जर्मन चांसलर से मुलाकात के बाद बोले प्रधानमंत्री मोदी- हमारी संधि आतंकवाद से निपटने में मजबूती प्रदान करेगी

जर्मन चांसलर से मुलाकात के बाद बोले प्रधानमंत्री मोदी- हमारी संधि आतंकवाद से निपटने में मजबूती प्रदान करेगी

नई दिल्ली: जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार, 25 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओलाफ स्कोल्ज के मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद PM मोदी ने कहा कि सबसे पहले मैं जर्मन चांसलर और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत में स्वागत करता हूं। मुझे खुशी है कि हमें पिछले दो वर्षों में तीसरी बार आपका भारत में स्वागत करने का अवसर मिला है। रूस-युक्रेन युद्ध को लेकर PM मोदी ने कहा कि यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष हम दोनों के लिए चिंता का विषय हैं। भारत का हमेशा से मानना ​​रहा है कि युद्ध से समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता और भारत शांति बहाली के लिए हर संभव योगदान देने के लिए तैयार है।


PM मोदी ने आगे कहा, भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी की व्यापकता का अनुमान आप पिछले 2-3 दिनों की गतिविधियों से लगा सकते हैं। आज सुबह हमें जर्मनी के एशिया पैसिफिक बिजनेस जगत की कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने का अवसर मिला। मेरे तीसरे कार्यकाल की पहली IGC बैठक अभी कुछ देर पहले संपन्न हुई है। अभी हम CEO फॉरम की बैठक से आ रहे हैं। इसी समय गोवा में जर्मन नौसेना की शिप पोर्ट कॉल कर रही है और खेल जगत भी पीछे नहीं है। हमारी हॉकी टीमों के बीच फ्रेंडली मैच खेले जा रहे हैं।"


आतंकवाद पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक है। गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान पर समझौता इस दिशा में एक नया कदम है। आज संपन्न हुई पारस्परिक कानूनी सहायक संधि, आतंकवाद और अलगाववादी तत्वों से निपटने के हमारे संयुक्त प्रयासों को मजबूत करेगी। 


बता दें कि जर्मन चांसलर शोल्ज भारत में अपनी तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे। इससे पहले दोनों नेताओं ने जर्मन व्यापार के 18वें एशिया-प्रशांत सम्मेलन को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, हम दोनों अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता पर सहमत हैं। हम दोनों इस तथ्य से सहमत हैं कि 20वीं सदी में स्थापित वैश्विक मंच 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित सभी बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है। भारत और जर्मनी इन क्षेत्रों में सक्रिय रूप से सहयोग करना जारी रखेंगे।

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