पांच अन्य विकल्पों पर काम किया जाएगा उत्तरकाशी टनल हादसे 12 दिन बाद भी अफसर से लेकर कर्मियों तक रेस्क्यू में जीजान से जुटे

सिलक्यारा में 41 मजदूरों को बचाने का अभियान बृहस्पतिवार की देर रात तक पूरा नहीं हो पाया। हालांकि, सुरंग के भीतर पाइप डालने का काम अभी तक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है, फिर भी नेशनल हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) बाकी सभी प्लान के लिए मशीनें जुटाने में लगा है।
बृहस्पतिवार को भी कई ड्रिल मशीनें सिलक्यारा बैंड पहुंचीं। मजदूरों को सुरंग के भीतर से बचाने के अभियान को झटका लगने के बाद तय किया गया था कि
इसके लिए एसजेवीएनएल को सुरंग के ऊपर वर्टिकल 1.2 मीटर डि्ल, रेलवे विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) को आठ इंच डि्ल के अलावा सुरंग के बड़कोट सिरे से टीएचडीसी को दो वर्ग मीटर की एस्केप टनल बनाने का काम दिया गया।
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सुरंग के दोनों सिरों से भी भीतर जाने की योजना बनाई गई। सभी कंपनियों की मशीनें लगातार सिलक्यारा पहुंच रही हैं। बृहस्पतिवार को भी मशीन पहुंची, जिनमें से एक मशीन संकरे रास्ते में फंस गई, जिसे निकालने का प्रयास जारी था।
सभी विकल्प तैयार रखे है
एनएचआईडीसीएल के अफसरों का कहना है कि निश्चित तौर पर सभी विकल्पों की मजबूत तैयारी की जा रही है। ताकि, अगर जरूरत पड़ी तो तत्काल दूसरे विकल्पों पर काम तेज कर दिया जाएगा। उधर, टीएचडीसी ने बड़कोट सिरे से एस्केप टनल बनाने का काम तेज कर दिया है।
अफसर से लेकर कर्मियों तक रेस्क्यू में जीजान से जुटे
12 दिन से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में जहां अपने साथियों को बचाने के लिए मजदूर दो-दो दिन से सोये नहीं हैं, वहीं डीएम से लेकर एसपी और एनएचआईडीसीएल व अन्य एजेंसियों के अधिकारी और कर्मचारी भी पूरी रात सुरंग के भीतर रेस्क्यू में जुटे हुए हैं।
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