प्रतिनिधि सभा में लोकसभा चुनाव की भी बनेगी रणनीति

संघ की तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक अगले माह
अनमोल संदेश, भोपाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक 15 मार्च से शुरू होगी। यह बैठक नागपुर में होने वाली है। इस बैठक को चुनावी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसकी वजह है संघ जहां अगले साल मनाए जाने वाले स्थापना दिवस के कार्यक्रम की रूपरेखा तय करेगा, वहीं इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भी मंथन किया जाएगा। इसके अलावा बैठक में सरकार्यवाह का निर्वाचन भी होगा। माना जा रहा है कि निर्वाचन की महज औपचारिकता की जाएगी और मौजूदा सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले को ही पद पर बरकरार रखा जाएगा। दरअसल इस पद के लिए हर तीन साल में निर्वाचन होता है। होसबले को 2021 में बेंगलुरु की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भैया जी जोशी की जगह सरकार्यवाह चुना गया था। दरअसल, अगले साल संघ अपनी स्थापना के 100 साल पूरा करने वाला है। इस उपलक्ष्य में संघ सालभर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करने वाला है। संघ शताब्दी समारोह के बहाने अपने सामाजिक आधार को बढ़ाने की कवायद कर रहा है। इसके तहत वह आदिवासियों और दलितों के बीच अपना नेटवर्क मजबूत करेगा। इसके लिए क्या कदम उठाए जाएं,इस पर भी मंथन किया जाएगा। इसके अलावा बैठक में छोटी टोलियों और नित्य प्रतिदिन लगने वाली शाखाओं में वृद्वि पर भी फोकस किया जाएगा।
सरकार्यवाह का भी होगा चयन
क्या है प्रतिनिधि सभा?
आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक सालभर में एक बार होने वाली मीटिंग है, जहां पिछले साल की सभी गतिविधियों की समीक्षा की जाती है और आने वाले साल के लिए प्लान तैयार किया जाता है। प्रतिनिधि सभा की बैठक तीन दिनों की होती है और ये हर साल मार्च में आयोजित की जाती है। इसी बैठक में संघ के बड़े फैसले लेती है। जिसमें संघ के शिक्षा वर्ग की योजना भी बनती है। संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष तो अलग-अलग प्रांतो में लगते हैं, लेकिन तृतीय वर्ष आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में ही लगता है। यह गर्मीयों में ही लगाए जाते हैं।
इस बैठक में कौन-कौन होता है शामिल?
आरएसएस की भौगोलिक संरचना देश की राज्य व्यवस्था या भौगोलिक संरचना से थोड़ी अलग होती है। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में लगभग हर जिले का प्रतिनिधित्व होता है। बैठक में ज्यादातर सक्रिय स्वयंसेवक शामिल होते हैं। इस बैठक में करीब 50 सक्रिय स्वयंसेवकों का प्रतिनिधित्व एक प्रतिनिधि करता है, जबकि हर एक अखिल भारतीय प्रतिनिधि 20 प्रांतों का प्रतिनिधित्व करता है। कुल मिलाकर संघ की इस बैठक में देशभर के 1400 प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्रीय कार्यकारिणी और प्रांत कार्यकारिणी, प्रतिनिधि सभा के निर्वाचित सदस्य और सभी विभाग प्रचारक शामिल होते हैं।
लोकसभा चुनाव पर भी होगा मंथन
संघ द्वारा भाजपा को गैर हिंदी और गैर हिंदू प्रदेशों में अपना नेटवर्क बढ़ाने को पहले ही कहा जा चुका है। इन प्रदेशों में भाजपा के प्रभाव का आंकलन पर भी चर्चा की जाएगी। इस बैठक के पूर्व परंपरा अनुसार संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक भी होगी। जिसमें लोकसभा चुनाव के संदर्भ में भी चर्चा होगी। माना जा रहा है कि जिस तरह से नरेन्द्र मोदी सरकार ने राम मंदिर, धारा 370 और तीन तलाक जैसे मामलों में काम किया है, उससे उत्साहित संघ चुनाव के दौरान पूरी क्षमता के साथ पर्दे के पीछे से भाजपा के पक्ष में काम करेगा। यह काम किस तरह से करना है, इस पर भी फैसला किया जाएगा।
दरअसल, संघ हमेशा भाजपा के लिए कमजोर माने जाने वाले कामों का जिम्मा उठाता है। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के अलावा करीब आधा दर्जन पदाधिकारी हिस्सा लेंगे। इस बैठक में अनेक केंद्रीय मंत्री भी समय-समय पर आ सकते हैं। इनमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे मंत्री शामिल हैं।
आनुशंगिक संगठन के कार्यकर्ता भी होते हैं शामिल
संघ के कई आनुशंगिक संगठन भी हैं, इसी में बीजेपी, एबीवीपी, वीएचपी जैसे संगठन शामिल हैं। बैठक में इन संगठनों के भी कार्यकर्ता शामिल होते हैं। बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, महासचिव बीएल संतोष और संयुक्त महासचिव शिव प्रकाश जैसे संगठन के नेता शामिल हो सकते हैं। विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों में सबसे ज्यादा 40 प्रतिनिधि विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के शामिल होते हैं। इसके अलावा प्रतिनिधि सभा की बैठक में पूर्व प्रांत प्रचारकों को भी बुलाया जाता है। आम प्रतिनिधि जहां तीन दिन बैठक में रहते हैं, वहीं उसके राष्ट्रीय पदाधिकारी तीन-चार दिन पहले पहुंच जाते हैं।