घटना के बारे में बताकर फिर अस्पताल लौटा। नौगांव अस्पताल वालों ने पंकज को छतरपुर रेफर किया। हम छतरपुर अस्पताल आ गए। वहां से भी उसे ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया। मेरे दोनों भतीजे पंकज को लेकर ग्वालियर निकल गए। 5 घंटे तक पुलिस ने एफआईआर नहीं लिखी
बृज गोपाल ने कहा- करीब 5 घंटे तक हम थाने में बैठे रहे लेकिन हमारी एफआईआर नहीं लिखी गई। दोपहर करीब 3 बजे मेरे भतीजे का फोन आया कि ग्वालियर पहुंचने से पहले ही रास्ते में पंकज की मौत हो गई। हम असहाय महसूस कर रहे थे। हमने चक्काजाम कर दिया, तब जाकर एफआईआर लिखी गई। 'पढ़े-लिखे हो, गाली देकर बात मत करो' बोलने पर मारा
पंकज के साथ राशन लेने जाने वाले करण ने कहा- उस दिन हम दोनों लोग गए थे और हमने पंकज, मेरे और चाचा...तीन परिवारों के लिए राशन लिया। राशन भी हम सभी को तीन-तीन महीनों के लिए मिला। बहुत ज्यादा राशन हो गया था। हम राशन की बोरियां बाहर निकाल ही रहे थे, तभी राशन देने वाले राम सेवक अरजरिया ने गाली देते हुए चिल्लाकर कहा- जल्दी राशन लेकर निकल। हमने कहा कि निकाल ही रहे हैं। तभी प्रवीण भी आ गया, उसने गाली दी तो पंकज ने कहा कि आप पढ़े-लिखे हो, हम भी पढ़े-लिखे हैं, ऐसी क्यों बात करते हो। हम राशन निकाल ही रहे हैं। इतने में प्रवीण ने चप्पल उतारी। गाली देते हुए दो-तीन चप्पल पंकज को मार दी। पंकज भी चिल्लाने लगा और उसको मारने लगा। तभी प्रवीण का भाई नवीन और राम सेवक बाहर आ गए। तीनों पंकज को घसीटकर अंदर ले गए और मारने लगे। मैं बाहर से चिल्लाता रहा, लेकिन कोई उसे बचाने नहीं गया। पंकज को मारते हुए वो लोग बाहर आ गए। मैंने पंकज को छुड़ाया, हम लोग भागकर घर आ गए। उसके बाद हमें चाचा वहां लेकर वापस गए। वहां पंकज को उन लोगों ने गोली मार दी। बिना कुछ बोले ही गोली चला दी, खोखा मुझे भी लगा
घटना के वक्त मौके पर मौजूद आशीष ने बताया- मैं दुकान के अंदर बैठा था, तभी बाहर से तेज आवाज आने लगी। देखा कि एक आदमी छत पर बंदूक लेकर गोली चलाने की पोजिशन में खड़ा है। उसने बिना कुछ बोले गोली चला दी। मैं पंकज के पास ही खड़ा था। गोली पंकज की जांघ को चीरती हुई चली गई। एक गोली का खोखा मेरे पैर में भी लगा, लेकिन मुझे ज्यादा चोट नहीं आई। पंकज के शरीर से बहुत खून बह रहा था। मैं घबरा गया था। पढ़ाई में होशियार और घर के काम में समझदार था पंकज
पंकज के पिता घर पर रखी मिट्टी और गोबर के कंडे की तरफ इशारा करते हुए बोले- देखिए, मेरे लिए कुछ दिन पहले ही ये सब रख गया है। उसके बिना मैं कोई काम नहीं कर पाता। 17 साल की छोटी सी ही उम्र में उसने अपनी पढ़ाई के साथ घर की सारी जिम्मेदारियां संभाल ली थीं। इसी साल उसने 12वीं की परीक्षा 80% के साथ पास की थी। वो गणित विषय से पढ़ रहा था। आप उसके शिक्षकों से पूछिए, सब उसकी तारीफ करते थे। उस दिन वो मेरी गोद में था। उसने कहा कि पापा अब मुझे सब अंधेरा दिख रहा है। आप जितना भी हाथ फेर लो, अब मैं नहीं बचूंगा। पढ़ाई के साथ घर का काम भी करता था
पंकज की दादी गिरजा बाई का घटना के बाद से रो-रोकर बुरा हाल है। वे कहत
