गर्मी की छुट्टियां मनाने जुटा था परिवार, 17 जिंदा जले:8 बच्चे भी शामिल, रातभर की थी मस्ती; मां से चिपकी 4 बच्चों की डेडबॉडी
‘जब हम घर के अंदर पहुंचे तो एक महिला अपने 4 बच्चों को जकड़े बैठी दिखी। ऐसा लगा मानो बच्चों को आग से बचा रही हो। करीब जाकर देखा तो पता चला कि पांचों की मौत हो चुकी है। हमने उनकी बॉडी बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन आग में झुलसकर बॉडी बिल्कुल अकड़ चुकी थी। उन्हें छूते ही शरीर से स्किन उतर रही थी।’ हैदराबाद के गुलजार हौज एरिया में कारोबारी प्रह्लाद मोदी के घर में 18 मई की सुबह भीषण आग लग गई। मीर जाहिद घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वालों में से थे। वे चारमीनार से दोस्तों के साथ चाय पीकर लौट रहे थे। तभी उन्हें महज 100 मीटर दूर कृष्ण पर्ल बिल्डिंग में आग लगने का पता चला। जाहिद बताते हैं कि एंट्री के लिए एक ही गेट था और वहीं आग लगी थी। इसलिए हमने बगल के मकान की दीवार तोड़ी और अंदर घुसे। हालांकि, हम घर में पहुंचे तब तक ज्यादातर लोगों की मौत हो चुकी थी। हादसे के वक्त घर में 21 लोग थे। इनमें से 17 की मौत हो गई। जाहिद और उनके दोस्तों ने मिलकर 13 लोगों की डेडबॉडी बाहर निकाली। चश्मदीदों के मुताबिक, वेंटिलेशन न होने से पूरा घर गैस चेंबर बना हुआ था। हादसे में लोगों की मौत झुलसने से नहीं, बल्कि दम घुटने की वजह से हुई। शुरुआती जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। घटना के पहले चश्मदीद बोले…
घर में एंट्री का एक ही दरवाजा, इसलिए इतनी मौतें हुईं
घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले जाहिद बताते हैं, 'हम पास से ही चाय पीकर लौट रहे थे। तभी पता चला कि कृष्णा पर्ल बिल्डिंग में आग लग गई है। वहां पहुंचे तो घर की दो महिलाएं बाहर आकर मदद के लिए जोर-जोर से चिल्ला रही थीं। घर में एंट्री के लिए एक ही दरवाजा था और वहां आग सबसे तेज थी।‘ ‘हमने पहले अंदर घुसने के लिए आस-पास की दुकानों और मकानों से रास्ता तलाशा। कोई जगह न मिलने पर बगल के मकान की दीवार तोड़ी, तब हम घर में दाखिल हो सके। ये सब करने में हमें करीब 45 मिनट का वक्त लग गया। घर के अंदर धुआं ही धुआं भरा था।‘ जाहिद बताते हैं, ‘जब हम बिल्डिंग की पहली मंजिल पर पहुंचे तो फर्श पर बैठी एक महिला ने बच्चों को अपने हाथों में जकड़ रखा था। उनमें दो लड़कियां, एक लड़का और एक छोटा बच्चा था। वो शायद बच्चों को आग की लपटों से बचाने की कोशिश कर रही होगी। उसके हाथ में फोन था, जिसकी टॉर्च जल रही थी।‘ ‘हमने उन्हें उठाने की कोशिश की तो वो इतने झुलस चुके थे कि स्किन हाथ में आ गई। हमने उनके ऊपर चादर डालकर उन्हें घर से बाहर निकाला। इसके बाद हम ऊपर के कमरे में गए। वहां भी एक कमरे से हमें 7 लोगों की डेडबॉडी मिली। कमरे में इतना धुआं भरा था कि इनकी मौत दम घुटने से ही हो गई होगी।‘ ‘फायर फाइटर्स टीम के अफसरों का कहना है कि नीचे से 4 और लोगों की डेडबॉडी निकाली गई है।‘ रास्ता संकरा था, इसलिए फायर ब्रिगेड को पहुंचने में टाइम लगा
