किसान अन्नदाता या वोटदाता ?

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर प्रदेश में किसान केंद्र बिंदु पर है... 2018 में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों की कर्जमाफी के साथ ही किसानों की आवक बढ़ाने को लेकर कई घोषणाएं की थी... जिसके बाद कांग्रेस 2018 में बड़ी बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुई थी... हालांकि सत्ता में आते ही शपथ ग्रहण के तुरंत बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों के कर्जमाफी की बड़ी सौगात दी थी... इसके साथ ही समर्थन मूल्य में रिकॉर्ड तोड़ किसानों की फसल खरीदी की गई... वहीं राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को आर्थिक लाभ भी दिया गया. लेकिन इस बार बीजेपी के लिए घोषणा पत्र बनाना एक बड़ी चुनौती है... किसानों को लेकर बीजेपी घोषणा पत्र में कांग्रेस से बड़े वादे करती है तो इसका लाभ निश्चित रूप से मिल सकता है... हालांकि किसानों को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि सरकार ने बड़े बड़े वादे किए लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया है... किसान पहले भी हमारी प्राथमिकता में था आगे भी प्राथमिकता में होगा. किसानों को आगे बढ़ाने का काम हम करेंगे.
छत्तीसगढ़ में अब तक हुए चुनाव में किसान हमेशा से प्राथमिकता में रहा है... हर बार दोनों प्रमुख पार्टी के घोषणा पत्र में किसानों को लेकर खास वादे देखने को मिलते है... सरकार ने चुनाव के ठीक पहले प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी की घोषणा कर दी है... वहीं किसानों को लेकर लिए जा रहे फैसले बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है... हालांकि बीजेपी किसानों को प्राथमिकता में रखने की बात जरूर कह रही है. वहीं बीजेपी के बयान पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है... कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस ने जो कहा है वह किया है... हमने 36 में से 34 वादों को पूरा किया है... अरुण साव हमारी नकल करके घोषणा पत्र बनाने जा रहे हैं. इसके लिए विश्वसनीयता कहां से लाएंगे. 2013 में दाना दाना धान खरीदने का वादा किया था. सरकार में आने के बाद 10 क्विंटल खरीदने का ऑर्डर निकाल दिया. कांग्रेस ने जब संघर्ष किया तब उसे 15 क्विंटल किया गया. अब हम 20 क्विंटल धान की खरीदी करने जा रहे हैं. बीजेपी सिर्फ कहती है. कांग्रेस जो कहती है वह करती है जो नहीं कहती है वह भी करती है...
चुनाव नजदीक है लिहाजा दोनों प्रमुख पार्टी हर वर्ग को साधने में लगी है... वहीं घोषणा पत्र को लेकर भी लगातार काम किया जा रहा है... बीजेपी जहां घोषणा पत्र को लेकर लोगों के बीच जा रही है तो वहीं किसानों को मुद्दा बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हुई है... क्या बीजेपी अपने घोषणा पत्र में किसानों को लेकर कोई बड़ा वादा करेगी यह तो घोषणा पत्र जारी होने के बाद ही स्पष्ट होगा.
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