भगवान चित्रगुप्त के प्रकटोत्सव पर निकली शोभायात्रा

अनमोल संदेश, शहडोल
14 मई को भगवान चित्रगुप्त महाराज के प्रकटोत्सव दिवस पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा शहडोल द्वारा भव्य एवं विशाल शोभायात्रा एवं बूढी माई मंदिर परिसर में स्थित चित्रगुप्त मंदिर मे विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। शोभा यात्रा अभय कुंज मैरिज गार्डन से प्रारंभ होकर एवं चित्रगुप्त मंदिर परिसर में संपन्न हुई। शोभा यात्रा का शाम 4:00 बजे अभय कुंज से प्रारंभ होकर इंदिरा चैक, गांधी चैराहा, रघुराज चैक, पुराना नगर पालिका चैक, पुराना बस स्टैंड, जय स्तंभ चैक होते हुए चित्रगुप्त मंदिर में पहुँची जहाँ चित्रगुप्त महाराज की पूजा अर्चना की गई । शोभा यात्रा में चित्रगुप्त महाराज एवं उनके 12 पुत्रों की झांकी आकर्षण का केन्द्र रही। शोभा यात्रा में सम्मिलित सदस्यों के लिए जगह-जगह स्वागत एवं ठंडे पानी की व्यवस्था की गई थी। शोभा यात्रा में दो पहिया एवं चार पहिया वाहन भी सम्मिलित रहे। नगर के मार्ग में शोभा यात्रा के दौरान किसी को परेशानी ना हो इसके लिए कार्यकर्ताओं की टीम प्रत्येक चैराहे पर तैनात की गई थी।
शोभा यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुई। प्लास्टिक पाउच, पानी बोतल आदि डिस्पोजल के निस्तारण के लिए भी बेहतर व्यवस्था कायस्थ समाज द्वारा की गई थी। कायस्थ समाज के मीडिया प्रभारी संजीव निगम द्वारा बताया गया कि ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मा जी की काया से चित्रगुप्त महाराज की उत्पत्ति हुई और ये यम महाराज के यहां संसार के सभी प्राणियों की कृत्यो का लेखा- जोखा रखने का कार्य करते हैं। कायस्थों को कलाम का धनी माना जाता है यम द्वितीया के दिन यह जाती कलम दवात की पूजा करती है। इनका पेसा प्रमुख रूप से सरकारी नौकरी है यह एक ऐसी जाती है जो 100प्रतिशत साक्षर है एवं पढ़ाई लिखाई एवं विद्या अर्जित करने को सर्वाधिक प्राथमिकता देती है। कायस्थ भगवान चित्रगुप्त महाराज के वंशज हैं भगवान चित्रगुप्त महाराज के 12 पुत्र थे इन 12 पुत्रों से श्रीवास्तव, खरे, माथुर, निगम, सिन्ह, सक्सेना आदि विभिन्न सरनेमोन की उत्पत्ति हुई विभिन्न प्रदेशों में उपनाम की भिन्नता है लेकिन सभी भगवान चित्रगुप्त महाराज को अपना पित्र पुरुष मानते हैं एवं अपने को चित्रगुप्त महाराज का वंशज कहते हैं उनके प्रकटोत्स दिवस को यह समाज पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ मनाता है। सुबह चित्रगुप्त मंदिर में भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा अर्चना की गई तथा उनके वस्त्र एवं श्रृंगार बदल गए। शोभा यात्रा सम्पन्न होने के पश्चात् प्रसाद वितरण किया गया ।
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