भारतीय संस्कृति और संस्कारों की देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा होती है , वहीं एक अफ्रीका मूल के निवासी रोमी को नर्मदा परिक्रमा करने आया है

भारतीय संस्कृति और संस्कारों की देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा होती है, लोग अपनी संस्कृति को छोड़कर भारत में आकर बस रहे हैं, कई लोग आज भी भारत में भगवान के नाम से जीवन यापन कर रहे हैं. यही कारण है कि हर साल ये संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसा ही कुछ नर्मदापुरम जिले में देखने को मिला है. जब अफ्रीका मूल के निवासी रोमी को नर्मदा परिक्रमा के बारे में पता चला, उन्होंने अपना करोड़ो का बिजनेस छोड़ परिक्रमा करने की ठान ली, और मध्य प्रदेश की तरफ रूख कर लिया
अपने देश से कई हजारो किलोमीटर दूर नर्मदापुरम में मां नर्मदा के किनारे 25 किलोमीटर पैदल चलकर परिक्रमा कर रहे हैं. मां नर्मदा की परिक्रमा करने वाले 68 वर्षीय रोमी मूले परिक्रमा करते हुए रास्ते में मिलने वाले हर परिक्रमा वासियों और राहगीरों से दोनों हाथ जोड़कर नर्मदे हर करते हैं. वही रोमी मूले को साफ तौर पर हिंदी बोलना नही आती है फिर भी वे बहुत ही सम्मान के साथ सभी को नर्मदे हर बोलते हुए परिक्रमा कर रहे हैं.
रोमी मूले बताते हैं कि मां नर्मदा ने बुलाया है, उनकी भक्ति से परिक्रमा के रहा हूं. ऋषिकेश के बद्रीनाथ में सत्संग में गुरुजी ने मां नर्मदा परिक्रमा के बारे में बताया था. उनसे कुछ प्रेरणा मिली और उन्होंने मां नर्मदा की परिक्रमा करने को कहा था. अमरकंटक से 23 अक्टूबर को शुरू की थी.
मां नर्मदा सभी का ख्याल रखती है. कहीं किसी भी बात की मुझे समस्या नही होने देती हैं. नर्मदा परिक्रमा एक बहुत शानदार यात्रा है जो जिंदगी का एक खास हिस्सा बन गई है. परिक्रमा पथ पर मिलने वाले लोग बहुत अच्छे हैं. मुझे कभी कोई समस्या नही आई है.
Files
What's Your Reaction?