इस अग्निकांड के चश्मदीद मोहम्मद इलियास बताते हैं, ‘मैं यहां सुबह 6:15 बजे पहुंचा। कृष्णा पर्ल के ठीक सामने मेरी दुकान है। मैंने देखा कि घर के एंट्री पॉइंट से आग की लपटें निकल रही थीं। 3-4 लोग बाहर आ गए थे। उन्हें आग बुझाने के लिए कुछ नहीं मिला तो उन्होंने पास से गुजर रहे बिसलरी के वाटर जार की गाड़ी ही रोक ली।‘ ‘घर में ज्यादातर लकड़ी का सामान था इसलिए आग फैलती ही चली गई। आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया। 5-10 मिनट बाद ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी आ गई, लेकिन संकरे रास्ते की वजह से अंदर पहुंचने में देर लगी।‘ ‘फायर ब्रिगेड की टीम ने घायलों को पहले पास के प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। वहां डेथ कंफर्म होने के बाद उन्हें उस्मानिया हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया।‘ इलियास बताते हैं, ‘घर में दाखिल होने का एक ही दरवाजा था। इसी वजह से ज्यादा दिक्कत हुई। आग बुझने के बाद जब हम अंदर पहुंचे तो देखा कि ज्यादातर लोगों की बॉडी आग की तपिश के कारण अकड़ गई थी। उनकी स्किन शरीर से अलग हो रही थी। तब भी इतना धुआं भरा था कि हमारे लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा था।‘ छुट्टियों में इकट्ठा हुआ था परिवार
पड़ोस में रहने वाले रमनलाल जैन कहते हैं कि मरने वाले 17 लोगों में ज्यादातर रिश्तेदार थे। इसके अलावा घर में काम करने वाले नौकर भी थे। वे बताते हैं, ‘आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट हो सकती है। घर का गेट छोटा था। वेंटिलेशन की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी। एक ही एग्जिट था। शटर आमतौर पर बंद रहता था। इसीलिए हादसा इतना भयानक हो गया।‘ इसी एरिया में ऑटो चलाने वाले मुजाहिद आग की चपेट में आने वाले परिवार को पिछले 3 साल से जानते थे। वे बताते हैं कि आमतौर पर घर में 10 लोग रहते थे। गर्मी की छुट्टियां हैं इसलिए रिश्तेदार भी आए हुए थे। बच्चे बाहर पढ़ते थे। वो भी छुट्टियों में घर आ गए थे। रात भर सबने खूब मस्ती की, सुबह साथ जली चिताएं
हादसे के वक्त व्यवसायी प्रह्लाद मोदी की दोनों बेटियां शीतल और रजनी भी बच्चों के साथ मायके आई हुई थीं। उनकी तीसरी बेटी आशा, मूसाबाग में रहती है। हादसे के वक्त आशा का बेटा प्रथम और बेटी कृष्णा पर्ल में नाना के घर ही थे। वो भी आग की चपेट में आ गए। परिवार के बाकी सदस्यों के साथ पुराना पुल श्मशान घाट पर उनका भी अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, तीन छोटे बच्चों के शव दफनाए गए। प्रह्लाद मोदी के चचेरे भाई गोविंद मोदी ने बताया, ‘हमारे पूर्वज करीब एक सदी पहले हैदराबाद आए थे और यहीं बस गए। हमारा परिवार तब से चारमीनार के पास ही रह रहा है। प्रह्लाद के परिवारवाले शहर के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं। वीकेंड पर सभी प्रह्लाद के घर पर इकट्ठा होते थे। बच्चों ने शनिवार को रात भर मस्ती की। किसे पता था कि सुबह होते ही सब खत्म हो जाएगा।‘ फायर ब्रिगेड की 11 गाड़ियों ने बुझाई आग
फायर ब्रिगेड के अफसरों ने बताया, ‘शुरुआती जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है। हालांकि, घर के अंदर फंसे लोगों की मौत आग लगने की वजह से नहीं बल्कि धुआं भरने के कारण दम घुटने से हुई। घर में AC चल रहे थे, जिसकी वजह से सभी खिड़कियां और दरवाजे बंद थे।‘ घर मे
‘जब हम घर के अंदर पहुंचे तो एक महिला अपने 4 बच्चों को जकड़े बैठी दिखी। ऐसा लगा मानो बच्चों को आग से बचा रही हो। करीब जाकर देखा तो पता चला कि पांचों की मौत हो चुकी है। हमने उनकी बॉडी बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन आग में झुलसकर बॉडी बिल्कुल अकड़ चुकी थी। उन्हें छूते ही शरीर से स्किन उतर रही थी।’ हैदराबाद के गुलजार हौज एरिया में कारोबारी प्रह्लाद मोदी के घर में 18 मई की सुबह भीषण आग लग गई। मीर जाहिद घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वालों में से थे। वे चारमीनार से दोस्तों के साथ चाय पीकर लौट रहे थे। तभी उन्हें महज 100 मीटर दूर कृष्ण पर्ल बिल्डिंग में आग लगने का पता चला। जाहिद बताते हैं कि एंट्री के लिए एक ही गेट था और वहीं आग लगी थी। इसलिए हमने बगल के मकान की दीवार तोड़ी और अंदर घुसे। हालांकि, हम घर में पहुंचे तब तक ज्यादातर लोगों की मौत हो चुकी थी। हादसे के वक्त घर में 21 लोग थे। इनमें से 17 की मौत हो गई। जाहिद और उनके दोस्तों ने मिलकर 13 लोगों की डेडबॉडी बाहर निकाली। चश्मदीदों के मुताबिक, वेंटिलेशन न होने से पूरा घर गैस चेंबर बना हुआ था। हादसे में लोगों की मौत झुलसने से नहीं, बल्कि दम घुटने की वजह से हुई। शुरुआती जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। घटना के पहले चश्मदीद बोले…
घर में एंट्री का एक ही दरवाजा, इसलिए इतनी मौतें हुईं
घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले जाहिद बताते हैं, 'हम पास से ही चाय पीकर लौट रहे थे। तभी पता चला कि कृष्णा पर्ल बिल्डिंग में आग लग गई है। वहां पहुंचे तो घर की दो महिलाएं बाहर आकर मदद के लिए जोर-जोर से चिल्ला रही थीं। घर में एंट्री के लिए एक ही दरवाजा था और वहां आग सबसे तेज थी।‘ ‘हमने पहले अंदर घुसने के लिए आस-पास की दुकानों और मकानों से रास्ता तलाशा। कोई जगह न मिलने पर बगल के मकान की दीवार तोड़ी, तब हम घर में दाखिल हो सके। ये सब करने में हमें करीब 45 मिनट का वक्त लग गया। घर के अंदर धुआं ही धुआं भरा था।‘ जाहिद बताते हैं, ‘जब हम बिल्डिंग की पहली मंजिल पर पहुंचे तो फर्श पर बैठी एक महिला ने बच्चों को अपने हाथों में जकड़ रखा था। उनमें दो लड़कियां, एक लड़का और एक छोटा बच्चा था। वो शायद बच्चों को आग की लपटों से बचाने की कोशिश कर रही होगी। उसके हाथ में फोन था, जिसकी टॉर्च जल रही थी।‘ ‘हमने उन्हें उठाने की कोशिश की तो वो इतने झुलस चुके थे कि स्किन हाथ में आ गई। हमने उनके ऊपर चादर डालकर उन्हें घर से बाहर निकाला। इसके बाद हम ऊपर के कमरे में गए। वहां भी एक कमरे से हमें 7 लोगों की डेडबॉडी मिली। कमरे में इतना धुआं भरा था कि इनकी मौत दम घुटने से ही हो गई होगी।‘ ‘फायर फाइटर्स टीम के अफसरों का कहना है कि नीचे से 4 और लोगों की डेडबॉडी निकाली गई है।‘ रास्ता संकरा था, इसलिए फायर ब्रिगेड को पहुंचने में टाइम लगा
इस अग्निकांड के चश्मदीद मोहम्मद इलियास बताते हैं, ‘मैं यहां सुबह 6:15 बजे पहुंचा। कृष्णा पर्ल के ठीक सामने मेरी दुकान है। मैंने देखा कि घर के एंट्री पॉइंट से आग की लपटें निकल रही थीं। 3-4 लोग बाहर आ गए थे। उन्हें आग बुझाने के लिए कुछ नहीं मिला तो उन्होंने पास से गुजर रहे बिसलरी के वाटर जार की गाड़ी ही रोक ली।‘ ‘घर में ज्यादातर लकड़ी का सामान था इसलिए आग फैलती ही चली गई। आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया। 5-10 मिनट बाद ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी आ गई, लेकिन संकरे रास्ते की वजह से अंदर पहुंचने में देर लगी।‘ ‘फायर ब्रिगेड की टीम ने घायलों को पहले पास के प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। वहां डेथ कंफर्म होने के बाद उन्हें उस्मानिया हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया।‘ इलियास बताते हैं, ‘घर में दाखिल होने का एक ही दरवाजा था। इसी वजह से ज्यादा दिक्कत हुई। आग बुझने के बाद जब हम अंदर पहुंचे तो देखा कि ज्यादातर लोगों की बॉडी आग की तपिश के कारण अकड़ गई थी। उनकी स्किन शरीर से अलग हो रही थी। तब भी इतना धुआं भरा था कि हमारे लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा था।‘ छुट्टियों में इकट्ठा हुआ था परिवार
