आंखों की जांच में 750 ड्राइवरों के दृष्टि दोष, 35 में मिले मोतियाबिंद के लक्षण

आंखों की जांच में 750 ड्राइवरों के दृष्टि दोष, 35 में मिले मोतियाबिंद के लक्षण

सडक़ सुरक्षा माह में सेवासदन में नि:शुल्क नेत्र जांच शिविर का हुआ शुभारंभ


अनमोल संदेश, संतनगर

एडीजीपी संजीव शमी ने मंगलवार को सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय और यातायात पुलिस के सहयोग से लोक परिवहन के ड्रायवरों के लिए नि:शुल्क दृष्टि दोष और नेत्र परीक्षण शिविर का शुभारम्भ किया । सडक़ सुरक्षा माह में यातायात जागरूकता के लिए ‘परवाह’ थीम के अंतर्गत आयोजित इस शिविर में दृष्टि दोष और नेत्र व्याधियों से पीडि़त 750 ड्रायवरों ने अपनी आंखों की जांच करवाई गई। 

इनमें 280 ड्रायवरों को दृष्टि दोष तथा 35 को मोतियाबिंद के लक्षण पाये गये। सेवा सदन द्वारा कमजोर दृष्टि वाले 160 ड्रायवरों को चश्में तथा नेत्र व्याधियों से पीडि़त 130 को नि:शुल्क ड्रॉप्स प्रदान किये गये। इनके अतिरिक्त 52 ड्रायवरों को अपनी आंखों की जांच सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय जाकर करवाने की सलाह दी गई। अस्पताल द्वारा लोगों के ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की भी नि:शुल्क जांच की गई। यातायात पुलिस ने मेपकॉस्ट के सभागार में ड्रायवरों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यशाला भी रखी थी, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उनको यातायात कानूनों की जानकारी दी तथा इन नियमों का सख्ती से पालन करने की हिदायतें दी ।

शिविर में अपर पुलिस महानिदेशक संजीव शमी ने ड्रायवरों से कहा कि ड्रायवरों की दृष्टि ठीक होनी चाहिये क्योंकि उन पर वाहन में बैठे और सडक़ पर चलते लोगों के जीवन की रक्षा का दायित्व होता है। कमजोर नजर वाले ड्रायवरों से दुर्घटनाएं हो सकती हैं, इसलिए सभी ड्रायवरों को अपनी आंखों की सामयिक जांच करवाते रहना चाहिए। शमी ने कहा कि लोक परिवहन में अब ई-रिक्शा का चलन शुरू हुआ है । ई-रिक्शा की गति अन्य वाहनों की तुलना में बहुत कम है जिससे सडक़ दुर्घटनाओं की सम्भावनाएं भी कम होती है । शिविर में भोपाल के पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र, उप पुलिस महानिरीक्षक तुषारकांत विद्यार्थी, अपर पुलिस आयुक्त  पंकज श्रीवास्तव, डीसीपी यातायात संजय सिंह तथा मेपकास्ट के निदेशक डॉ. अनिल कोठारी, सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय के ट्रस्टी राजकुमार मूलचंदानी, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा मोटा, डायरेक्टर प्रशासन कुशल धर्मानी, अस्पताल प्रशासक अनुषा तिवारी भी विशेष रूप से उपस्थित थे। ऑप्टोमेट्रिस्ट अजय सिंह और सौरभ गुप्ता ने रोगियों की आंखों की जांच की।

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