पंकज की उम्र सिर्फ 17 साल थी। 12वीं की परीक्षा में स्कूल टॉपर था। उसका सपना था कि बड़ा होकर कलेक्टर बनूंगा, लेकिन बीजेपी नेता प्रवीण पटेरिया ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वो राशन लेने गया था और गाली देने से मना किया था। पंकज की दादी गिरजा प्रजापति ये बोलते हुए रो पड़ीं। उनका दर्द इसलिए भी गहरा है क्योंकि पंकज की मां उसके बचपन में ही गुजर गई थी। तब से दादी ने ही मां की तरह उसे पाला-पोसा था। दरअसल, 8 जून को छतरपुर जिले के बिलहरी गांव में राशन वितरण के दौरान विवाद हो गया था। गाली-गलौज और हाथापाई के बीच फायरिंग हो गई। गोली पंकज की जांघ में लगी। उसे ग्वालियर रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। आखिर क्या हुआ था उस दिन, क्यों 17 साल के लड़के को गोली मार दी गई, क्या आरोपी को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, पंकज के परिजन और गांव वाले क्या कहते हैं और पुलिस ने अब तक इस मामले में क्या-क्या किया… इन सभी सवालों के जवाब तलाशने दैनिक भास्कर की टीम बिलहरी गांव पहुंची। पंकज के शरीर पर चोट के निशान थे
बिलहरी गांव छतरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर नौगांव तहसील से सटा हुआ है। गांव का माहौल फिलहाल शांत है। चौराहे पर फल का ठेला नजर आया। हमारे पूछने पर फल बेचने वाले ने बताया कि यहां से डेढ़ किमी दूर कुम्हार मोहल्ला है। जिस घर में मौत हुई है, वो परिवार वहीं रहता है। हम उसी दिशा में आगे बढ़े। यहां मोहल्ले की गलियां सुनसान हैं। आगे बढ़ने पर एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर कई लोग बैठे दिखे। ये पंकज के परिवार के लोग हैं। इन्हीं के बीच उसके पिता भी हैं। घटना के दिन को याद करते हुए पंकज के पिता बृज गोपाल प्रजापति कहते हैं- रविवार को सुबह करीब साढ़े आठ बजे मेरा भतीजा करण घर आया। उसने पंकज से कहा कि चल राशन मिल रहा है। फिर दोनों राशन लेने चले गए। करीब 1 घंटे बाद पंकज और करण दोनों घर आए। पंकज के शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। जगह-जगह से खून निकल रहा था। मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ, चोट कैसे लगी तो उन्होंने बताया कि राशन दुकान चलाने वाले प्रवीण, उसके भाई नवीन और राशन देने वाले राम सेवक अरजरिया ने पंकज के साथ मारपीट की है। मेरी आंखों के सामने बेटे को गोली मार दी
बृज गोपाल प्रजापति ने कहा- पंकज, करण और अपने एक अन्य भतीजे को लेकर मैं राशन की दुकान पर गया। मैं बाहर से चिल्लाने लगा कि किसने मेरे बेटे को इतनी बुरी तरह मारा, अब बाहर निकले...मेरे सामने मारे। इतने में मैंने देखा कि प्रवीण पटेरिया अपनी बंदूक लेकर छत पर आ गया। उसने दो-तीन गोलियां चलाईं। पंकज जमीन पर गिर पड़ा। उसके शरीर से खून बह रहा था। मैंने उसे जल्दी से गोद में उठाया और भतीजे से कहा- बाइक से अस्पताल ले चल। पहले छतरपुर, फिर ग्वालियर रेफर किया
पंकज की जांघ से काफी खून बह रहा था। उसे नौगांव अस्पताल में छोड़कर मैं थाने चला गया, जहां पुलिस को घटना के बारे में बताकर फिर अस्पताल लौटा। नौगांव अस्पताल वालों ने पंकज को छतरपुर रेफर किया। हम छतरपुर अस्पताल आ गए। वहां से भी उसे ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया। मेरे दोनों भतीजे पंकज को लेकर ग्वालियर निकल गए। 5 घंटे तक पुलिस ने एफआईआर नहीं लिखी
