सफाईकर्मियों को बरसाती बांटने में मची लूट:जबलपुर में सम्मान समारोह बना विवाद का मंच, विपक्ष ने कहा– शर्मनाक आयोजन
सफाईकर्मियों को बरसाती बांटने में मची लूट:जबलपुर में सम्मान समारोह बना विवाद का मंच, विपक्ष ने कहा– शर्मनाक आयोजन
जबलपुर नगर निगम द्वारा शहर के 5 हजार सफाई कर्मचारियों के सम्मान में आयोजित भव्य कार्यक्रम की तस्वीरें अब सवालों के घेरे में हैं। शुरुआत में मंच पर जहां सब कुछ गरिमा के साथ संचालित हो रहा था, वहीं कुछ देर बाद हालात पूरी तरह बिगड़ गए। बरसाती वितरण के दौरान अव्यवस्था इतनी बढ़ गई कि लूट जैसी स्थिति बन गई। सफाईकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की और छीना-झपटी के दृश्य सामने आए। इस घटनाक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसके बाद विपक्ष ने इसे ‘सम्मान नहीं, अपमान’ बताया और नगर निगम प्रशासन को घेरा। मंच पर मौजूद थे मंत्री, सांसद और महापौर दो दिन पहले घंटाघर स्थित कन्वेंशन सेंटर में नगर निगम द्वारा सफाईकर्मियों के सम्मान के लिए विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, सांसद आशीष दुबे, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, कई विधायक और निगमायुक्त भी मौजूद रहीं। मंच पर परम पूज्य संतों द्वारा एक साथ 5 हजार सफाई संरक्षकों का तिलक कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य सफाई कर्मचारियों का सामाजिक सम्मान बढ़ाना और उनके योगदान को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना था। मंचीय कार्यक्रम पूरी गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। लेकिन जब सम्मान स्वरूप कर्मचारियों को बरसातियां वितरित करने की बारी आई, तो व्यवस्थाएं बिखर गईं। बरसातियों के वितरण में दिखी लापरवाही जैसे ही बरसातियों का वितरण शुरू हुआ, मौके पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन्हें एक-एक कर देने की बजाय फैंकना शुरू कर दिया। इससे कर्मचारियों के बीच अफरा-तफरी मच गई। सफाईकर्मी बरसातियां पकड़ने के लिए एक-दूसरे पर टूट पड़े। यह दृश्य कैमरों में कैद हो गया और वीडियो सामने आते ही विपक्ष ने कार्यक्रम की नीयत पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। विपक्ष ने बताया-‘सम्मान नहीं, अपमान’ नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष अमरीश त्रिवेदी ने कहा- “सम्मान की बात कहकर कर्मचारियों को बुलाया गया, लेकिन उन्हें खुले में बरसातियां फेंककर दी गईं। यह अपमानजनक है। यह सिर्फ फोटो खिंचवाने और दिखावे का आयोजन था।” नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि “यदि कार्यक्रम में 5 हजार कर्मचारियों को आमंत्रित किया गया था, तो समान रूप से सम्मान देना नगर निगम की जिम्मेदारी थी। यह प्रशासनिक विफलता और कर्मचारियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा है।” महापौर ने वीडियो के बाद दी सफाई महापौर जगत बहादुर सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि “हमने यह कार्यक्रम पूरी ईमानदारी और सम्मान के भाव से किया था। वहां कोई लूट नहीं हुई। हो सकता है कुछ कर्मचारियों को समय पर उनका सामान न मिल पाया हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमने उनका अपमान किया है।” उन्होंने सफाई कर्मचारियों की तुलना देश के सैनिकों से करते हुए कहा- “जैसे सैनिक देश की सीमा की रक्षा करते हैं, वैसे ही सफाईकर्मी शहर को साफ-सुथरा रखते हैं। इसलिए समाज को भी उनके प्रति सम्मान और आदर रखना चाहिए।”
जबलपुर नगर निगम द्वारा शहर के 5 हजार सफाई कर्मचारियों के सम्मान में आयोजित भव्य कार्यक्रम की तस्वीरें अब सवालों के घेरे में हैं। शुरुआत में मंच पर जहां सब कुछ गरिमा के साथ संचालित हो रहा था, वहीं कुछ देर बाद हालात पूरी तरह बिगड़ गए। बरसाती वितरण के दौरान अव्यवस्था इतनी बढ़ गई कि लूट जैसी स्थिति बन गई। सफाईकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की और छीना-झपटी के दृश्य सामने आए। इस घटनाक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसके बाद विपक्ष ने इसे ‘सम्मान नहीं, अपमान’ बताया और नगर निगम प्रशासन को घेरा। मंच पर मौजूद थे मंत्री, सांसद और महापौर दो दिन पहले घंटाघर स्थित कन्वेंशन सेंटर में नगर निगम द्वारा सफाईकर्मियों के सम्मान के लिए विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, सांसद आशीष दुबे, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, कई विधायक और निगमायुक्त भी मौजूद रहीं। मंच पर परम पूज्य संतों द्वारा एक साथ 5 हजार सफाई संरक्षकों का तिलक कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य सफाई कर्मचारियों का सामाजिक सम्मान बढ़ाना और उनके योगदान को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना था। मंचीय कार्यक्रम पूरी गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। लेकिन जब सम्मान स्वरूप कर्मचारियों को बरसातियां वितरित करने की बारी आई, तो व्यवस्थाएं बिखर गईं। बरसातियों के वितरण में दिखी लापरवाही जैसे ही बरसातियों का वितरण शुरू हुआ, मौके पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन्हें एक-एक कर देने की बजाय फैंकना शुरू कर दिया। इससे कर्मचारियों के बीच अफरा-तफरी मच गई। सफाईकर्मी बरसातियां पकड़ने के लिए एक-दूसरे पर टूट पड़े। यह दृश्य कैमरों में कैद हो गया और वीडियो सामने आते ही विपक्ष ने कार्यक्रम की नीयत पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। विपक्ष ने बताया-‘सम्मान नहीं, अपमान’ नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष अमरीश त्रिवेदी ने कहा- “सम्मान की बात कहकर कर्मचारियों को बुलाया गया, लेकिन उन्हें खुले में बरसातियां फेंककर दी गईं। यह अपमानजनक है। यह सिर्फ फोटो खिंचवाने और दिखावे का आयोजन था।” नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि “यदि कार्यक्रम में 5 हजार कर्मचारियों को आमंत्रित किया गया था, तो समान रूप से सम्मान देना नगर निगम की जिम्मेदारी थी। यह प्रशासनिक विफलता और कर्मचारियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा है।” महापौर ने वीडियो के बाद दी सफाई महापौर जगत बहादुर सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि “हमने यह कार्यक्रम पूरी ईमानदारी और सम्मान के भाव से किया था। वहां कोई लूट नहीं हुई। हो सकता है कुछ कर्मचारियों को समय पर उनका सामान न मिल पाया हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमने उनका अपमान किया है।” उन्होंने सफाई कर्मचारियों की तुलना देश के सैनिकों से करते हुए कहा- “जैसे सैनिक देश की सीमा की रक्षा करते हैं, वैसे ही सफाईकर्मी शहर को साफ-सुथरा रखते हैं। इसलिए समाज को भी उनके प्रति सम्मान और आदर रखना चाहिए।”