पड़ोस में रहने वाले रमनलाल जैन कहते हैं कि मरने वाले 17 लोगों में ज्यादातर रिश्तेदार थे। इसके अलावा घर में काम करने वाले नौकर भी थे। वे बताते हैं, ‘आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट हो सकती है। घर का गेट छोटा था। वेंटिलेशन की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी। एक ही एग्जिट था। शटर आमतौर पर बंद रहता था। इसीलिए हादसा इतना भयानक हो गया।‘ इसी एरिया में ऑटो चलाने वाले मुजाहिद आग की चपेट में आने वाले परिवार को पिछले 3 साल से जानते थे। वे बताते हैं कि आमतौर पर घर में 10 लोग रहते थे। गर्मी की छुट्टियां हैं इसलिए रिश्तेदार भी आए हुए थे। बच्चे बाहर पढ़ते थे। वो भी छुट्टियों में घर आ गए थे। रात भर सबने खूब मस्ती की, सुबह साथ जली चिताएं
हादसे के वक्त व्यवसायी प्रह्लाद मोदी की दोनों बेटियां शीतल और रजनी भी बच्चों के साथ मायके आई हुई थीं। उनकी तीसरी बेटी आशा, मूसाबाग में रहती है। हादसे के वक्त आशा का बेटा प्रथम और बेटी कृष्णा पर्ल में नाना के घर ही थे। वो भी आग की चपेट में आ गए। परिवार के बाकी सदस्यों के साथ पुराना पुल श्मशान घाट पर उनका भी अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, तीन छोटे बच्चों के शव दफनाए गए। प्रह्लाद मोदी के चचेरे भाई गोविंद मोदी ने बताया, ‘हमारे पूर्वज करीब एक सदी पहले हैदराबाद आए थे और यहीं बस गए। हमारा परिवार तब से चारमीनार के पास ही रह रहा है। प्रह्लाद के परिवारवाले शहर के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं। वीकेंड पर सभी प्रह्लाद के घर पर इकट्ठा होते थे। बच्चों ने शनिवार को रात भर मस्ती की। किसे पता था कि सुबह होते ही सब खत्म हो जाएगा।‘ फायर ब्रिगेड की 11 गाड़ियों ने बुझाई आग
फायर ब्रिगेड के अफसरों ने बताया, ‘शुरुआती जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है। हालांकि, घर के अंदर फंसे लोगों की मौत आग लगने की वजह से नहीं बल्कि धुआं भरने के कारण दम घुटने से हुई। घर में AC चल रहे थे, जिसकी वजह से सभी खिड़कियां और दरवाजे बंद थे।‘ घर में सिर्फ एक ही एंट्री और एग्जिट गेट था। इसकी वजह से बिल्डिंग में तेजी से धुआं भरा। अंदर फंसे लोगों को बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिल पाया। फायर ब्रिगेड की टीम को भी दीवार तोड़कर अंदर जाना पड़ा। तेलंगाना फायर एंड डिजास्टर रिस्पांस के डायरेक्टर जनरल वाई नागी रेड्डी ने बताया, ‘रविवार सुबह 06:16 बजे आग लगने की खबर मिली। मोगलपुरा वाटर टेंडर और उसका क्रू तुरंत घटनास्थल पर पहुंचा। आग ग्राउंड फ्लोर पर लगी और ऊपर की मंजिल तक फैल गई। आग बुझाने का काम, सर्चिंग और रेस्क्यू सब एक साथ किया गया।‘ ‘पहली मंजिल पर फंसे 17 लोगों को फायर ब्रिगेड की टीम ने बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। हालांकि, सभी 17 लोगों की मौत हो गई। घटनास्थल पर कम से कम 11 फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भेजी गईं। कुछ लोकल लोगों ने दावा किया कि दमकल गाड़ियों में पानी खत्म हो गया था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।‘ BJP नेता का आरोप- न टाइम पर फायर ब्रिगेड पहुंची, न मदद के लिए पुलिस
