बंदी की मौत पर आयोग सख्त जेल अधीक्षक से मांगा जवाब

अनमोल संदेश, भोपाल
सेंट्रल जेल भोपाल में बंद एक विचाराधीन बंदी की अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु होने की घटना सामने आई थी। विगत शुक्रवार को हाई कोर्ट से बंदी को जमानत मिली थी और सोमवार को बंदी की रिहाई होनी थी। तभी रविवार को बंदी की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसे हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। परिजनों ने इस मामले में जेल प्रबंधन पर आरोप लगाए थे। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने अधीक्षक, सेन्ट्रल जेल से जांच प्रतिवेदन मांगा है। इधर एक अन्य मामले में धार जिले में बीते गुरूवार को एक दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के आरोपी की पुलिस अभिरक्षा में इंदौर लाये जाने के दौरान हादसे में मृत्यु होने की घटना सामने आई है। आरोपित को जब निजी वाहन से लाया जा रहा था, तभी वह वाहन से कूद गया, जिसके कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गया। आरोपित घायल को इंदौर के शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी मृत्यु हो गई। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, धार से घटना की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में एक माह में जवाब मंागा है। इधर, एक अन्य मामले में प्रदेश के बिजली कंपनियों में 45 हजार आउटसोर्स कर्मचारी लगे है, मेंटेंनेस का जिम्मा इन्ही के कंधों पर है। लेकिन जान जोखिम में डालने वाले इन कर्मचारियों को उर्जा विभाग का कर्मचारी नहीं माना जाता है।
कर्मचारी की ड्यूटी नहीं होने पर भी उन्हें खंभे पर बिजली लाइन का कार्य कराया जाता है। हादसे में कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिवार को मुआवजा राशि दी जाती है। लेकिन परिवार की हालत फिर वैसी ही हो जाती है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एसीएस, ऊर्जा से मामले की जांच कराकर की कई बिन्दुओं पर तीन सप्ताह में जवाब मंागा है।
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