तिरुपति लड्डू प्रसाद: पहले भी लौटाए गए थे घी के टैंकर, रिपोर्ट में जानवरों की चर्बी को लेकर क्या कहा गया है

Sep 21, 2024 - 14:10
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तिरुपति लड्डू प्रसाद: पहले भी लौटाए गए थे घी के टैंकर, रिपोर्ट में जानवरों की चर्बी को लेकर क्या कहा गया है
तिरुपति लड्डू प्रसाद: पहले भी लौटाए गए थे घी के टैंकर, रिपोर्ट में जानवरों की चर्बी को लेकर क्या कहा गया है

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी के होने के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान ने लोगों को सकते में डाल दिया है.तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव ने इसकी पुष्टि की है. तिरुमला में प्रसाद के लिए घी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है.हालांकि पहले केवल वनस्पति घी की मिलावट बताने वाले श्यामला राव ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उसमें जानवरों की चर्बी भी मौजूद है.

आध्र प्रदेश में जब नई सरकार बनी तो श्यामला राव को टीटीडी का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया था.उन्होंने मीडिया से कहा, “कार्यभार संभालने के बाद मैं मुख्यमंत्री से मिला तो उन्होंने प्रसाद की गुणवत्ता के बारे में मुझे बताया. इसीलिए मैंने इस पर ध्यान दिया. उस समय पांच कंपनियां घी की आपूर्ति करती थीं, लेकिन जब मैंने गुणवत्ता को लेकर चेतावनी दी तो उन्होंने अपना रवैया बदल दिया. लेकिन एक कंपनी ने बदलाव नहीं किया. इसलिए हमने उसे ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.”बीती 23 जुलाई को एक प्रेस कांफ़्रेंस में श्यामला राव ने कहा था कि घी में वनस्पति तेल की मिलावट हुई है लेकिन गुरुवार को मीडिया के सामने कहा कि उसमें एनिमल फ़ैट की भी मौजूदगी है.

उन्होंने सफ़ाई देते हुए कहा कि लैब रिपोर्ट और एक्सपर्ट से बात करने में समय लगा.उन्होंने कहा कि जब तमिलनाडु की एआर डेयरी फ़ूड्स कंपनी से घी के 10 टैंकर आए तो उसमें छह टैंकरों का घी इस्तेमाल किया जा चुका था जबकि चार टैंकरों के नमूनों को वापस भेजा गया और उनकी रिपोर्ट में मिलावट की बात पता चली.श्यामला राव ने कहा कि कंपनी पर क़ानूनी कार्रवाई करने पर भी विचार किया जा रहा है.हालांकि एआर डेयरी फ़ूड्स ने अपने बयान में कहा, “जुलाई में हमने टीटीडी को 16 टन घी की आपूर्ति की थी. हमने बिना मिलावट के शुद्ध घी दिया था.”टेंडर 12 मार्च 2024 को जारी किया गया, जिसे 8 मई तक अंतिम रूप दिया गया और 15 मई को आपूर्ति शुरू की गई. कंपनी 319 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से गाय के घी की आपूर्ति करने पर सहमत हुई.टीटीडी ने घी के नमूनों की जांच के लिए गुजरात की नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की काफ़ लैब (सेंटर फॉर एनॉलिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फ़ूड) को भेजा था.रिपोर्ट में कहा गया है कि 17 जुलाई को नमूने मिले और 23 जुलाई को जांच पूरी की गई.यह रिपोर्ट वॉटर एंड फ़ूड एनॉलिसिस लैबोरेटरी, टीटीडी के नाम से बाहर आई. इसमें संलग्नक 1 ही विवाद का केंद्र है.


इसमें कहा गया है, “घी में 'एस वैल्यू' कभी कभी ऊपर या नीचे होती है. अगर ऐसा है तो माना जाना चाहिए कि घी में बाहरी चर्बी मिलाई गई है.”लैब रिपोर्ट के अनुसार, 'एस वैल्यू' के आधार पर नमूने सभी पांच पैमाने पर असफल रहे.हालांकि रिपोर्ट में वनस्पति तेल और जानवरों की चर्बी दोनों की मिलावट की बात कही गई है.पहला पैमाना था- सोयाबीन, सूरजमुखी, रेपसीड, जैतून, कॉटन सीड, मछली के तेल आदि की मिलावट.दूसरा पैमाना था- नारियल और पाम के बीज के फ़ैट की मिलावट.तीसरा पैमाना बीफ़ फ़ैट (गाय की चर्बी) और पॉम ऑयल की मिलावट को लेकर है.जबकि चौथे पैमाने में पोर्क टैलो (सूअर की चर्बी) की मिलावट की जांच शामिल थी. इसके अलावा समग्र रूप से मिलावट की जांच भी की गई.ये स्पष्ट नहीं है कि मिलावट की रिपोर्ट पॉम ऑयल की वजह से है या बीफ़ फ़ैट की वजह से.एनडीडीबी के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया, “हमें मिले नमूनों की जानकारी गोपनीय है. भेजने वाले की जानकारी और शहर का नाम नहीं है. हमें केवल नमूने मिले. लेकिन जांच के नतीजों पर हम कुछ नहीं कहेंगे. कोई नहीं जानता कि नमूने कहां से आए.”


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