कांग्रेस में जाएंगे भाजपाई !

ना काहू से बैर/राघवेंद्र सिंह
भाजपा में दुखी
और असंतुष्ट नेता कार्यकर्ताओं की लंबी फेहरिस्त है। बुंदेलखंड से लेकर महाकौशल और मालवा तक में
नाराज भाजपाई बगावत के मूड में है टिकट काटे गए अथवा दावेदारों को तवज्जो नहीं
मिली तो बड़े-बड़े नेताओं के पुत्र कांग्रेस और आम आदमी पाले में चले जाएं तो हैरत
नहीं होगी। भाजपा का सारा प्रबंधन अभी तक तो बहुत कमजोर हो रहा है। पार्टी और संघ
के नेता अभी भी भोजन बैठक और विश्राम के मोड से बाहर नहीं आए हैं। लग्जरी गाड़ियों
और ऐसी चैंबरों का मोह छोड़कर गली-गली और गांव का धूल फांके व पसीना बहाए बगैर ना
तो कार्यकर्ताओं से संपर्क और संवाद हो पाएगा और ना बागियों को समझने समझाने का
मिशन पूरा होगा। भ्रष्टाचार और पक्षपात के मुद्दे पर चुनाव जिताने वाले खाटी
भाजपाइयों की जली कटी सुने बगैर पार्टी को जीत के रास्ते पर आना कठिन दिखाई पड़
रहा है। कह सकते हैं कि बहुत कठिन डगर पनघट की। जैसे जैस चुनाव का समय नजदीक आ रहा
है टीम अमित शाह को मध्य प्रदेश कठिन से कठिन तम होता दिख रहा होगा। क्योंकि शाह
के अध्यक्ष जी कार्यकाल से लेकर गृहमंत्री के दौर तक जो ऊंच-नीच प्रदेश संगठन के
साथ हुई है उसके लिए शाह भी जिम्मेदारी से बचने नही सकते। सबको लगता होगा मप्र
भाजपा के कार्यकर्ता गुलाब जामुन की तरह नरम और मीठे हैं जब जरूरत पड़ेगी गप्प कर
जाएंगे। मगर सीधे दिखने वाले अपने साथ हर बार ऐसा नही होने देते। अभी तक तो ऐसा ही
लग रहा है। हालात "आग का दरिया है और डूब कर जाने" से बने हुए हैं…
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