धूप हो या बारिश हर मौसम करता है श्रमिकों को परेशान, संतनगर में अब तक एक शेड भी नहीं बना सका नगर निगम

अनमोल संदेश, संतनगर
संतनगर में हर रोज काम की तलाश में 100 से अधिक श्रमिक शिव मंदिर गोल चक्का के पास इकट्ठा होते हैं। तय नहीं होता कितनी देर बाद कौन दिहाड़ी पर ले जाएगा, तब तक धूप में खड़ा रहना इनकी मजबूरी है। हर मौसम में परेशान होने वाले श्रमिक लालघाटी की तरह पीठा बनाने की मांग कर रहे हैं। उपनगर के शिव मंदिर के आस पास बैठे श्रमिकों को देखा जा सकता है। पीठा न होने से तपती धूप में खुले आसमान के नीचे खड़े होकर रोजी रोटी की आस में घंटों खड़े रहते हैं। संतनगर में एक भी शेड का निर्माण नहीं हो पाया है। जिस कारण श्रमिक भटकते रहते हैं। तपती धूप में दो कदम चलना मुश्किल हो रहा है। वहीं, दूसरी तरफ ये मजदूर सुबह से धूप में खड़े होकर काम का इंतजार करते हैं, इसमें मिस्त्री से लेकर, मजदूर, प्लेम्बर सहित अन्य लोग शामिल हैं। लगभग 100 मजदूर प्रतिदिन चंचल चौराहे पर एकत्रित होते हैं।
प्रस्ताव बना, अमल आज तक नहीं हुआ
लंबे समय से पीठा श्रमिक बैठने के लिए शेड निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। शेड बनाने के लिए विसर्जन घाट, शिव मंदिर के पास बनाने का प्रस्ताव बना था, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाया है। पूर्व पार्षदों ने भी शेड बनाने की बात कही पर वो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। श्रमिक मंदिर और दुकानों के बाहर बैठने को मजबूर हैं।
राजधानी में बने हैं पीठे
राजधानी में कई जगहों पर दिहाड़ी श्रमिकों शेड निर्माण किए गए हैं, जहां पर मजदूरों के बैठने के साथ पानी की व्यवस्था है। पीठे से लोग श्रमिकों को काम के लिए ले जाते हैं। संतनगर में काम की तलाश में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों, गांधीनगर से बड़ी संख्या में श्रमिक हर रोज आते हैं।
श्रमिकों ने कहा
हर मौसम पड़ता है भारी
हर मौसम भारी पड़ता है। सुबह खाना लेकर आते हैं, काम मिलेगा या नहीं पता नहीं होता। कई बार बिना काम के लौटना पड़ता है। यदि बैठने का ठिकाना हो जाए तो धूप, पानी से तो बच पाएंगे। कौन सुनता है गरीबों की।
अशोक अहिरवार, श्रमिक
खड़े रहते हैं फुटपाथ पर
दुकानों के सामने फुटपाथ पर खुल आसमान के नीचे खड़े होकर काम की तलाश मजबूरी है। शेड बनाए जाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। आज तक तो नहीं बना, लगता नहीं कभी बनेगा।
प्रकाश कच्छवाह, श्रमिक
कमिश्नर से करूंगा बात
मैंने अपने पूर्व कार्यकाल में आठ बार मजदूरों के पीठा बनाने का प्रस्ताव रखा था। इस बार भी प्रस्ताव मुख्यालय पर रख चुका हूं। लेकिन, अमल नहीं हो रहा है। चुनाव के बाद कमिश्नर से बात करूंगा। पीठा न होना मजदूरों के लिए बहुत बड़ी समस्या है।
अशोक मारण, पार्षद
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