बृज गोपाल ने कहा- करीब 5 घंटे तक हम थाने में बैठे रहे लेकिन हमारी एफआईआर नहीं लिखी गई। दोपहर करीब 3 बजे मेरे भतीजे का फोन आया कि ग्वालियर पहुंचने से पहले ही रास्ते में पंकज की मौत हो गई। हम असहाय महसूस कर रहे थे। हमने चक्काजाम कर दिया, तब जाकर एफआईआर लिखी गई। 'पढ़े-लिखे हो, गाली देकर बात मत करो' बोलने पर मारा
पंकज के साथ राशन लेने जाने वाले करण ने कहा- उस दिन हम दोनों लोग गए थे और हमने पंकज, मेरे और चाचा...तीन परिवारों के लिए राशन लिया। राशन भी हम सभी को तीन-तीन महीनों के लिए मिला। बहुत ज्यादा राशन हो गया था। हम राशन की बोरियां बाहर निकाल ही रहे थे, तभी राशन देने वाले राम सेवक अरजरिया ने गाली देते हुए चिल्लाकर कहा- जल्दी राशन लेकर निकल। हमने कहा कि निकाल ही रहे हैं। तभी प्रवीण भी आ गया, उसने गाली दी तो पंकज ने कहा कि आप पढ़े-लिखे हो, हम भी पढ़े-लिखे हैं, ऐसी क्यों बात करते हो। हम राशन निकाल ही रहे हैं। इतने में प्रवीण ने चप्पल उतारी। गाली देते हुए दो-तीन चप्पल पंकज को मार दी। पंकज भी चिल्लाने लगा और उसको मारने लगा। तभी प्रवीण का भाई नवीन और राम सेवक बाहर आ गए। तीनों पंकज को घसीटकर अंदर ले गए और मारने लगे। मैं बाहर से चिल्लाता रहा, लेकिन कोई उसे बचाने नहीं गया। पंकज को मारते हुए वो लोग बाहर आ गए। मैंने पंकज को छुड़ाया, हम लोग भागकर घर आ गए। उसके बाद हमें चाचा वहां लेकर वापस गए। वहां पंकज को उन लोगों ने गोली मार दी। बिना कुछ बोले ही गोली चला दी, खोखा मुझे भी लगा
घटना के वक्त मौके पर मौजूद आशीष ने बताया- मैं दुकान के अंदर बैठा था, तभी बाहर से तेज आवाज आने लगी। देखा कि एक आदमी छत पर बंदूक लेकर गोली चलाने की पोजिशन में खड़ा है। उसने बिना कुछ बोले गोली चला दी। मैं पंकज के पास ही खड़ा था। गोली पंकज की जांघ को चीरती हुई चली गई। एक गोली का खोखा मेरे पैर में भी लगा, लेकिन मुझे ज्यादा चोट नहीं आई। पंकज के शरीर से बहुत खून बह रहा था। मैं घबरा गया था। पढ़ाई में होशियार और घर के काम में समझदार था पंकज
पंकज के पिता घर पर रखी मिट्टी और गोबर के कंडे की तरफ इशारा करते हुए बोले- देखिए, मेरे लिए कुछ दिन पहले ही ये सब रख गया है। उसके बिना मैं कोई काम नहीं कर पाता। 17 साल की छोटी सी ही उम्र में उसने अपनी पढ़ाई के साथ घर की सारी जिम्मेदारियां संभाल ली थीं। इसी साल उसने 12वीं की परीक्षा 80% के साथ पास की थी। वो गणित विषय से पढ़ रहा था। आप उसके शिक्षकों से पूछिए, सब उसकी तारीफ करते थे। उस दिन वो मेरी गोद में था। उसने कहा कि पापा अब मुझे सब अंधेरा दिख रहा है। आप जितना भी हाथ फेर लो, अब मैं नहीं बचूंगा। पढ़ाई के साथ घर का काम भी करता था
पंकज की दादी गिरजा बाई का घटना के बाद से रो-रोकर बुरा हाल है। वे कहती हैं- बचपन में ही पंकज की मां की मौत हो गई थी। मैंने ही उसे पाला। उसके पापा का दो बार पेट का ऑपरेशन हो चुका है। वो ज्यादा काम नहीं कर पाते। हमारा मिट्टी के बर्तन बनाने का काम था। बर्तन को पकाने के लिए कंडे वगैरह सबका इंतजाम वही करता था। आरोपियों के घर आमने-सामने, गेट पर ताले
