मरा नहीं, ज़िंदा है हसन नसरुल्लाह…जानिए इज़राइल के इतने भीषण हमले से भी कैसे बच निकला

इज़राइल ने लेबनान पर हमला कर यह सोचा कि उसने हिज़बुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह पर फतेह पा ली है। इजराइल ने लेबनान पर चीते की तरह उस पर झपटटा मारा, लेकिन वह लोमड़ी की तरह चकमा दे कर बच निकला। ध्यान रहे कि लेबनान में हिज़बुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह 1992 से कमान संभाल रहा है, जो लेबनान की मज़बूत राजनीतिक और सैन्य ताकत है। हसन नसरुल्लाह को न सिर्फ लेबनान बल्कि पश्चिम एशिया के प्रभावशाली लोगों में से एक माना जाता है। सैय्यद हसन नसरुल्लाह का जन्म 1960 में बेरुत में एक गरीब शिया परिवार में हुआ। बचपन से ही धर्म के प्रति झुकाव रखने वाले हसन को 1975 में शुरू हुए लेबनानी गृहयुद्ध ने बहुत प्रभावित किया। इज़राइली कब्जे का विरोध करने के लिए वह शिया मिलिशिया अमल में शामिल हुआ और फिर हिज़बुल्लाह में आया।
नसरुल्लाह के नेतृत्व में हिज़बुल्लाह की ताकत बढ़ी
साल 1992 में इज़राइली बलों ने हिज़बुल्लाह के उस वक्त के नेता सैय्यद अब्बास मुसावी की हत्या कर दी थी। इसके बाद हसन नसरुल्लाह ने इस गुट का नेतृत्व संभाला और हिज़बुल्लाह की सैन्य क्षमता और राजनीतिक प्रभाव बढ़ाया। उधर लेबनान में 2018 के संसदीय चुनावों में हिज़बुल्लाह ने दमदार जीत दर्ज की थी। नसरुल्लाह के नेतृत्व में हिज़बुल्लाह की राजनीतिक और सैन्य ताकत काफी बढ़ी है।
हिज़बुल्लाह के पास एक लाख लड़ाके!
साल 2021 के एक भाषण में हिज़बुल्लाह चीफ नसरुल्लाह ने दावा किया कि हिज़बुल्लाह के पास 1,00,000 लड़ाके हैं, जो इसे विश्व स्तर पर सबसे शक्तिशाली गैर-राज्य सशस्त्र समूहों में से एक बनाता है। इस क्षेत्र में हिज़बुल्लाह को ‘प्रतिरोध की धुरी’ के रूप में जाना जाता है। हिज़बुल्लाह को अमेरिका, यूके, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद और अधिकतर अरब लीग ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है। नसरुल्लाह का प्रभाव सैन्य संघर्ष से आगे तक है। उनके नेतृत्व में हिज़बुल्लाह लेबनानी राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है। उधर 1992 से लेबनान के संसदीय चुनावों में समूह की भागीदारी के बाद से उसने अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत कर ली है। माना जाता है कि लेबनान के शिया समुदाय के बीच नसरुल्लाह को काफी माना जाता है।
इज़राइल के साथ लंबा संघर्ष
नसरुल्लाह ने खुद इज़राइल का बचपन से विरोध किया है और उसके नेतृत्व में हिजबुल्लाह भी लगातार इज़राइल के साथ संघर्ष करता रहा है। इसमें कई बड़े टकराव भी शामिल है। इन संघर्षों के दौरान नसरुरल्लाह की लोकप्रियता को उसके समर्थकों में बढ़ाया है, खासकर उन लोगों के बीच जो हिज़बुल्लाह को इज़राइली कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक की तरह देखते हैं।
Files
What's Your Reaction?






