रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया भारत, अब कारोबार करने को भी तैयार..
दरअसल, रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध में अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया है. रूसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए कई पश्चिमी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं.
रॉसकांग्रेस फाउंडेशन के उप निदेशक और एसपीआईईएफ के निदेशक एलेक्सी वाल्कोव का कहना है कि ऐसे कई कारोबार हैं, जिन्हें यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों ने अपनी सरकार के दबाव आकर छोड़ दिया है. जिसे स्थानीय रूसी कंपनियों के अलावा चीन की कंपनियां भी टेकओवर करने के लिए तैयार हैं.
एलेक्सी वाल्कोव ने आगे कहा कि ऑटोमोटिव, परिवहन, कपड़ा और हल्के उद्योग जैसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें भारतीय निवेशकों और कंपनियों की रुचि होगी. उन्होंने यह भी कहा कि व्यावसायिक हितों के बरे में बात करना तो सही नहीं होगा. लेकिन पारंपरिक क्षेत्रों में भारत के साथ हमारा व्यापार फिलहाल बढ़ रहा है.
सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशल इकोनॉमिक फोरम पर टिप्पणी करते हुए वाल्कोव ने कहा कि यह मंच पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध विकसित करने में रुचि रखने वाले पक्षों के बीच समान बातचीत का अवसर प्रदान करेगा. सेंट पीटर्सबर्ग भौगोलिक रूप से तीन महाद्वीप के बीच स्थित है, इसलिए यह न केवल रूस में व्यापार करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा, बल्कि दुनिया भर में अवसरों को बढ़ाएगा. आयोजन के पहले दिन यानी 5 जून को रूस-भारत बिजनेस फोरम पर बातचीत होगी.
वाल्कोव ने कहा कि एसपीआईईएफ एक खुला मंच है जो अपने सभी प्रतिभागियों (देशों) की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और जरूरत पड़ने पर भागीदारी की गोपनीयता भी सुनिश्चित कर सकता है.
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