ग्रामीण गौशालाओं की सुध कब लेगी प्रदेश सरकार?

सोयाबीन के सूखे डंठलों से पेट भर रहे मवेशी
अनमोल संदेश, भोपाल
एक तरफ सरकार ने पूरे प्रदेश में सड़कों पर आवारा घूमते गौवंश की रक्षा के लिए ग्रामीण स्तर पर गौशालाओं का निर्माण कर उनके भरण-पोषण की व्यवस्था की है। इन गौशालाओं की देखरेख और गौवंश के चारे-पानी आदि की व्यवस्था की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायतों को सौंपी गई है।
भोपाल जिले में भी गांव-गांव में गौशालाएं संचालित हैं, लेकिन यहां व्यवस्थाओं के नाम पर चारा रहित गोदाम और पानी रहित नांद(हौज) के अलावा कुछ नजर नहीं आता। राजधानी की सबसे नजदीकी जनपद पंचायत के अंतर्गत लाम्बाखेड़ा न्यू बायपास रोड स्थित अरवलिया की गौशाला हो या 20 किमी दूर ग्राम पंचायत कुठार में पंचायत द्वारा संचालित गौशाला, कहीं भी गायों के चारा-पानी की व्यवस्था नहीं है। ग्राम पंचायत कुठार में करीब चार साल पहले गौशाला का निर्माण कराया गया है। यहां वर्तमान में 80 से अधिक गौवंश को रखा गया है, जिनकी देखरेख के लिए दैनिक वेतन पंचायत द्वारा कर्मचारी भी रखे गए हैं। गौशाला की स्थिति यह है कि यहां चारे के नाम पर सोयाबीन के सूखे और अधकुचले डंठलों के ढेर हैं। इसके अलावा हरा चारा तो क्या सूखा घास या भूसे का एक तिनका भी स्टाक में नहीं है। विडंबना यह है कि प्रदेश सरकार और गौ माता की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाले संगठन गौशालाओं की अव्यवस्था और गौवंश की दुर्दशा पर पूरी तरह खामोश हैं। उधर गौशालाओं में भुखमरी का शिकार गौवंश का वंश खत्म होने के कगार पर है, क्यों कि उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
फंड नहीं तो कैसे हो व्यवस्था : सरपंच
ग्राम पंचायत कुठार की सरपंच लक्ष्मी मीना ने बताया कि यहां करीब चार साल से यहां गौशाला का संचालन पंचायत द्वारा किया जा रहा है। पहले पूर्व सरपंच मुकेश अहिरवार के नेतृत्व में गौशाला संचालित थी, अब भी सरपंच को ही इसका जिम्मा सौंपा गया है। विडंबना यह है कि गौवंश के संरक्षण और देखरेख का दायित्व तो सौंपा, लेकिन सरकार से गौशाला के संचालन हेतु पर्याप्त फंड की व्यवस्था नहीं की गई है। पहले बारिश के दौरान तो गौशाला से बाहर खुले मैदान में चरने के लिए छोड़ दिया जाता था, ताकि मवेशी हरे चारे से ही पेट भर सके। अब बारिश के बाद मवेशी के भरण-पोषण की समस्या तेजी से बढ़ गई है। सरपंच लक्ष्मी मीना ने बताया कि शासन से फंड मिलते ही गौवंश के लिए चारा-भूसा की पर्याप्त व्यवस्था कर ली जाएगी।
गौशाला में मवेशी लावारिस, प्रशासन के कान बंद
उधर अरवलिया पंचायत के अंतर्गत न्यू बायपास रोड स्थित गौशाला में लगभग डेढ़ सौ अधिक आवारा गौवंश को रखा गया है। हालात ये हैं कि गौशाला में चारे के नाम पर पत्थर, गिट्टी और मुरम बिखरे पड़े हैं, जबकि घास, भूसा या हरा चारा यहां की मवेशी को शायद ही कभी मिला हो। लगता है जैसे गौशाला में गौसंरक्षण के नाम पर मवेशी को उम्रकैद या अंतिम सांस तक भूखे-प्यासे रहकर मौत की सजा दी गई हो। हालांकि इस गौशाला की व्यवस्थाओं को लेकर पहले भी कई बार आवाज उठाई गई, लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।
बैरसिया जैसी घटना का इंतजार
जिस तरह जिले के बैरसिया तहसील मुख्यालय पर एक गौशाला परिसर में बने कुंए मेंं दो सौ से अधिक गौवंश के कंकाल मिले, उसके बाद जिला प्रशासन की नींद खुली और आनन-फानन में जिला प्रशासन द्वारा एक भाजपा नेत्री के नेतृत्व में संचालित गौशाला में व्याप्त अनियमितताओं को संज्ञान में लेकर कार्यवाही की थी, उसी प्रकार स्थानीय और जिला प्रशासन को संभवत: बैरसिया जैसी घटना का ही इंतजार है।
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