पार्कों को बदहाली से बचाने लोगों को होना होगा जागरूक गिदवानी पार्क बदहाल

अनमोल संदेश, संतनगर
संतनगर का गुलाब उद्यान अपने फैलाव और हरियाली से सुकून देने और देखने लायक है। कहा गया था, उद्यान देखने लोग भोपाल से आएंगे और उद्यान भोपाल की घुमने वाली जगहों में से एक होगा, लेकिन उद्यान तक संतनगर के लोग ही नहीं पहुंचे रहे हैं। सूनसान उद्यान की पहचान बन गई है। वजह उद्यान तक जाने वाले रास्ते का माहौल है। उपनगर में सीहोर नाके पर नगर निगम द्वारा विकसित गुलाब उद्यान को देखने लायक है। प्रवेश करते ही संत हिरदारामजी के दर्शन होते हैं। इसके बाद पार्क का फैलाव मनभावन है। गुलाब की विभिन्न प्रजातियों के साथ हरियाली है। सुबह-शाम टहलकर, जगह-जगह लगी बेंचों पर बैठकर सुकून के पल बिताए जा सकते हैं। लेकिन, पार्क को संतनगर से ही अपनापन नहीं मिला। हालांकि शराब की दुकानों की मौजूदगी शाम के बाद यहां आने से लोगों को रोकने वाला है। मेन रोड के चौड़ीकरण के समय के विस्थापन को भी व्यवस्थित करने की जरूरत है।
लाखों के विकास कार्यों हुए पर नतीजा सिफर
देखरेख हो रही
नवनिर्मित उद्यान की देखरेख में पांच साल तक मेंटेनेंस करने वाले ठेकेदार के आधा दर्जन से कर्मचारी तैनात रहते हैं, जो साफ-सफाई, पेड़ों को पानी देने का काम कर रहे हैं। चौकीदार भी तैनात हैं। मेन रोड और नई सब्जी मंडी की ओर से घुसा जा सकता है। कहा जा रहा है, मेंटेनेंस की शर्त पूरी होने के बाद इस पार्क का हश्र भी गिदवानी पार्क की तरह होगा।
भविष्य की योजना
बड़ी झील के किनारे स्थित गुलाब उद्यान को आने वाले समय में बेहटा स्थित सुखधाम से जोड़ा जाएगा। पर्यटन स्थल बनाने की योजना और संभावना उद्यान में है। तालाब के किनारे पाथ वे बनाने की योजना के बनाए जाने की बात कहीं जाती रही है।
विसर्जन घाट में चहल-पहल नहीं
नगर निगम ने विसर्जन घाट पर भी पार्क विकसित किया था, जो समय के साथ बदहाली ओढ़ाता जा रहा है। हालांकि पार्क में गणेश-दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के समय और कई त्योहारों के समय चहल-पहल रहती है। भोजपुरी समाज छठ पूजा और सिंधी समाज चालीहा के समय बहिराणा विसर्जन करता है। शुरुआत समय में बुजुर्गों ने विसर्जन घाट पार्क में आना शुरू किया था, जो बोरवन में शिफ्ट हो गए हैं। विसर्जन घाट पार्क में भी रहवासियों ने आने में रूचि नहीं दिखाई थी।
मुख्य मार्ग पर नेहरू पार्क का अस्तित्व खत्म हो चुका है, गिदवानी पार्क का कई बार कायाकल्प होने के बाद भी देखरेख के अभाव में बदहाल है। हर पार्षद ने अपने कार्यकाल में पार्क में विकास पर लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन देखरेख को लेकर लापरवाही कभी खत्म नहीं हुई। वैसे भी गिदवानी पार्क चारों तरफ से रहवासी इलाकों से घिरा हुआ है और बच्चों के खेलने की जगह है।
बोरवन पार्क में ही दिखते
हैं सुबह-शाम लोग
बोरवन केवल इकलौती ऐसी जगह है, जहां सुबह शाम चहल-पहल रहती है। सुबह के समय बुजुर्ग टहलने और शौकिया गायक गुनगुनाते हुए अपने दिन की शुरुआत करने आते हैं। तालाब का किनारा और हरियाली से यह जगह शांत जगह है। हालांकि बोरवन का रास्ता बदहाल हो गया है। यहां आने वालों की यह सबसे बड़ी परेशानी है। यहां बीते समय विकास कार्य भी हुए हैं। वन विभाग की देखरेख के चलते बहुत कुछ ठीक है।
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