भागवत कथा में हुआ रुक्मणी मंगल का सुंदर आयोजन
अनमोल संदेश, खंडवा श्री हाटकेश्वर नगर महिला मंडल द्वारा आयोजित भागवत कथा में छठवें दिन पंडित भूपेंद्र पाराशर ने भगवान के महारास का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गोपियों के हृदय से वासनाएं दूर कर ईश्वर भक्ति की ज्योति जलाने का आयोजन है महारास जिसका वर्णन सुनने से मस्तिष्क से काम ज्वर समाप्त हो जाता है। इस महारास में भगवान भोलेनाथ भी सम्मिलित हुए थे और वे ब्रज मंडल में आज भी गोपेश्वर के रूप में विराजित है जिनका सायंकालीन श्रृंगार सखी रूप में किया जाता है। इसके बाद जब कंस ने है मेले के बहाने कृष्ण को बुलाने अक्रूर जी को भेजा तो यशोदा मैया और नंद बाबा ने रोते हुए उन्हें मथुरा के लिए विदा किया। बृज के गोप गोपी और गाय बछड़े भी रथ के सामने खड़े हो गए कि हम कान्हा को नहीं जाने देंगे। पर गोप सुबल के ब्रज को दिए गए कान्हा से 100 वर्षों के बिछोह के श्राप के कारण भगवान ब्रजमंडल से मथुरा आना ही पड़ता है। भगवान की इस लीला का भावप्रवण वर्णन करने के बाद मथुरा जाकर भगवान ने दासी कुब्जा का रोग दूर कर उसे सुंदरी बना दिया। अत्याचारी कंस का उद्धार किया और उग्रसेन जी को राजा बनाया। सांदीपनि आश्रम में अल्प काल में समस्त शिक्षा ग्रहण कर ली, यह वर्णन हुआ। मित्र उद्धव के अहंकार को समाप्त करने के लिए उसे बृज भेजा। जब उद्धव ने ब्रजवासियों का कृष्ण के प्रति प्रेम देखा तो उद्धव का ज्ञान इस अनन्य प्रेम के सामने नतमस्तक हो गया, उनके मन का अहंकार समाप्त हो गया और उन पर प्रेम का रंग चढ़ गया। जो उद्धव एक महीने के लिए ब्रजमंडल गए थे उनको वापस आने में 6 महीने लग गए। इसके बाद विदर्भ देश के महाराज भीष्मक की बेटी रुक्मणी से भगवान का विवाह हुआ जिसकी सजीव झांकी में सुमुख मंडलोई,अंशिका सोनी, आस्था पोद्दार एवं आस्था जोशी ने कृष्ण रुक्मिणी का रूप धारण किया। धूमधाम से भगवान कृष्ण की बारात निकाली गई।मंगलाष्टक वाचन एवं मधुर संगीत के साथ हुए विवाह समारोह में कथा में उपस्थित सभी भक्तों ने उल्लास पूर्वक भाग लिया। कथा के अंतिम दिन भगवान की लीलाओं के वर्णन के साथ फूलों की होली खेली जाएगी।
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