मामले को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। BJP लीडर मेघा रानी अग्रवाल ने चारमीनार में आग की घटना को लेकर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘आग कहीं भी लग सकती है, लेकिन जरूरी ये है कि बचाव के क्या इंतजाम थे। दुकानदार पहले से वोल्टेज में उतार-चढ़ाव की दिक्कतों पर ध्यान दिलाते रहे हैं, जिससे आग लग सकती है।‘ ‘ये चारमीनार जैसे व्यस्त इलाके में चौथी घटना है। इसके बावजूद फायर ब्रिगेड की स्थायी व्यवस्था नहीं है। खबर के बाद भी दमकल की गाड़ी एक घंटे बाद पहुंची। उसमें भी पानी नहीं था। रेस्क्यू टीम के पास सुरक्षा जैकेट तक नहीं थे। दमकलकर्मी बिना सुरक्षा उपकरण के खड़े रहे। स्थानीय लोगों ने जान जोखिम में डालकर शव निकाले।‘ पुलिस पर सवाल उठाते हुए वो कहती हैं, ‘पुलिस स्टेशन घटनास्थल से सिर्फ 100 मीटर दूर था, फिर भी वहां सिर्फ दो कॉन्स्टेबल पहुंचे। घटनास्थल के पास पुलिस ट्रेनिंग सेंटर और साउथ जोन हेडक्वार्टर है। फिर भी वहां से कोई मदद नहीं मिली। SP और DCP दफ्तर भी पास हैं, फिर भी हालात पर तुरंत काबू नहीं हो सका।‘ PM मोदी और CM रेवंत रेड्डी ने घटना जताया शोक
PM नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताया और मृतक के परिवारों को मुआवजा देने का ऐलान किया है। PMO ने X पर लिखा – हैदराबाद में आग की घटना में लोगों की मौत से बहुत दुख हुआ। जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उन्हें संवेदनाएं। घायलों के जल्दी ठीक होने की कामना करता हूं। प्रधानमंत्री राहत कोष से मरने वालों के परिवार को 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए की मदद दी जाएगी। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने भी हादसे पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि वे पीड़ितों के परिवार के साथ खड़े हैं। CM ने अधिकारियों को घायलों को बेहतर इलाज दिलाने का आदेश दिया। फायर फाइटर्स को बेहतर ट्रेनिंग देने की जरूरत
केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी गुलजार हाउस में मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि पीड़ित आरोप लगा रहे हैं कि फायर फाइटर्स ने रेस्क्यू में देरी की। इसलिए जिन्हें बचाया जा सकता था, उन्हें भी नहीं बचा सके। फायर फाइटर्स को बेहतर उपकरण और ट्रेनिंग देने की जरूरत है। साथ ही दमकल विभाग को अपनी तकनीक में सुधार करने की जरूरत है, ताकि ऐसी हादसों के वक्त हालात जल्दी कंट्रोल में किया जा सके। हैदराबाद के बाजार घाट में हो चुका है ऐसा अग्निकांड
हैदराबाद के गुलजार हौज में हुए अग्निकांड की तरह 2023 में बाजार घाट के एक मकान में आग लगी थी। इस हादसे में भी एक ही परिवार के 10 में से 9 लोगों की मौत हो गई थी। घर में आग गैरेज में अवैध रूप से रखे पटाखों के कारण लगी थी। जिस तरह वीकेंड पर प्रह्लाद मोदी का पूरा परिवार घर पर इकट्ठा हुआ था। उसी तरह 12 नवंबर 2023 को मोहम्मद आजम का परिवार भी छुट्टी बिताने के लिए उनके घर पर इकट्ठा हुआ था। उस रात लगी आग ने पूरे परिवार को चपेट में ले लिया था। इससे पहले, सितंबर 2022 में सिकंदराबाद के भोईगुड़ा इलाके में एक कबाड़ गोदाम में आग लगने से 11 मजदूरों की मौत हो गई थी। वहीं, अग्निशमन विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि हैदराबाद में 2024 में आग की घटनाओं में कुल 40 लोगों की जान जा चुकी है। ............................ ये खबर भी पढ़ें... कोलकाता के होटल में 14 मौतों का जिम्मेदार कौन कोलकाता के भीड़भाड़ वाले बड़ा बाजार के दुकानदार ऋतुराज होटल में हुए अग्निकांड को याद कर सिहर उठते हैं। 29 अप्रैल को हुए इस हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई और 13 लोग घायल हुए हैं। ज्यादातर लोगों की मौत धुएं के बीच दम घुटने से या फिर बचने की कोशिश में बिल्डिंग से गिरने से हुई। होटल के 42 कमरों में 88 लोग ठहरे थे। पढ़िए पूरी खबर...