पंकज के घर के बाद हम वारदात की जगह पर पहुंचे। सरकारी राशन की दुकान की दीवार पर प्रवीण पटेरिया और नवीन पटेरिया, एडवोकेट लिखा था। संपर्क के लिए दो फोन नंबर दिए हुए थे। दुकान पर ताला लगा था। दुकान के ठीक सामने सड़क पर खून के सूखे हुए धब्बे नजर आ रहे थे। दुकान से सटा हुआ घर प्रवीण का था। उसके अलावा भाई नवीन की नेम प्लेट भी लगी थी। ठीक सामने का घर राम सेवक अरजरिया का है। इन तीनों ही घरों में ताला लगा दिखा। गेट खटखटाने पर मोहल्ले का एक व्यक्ति बाहर निकला, लेकिन उसने माइक देखते ही बात करने से इनकार कर दिया। उनके लड़के ने कहा- गांव, घर का मामला है। हम कुछ नहीं बोलेंगे। पुलिस ने जानबूझकर पंकज का बयान नहीं लिया
नौगांव के कैलाश प्रजापति कहते हैं- इस पूरी घटना में पुलिस की भूमिका सही नहीं रही है। घटना सुबह की थी, लेकिन दोपहर में पंकज की मौत की खबर आने के बाद पुलिस ने एफआईआर लिखी। गोली लगने के बाद भी पंकज बात कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उसका बयान तक नहीं लिया। आरोपी पैसे वाले हैं। प्रवीण बीजेपी की किसान विंग का जिला उपाध्यक्ष है। बीजेपी नेताओं के साथ उसकी कई तस्वीरें हैं। उसका भाई नवीन आरएसएस से जुड़ा हुआ है इसीलिए पुलिस कार्रवाई करने में हिचकती रही। जबकि गोली चलाने का वीडियो भी सामने आ गया। प्रवीण पटेरिया हथियार के साथ गिरफ्तार
नौगांव थाना प्रभारी सतीश सिंह ने बताया- प्रवीण पटेरिया, नवीन पटेरिया और राम सेवक अरजरिया के खिलाफ हत्या और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। मुख्य आरोपी प्रवीण पटेरिया की गिरफ्तारी की गई है। साथ ही बंदूक भी जब्त कर ली गई है। हमारी कई टीमें बाकी दोनों आरोपियों को ढूंढ रही हैं। एफआईआर में देरी और पंकज के मरने से पहले बयान नहीं लेने के सवाल पर सतीश सिंह ने कहा- डॉक्टर ने हमें बोला कि पंकज की हालत बयान देने लायक नहीं है। दूसरी ओर, पंकज के परिजन शिकायत लिखने के दौरान बार-बार थाने से बाहर जा रहे थे, जिस वजह से एफआईआर में देरी हुई। थाने में मुस्कुरा रहा था आरोपी प्रवीण
दैनिक भास्कर की टीम जब नौगांव थाने में मौजूद थी, उसी दौरान आरोपी प्रवीण पटेरिया को पुलिस मेडिकल चेकअप के लिए लेकर जा रही थी। उसका अंदाज बिल्कुल ऐसा नहीं था जैसे वो गिरफ्त में हो। वो आराम से टहलते हुए गाड़ी में जाकर बैठा। पुलिस वालों के चेहरे पर तनाव नजर आ रहा था लेकिन प्रवीण मुस्कुरा रहा था। खबर पर आप अपनी राय यहां दे सकते हैं... मामले से जुड़ी ये खबर भी पढे़ं... छतरपुर में राशन मांगने पर गोली मारी, युवक की मौत छतरपुर जिले के नौगांव थाना क्षेत्र के बिलहरी गांव में राशन वितरण के दौरान विवाद हो गया। झगड़ा इतना बढ़ा कि कुछ ही देर में गाली-गलौज और हाथापाई के बीच गोली चल गई। फायरिंग में 17 साल के स्टूडेंट की मौत हो गई, जबकि एक युवक घायल हो गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी और उन्हें कड़ी सजा देने की मांग की है। पढ़ें पूरी खबर...