भाव में नहीं ज्यादा कोई फर्क, परेशानी से भी बच रहे किसान गेहूं खरीद केंद्र में फसल बेचने की रुचि नहीं दिखा रहे किसान

May 15, 2024 - 12:19
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भाव में नहीं ज्यादा कोई फर्क, परेशानी से भी बच रहे किसान गेहूं खरीद केंद्र में फसल बेचने की रुचि नहीं दिखा रहे किसान

अनमोल संदेश, बरेली 

क्षेत्र में गेहूं कटाई के तत्काल बाद ही किसानों के द्वारा बड़ी मात्रा में उपज तौलने के लिए बड़ी मात्रा में खरीदी केदों पर अपनी उपज बेचने के लिए लाया जाता है। किंतु वर्तमान में देखा जा रहा है कि किसान का रुझान खरीदी केंद्र के बजाय कृषि उपज मंडी में व्यापारियों को बेचने में ज्यादा रुचि दिखाई जा रही है। 

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुल 34 हजार 166.85 क्विंटल गेहूं किसानों के द्वारा मंडी में व्यापारियों को बेचा गया। इस दौरान किसानों को अपनी उपज का  1801 से 2701 रेट मिला। इसी के साथ 1 मई से 11 मई तक 16 हजार 815.27 क्विंटल किसानों के द्वारा गेहूं बेचा गया। ऐसी स्थिति में समर्थन मूल्य केंद्रों पर पूर्व वर्ष की भांति खरीदी शून्य देखी जा रही है। जबकि कृषि उपज मंडी में इस दौरान कुल 50 हजार 982.12 क्विंटल गेहूं की व्यापारियों के द्वारा खरीदी की गई। तो वहीं दूसरी ओर कुल 31 खरीदी केंद्रों पर खरीदी को लेकर प्राप्त आंकड़ों के अनुसार खरीदी प्रारंभ दिनांक से लेकर 10 में तक 33 हजार 346.83 क्विंटल किसानों के द्वारा गेहूं बेचा गया। हालांकि पूर्व में ही किसानों के द्वारा अपनी उपज तौलने के लिए पंजीयन कराया जा चुका था। कृषि उपज मंडी में उपज के दाम समर्थन मूल्य से अधिक होने पर बड़ी संख्या में किसानों के द्वारा अपनी उपज को कृषि उपज मंडी में ही बेचा जा रहा है । समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी शुरू होने के साथ ही जहां खरीदी केंद्र पर किसानों की बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलीयों देखी जाती थी। लेकिन वर्तमान में खरीदी केदों पर सन्नाटा पड़ा हुआ है 11 मई को प्राप्त अंकों के अनुसार कुल 31 खरीदी केदों में 21 खरीदी केंद्र पर खरीदी निरंक पाई गई।

 हालांकि सरकार इस बार गेहूं पर 125 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को बोनस भी दे रही है। बावजूद इसके किसान अपनी उपज को कृषि उपज मंडी में बेचना ज्यादा बेहतर समझा रहा है। प्रतिदिन बड़ी मात्रा में अभी भी किसान गेहूं से भरी ट्रालियां कृषि उपज मंडी में ला रहे हैं। कृषि उपज मंडी का दौरा किया तो पाया कि आज भी कृषि उपज मंडी में किसान अपनी उपज को ट्रालियों में भरकर बेचने के लिए मंडी में लाए हैं। जब इस संबंध में किसानों से चर्चा की तो किसानों का कहना है कि पूर्व की फसल के दौरान जो बीज , दवा ,कीटनाशक आदि की उधारी समय पर चुकाना है। इसके लिए व्यापारियों को उपज बेची गई है यहां से तत्काल पैसा मिल जाता है लेकिन खरीदी केंद्र पर उपज वैचने के बाद कई दिनों तक पैसे के लिए बैंक के चक्कर लगाना पड़ते हैं। वहीं कृषक रामप्रसाद ने बताया कि इस बार समर्थन मूल्य और मंडी के भाव में बहुत ज्यादा कोई अंतर नहीं है समर्थन मूल्य पर उपज तोलने के लिए पहले इंतजार करो , जब नंबर आता है उसके बाद तुलाई होती है। साथ ही मौसम में तब्दीली के कारण उपज को सुरक्षित रखने की भी परेशानी रहती है ऐसी स्थिति में कृषि उपज मंडी में तत्काल नीलामी में बोली के दौरान अपनी उपज बोलकर पैसा हाथों-हाथ मिल जाता है। जबकि समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के बाद राशि खाते में आने में ही काफी समय लग जाता है। बता दें कि रबी सीजन में क्षेत्र में लगभग 90 हजार हेक्टेयर से अधिक में किसानों ने गेहूं की बोवनी की थी। वहीं समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए इस बार सिर्फ बाडी और बरेली में 19847 किसानों के द्वारा पंजीयन कराया गया है। वहीं दूसरी ओर खरीदी केदो पर काम उपज आने को लेकर एक समिति प्रबंधक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किसानों का सोसाइटियों के माध्यम से काफी कर्ज बाकी है ऐसी स्थिति में किसान को बैंक का पैसा ना चुकाना पड़े इसलिए कृषि उपज मंडी में अपनी उपज बेच रहे हैं।

एक हजार क्विंटल के मान से मंडी में आ रहा गेहूं

क्षेत्र में गेहूं कटाई के साथ ही नगर के कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन 1000 क्विंटल गेहूं किसानों के द्वारा बचने के लिए लाया जा रहा है। कृषि उपज मंडी से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसानों को उनकी उपज की गुणवत्ता के अनुसार कीमत मिल रही है जिसमें 2000 से लेकर 2040 प्रति  क्विंटल तक व्यापारियों के द्वारा नीलामी बोली में गेहूं खरीदा जा चुका है। किसानों का मानना है कि समर्थन मूल्य के साथ बोनस को मिलाकर कृषि उपज मंडी में मिलने वाली कीमत बराबर के समान है, लेकिन कृषि उपज मंडी में बेची जाने वाली उपज के दौरान किसानों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि व्यापारी तत्काल पैसे चुका देता है। 


लेकिन समर्थन मूल्य पर तोली जाने वाली उपज की राशि के लिए बैंक के चक्कर लगाना पड़ता है किसानों ने बताया कि आगामी फसल की तैयारी के लिए बड़ी मात्रा में पैसे की आवश्यकता है । लेकिन समर्थन मूल्य पर यदि उपज बेची जाती है तो इसकी राशि मिलने में 15 दिन से एक महीने तक इंतजार करना पड़ेगा इससे बेहतर है कि अपनी उपज कृषि उपज मंडी में ही बेची जाए।

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