सॉफ्टवेयर पकड़ लेगा वाहनों की रफ्तार, मोबाइल पर आएगा चालान

अनमोल संदेश, भोपाल
प्रदेश में यातायात पुलिस के लिए सड़क पर अधिक स्पीड में चलने वाले वाहनों का चालान बनाना एक बड़ी चुनौती है। कई बार पुलिस को स्पीड वाहनों की धरपकड़ करने में जोखिम भी उठाना पड़ता है। पिछले दिनों पुलिस परिवहन एवं शोध संस्थान ने एक प्रस्ताव बनाकर भेजा है। इस प्रस्ताव में उल्लेख है कि प्रदेश में बड़े शहर भोपाल, इंदौर, जबलपुर , ग्वालियर जहां ट्रैफिक का दबाब अधिक है। वहां ओवर स्पीड को पकडऩे के लिए सिटी सर्विलांस सिस्टम और इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेट सिस्टम से साफ्टवेयर एनालिटिक्स को कनेक्ट किया जाएगा। इससे तिराहे और चौराहों पर लगे एएनपीआर वाले कैमरों में लगे सेंसर वाहनों की ओवर स्पीड पकड़ सकेंगे। यातयात पुलिस को वाहन चालक का पूरा डाटा मिल जाएगा। इसी आधार पर ऑनलाइन चालान संबंधित वाहन नंबर के आधार पर जनरेट कर दिया जाएगा। वहीं आपके मोबाइल नंबर पर चालानी राशि डिडेक्ट होने का मैसेज आ जाएगा। इसका बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों को सड़क पर वाहन चलाते समय इस बात पर डर रहेगा कि ओवर स्पीड हुए तो किसी भी वक्त उनके मोबाइल पर चालान डिस्प्ले हो जाएगा। इतना ही नहीं यह चालान वाहन चालक को अनिवार्य रूप से भरना पड़ेगा नहीं तो व्हीकल रजिस्ट्रेशन तक कैंसिल होने की कार्रवाई होगी। हाईकोर्ट भी ओवर स्पीड के मामलों में सख्ती दिखा चुका है। इस लिए अब पुलिस ने ओवर स्पीड पर अपना फोकस कर दिया है।
ओवर स्पीड दुर्घटनाओं की वजह
सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह ओवर स्पीड निकलकर सामने आ रही है। इसके लिए पुलिस कई बार सड़क दुर्घटनाओं का आकलन कर चुकी है। इतना ही नहीं दुर्घटनाओं का ग्राफ भी लगातार बढ़ा है। भोपाल में तीन साल के सड़क हादसों की मौतों का ग्राफ देखे तो 944 लोगों की जाने गई हैं। वहीं जबलपुर में सड़क हादसों में 1449 और ग्वालियर में 1056 जानें गई है। इसके अलावा इंदौर जिले की स्थिति देखे तो तीन साल के सड़क हादसों में 1762 मौते हुई हैं । वहीं विगत वर्ष 2023 के सड़क दुर्घटनाओं के ग्राफ पर नजर डाली जाय तो भोपाल में 3414, जबलपुर में 4199 , ग्वालियर में 2064 और इंदौर में 4968 के मामले दर्ज हुए हैं। यह तो केवल चार शहरों के मामले में हैं, पूरे प्रदेश का आंकड़ा तो इससे कहीं ज्यादा है।
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