51 प्रतिशत स्कूलों ने ही किया मान्यता के लिए आवेदन

अनमोल संदेश, भोपाल
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मान्यता नियमों में बदलाव को लेकर 30 जनवरी को हड़ताल की थी। इसके बाद 4 फरवरी को स्कूल संचालकों ने बीजेपी ऑफिस के सामने भी धरना दिया। मगर उसके बाद भी मान्यता नियमों में बदलाव नहीं हुआ है।
दूसरी तरफ मंगलवार तक करीब 51 प्रतिशत स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन कर दिया है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह की माने तो प्रदेश भर में कुल 34 हजार स्कूल हैं। जिसमें से 15 हजार से अधिक ने मान्यता के लिए अप्लाई किया है। बाकी स्कूल अभी अप्लाई नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सभी स्कूल संचालकों से गुजारिश की है कि वह जल्द से जल्द मान्यता के लिए अप्लाई करें। अजीत सिंह ने बताया कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पहली से आठवीं कक्षा तक मान्यता नवीनीकरण में जो तानाशाही दिखाई गई है, वह मध्य प्रदेश के स्कूल संचालकों, शिक्षकों एवं कार्यरत कर्मचारियों के दमन का रास्ता है। मध्य प्रदेश में लगभग 18,000 से अधिक स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। ये स्कूल विगत वर्षों से इसी विभाग से मान्यता प्राप्त कर संचालित हैं।
एक तरफ निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 कहता है कि शिक्षा निशुल्क होनी चाहिए। वहीं 30 से 40 हजार रुपए
सावधि जमा और रजिस्टर्ड किरायानामा यह दर्शाता है कि शिक्षा विभाग के लिए शिक्षा व्यवसाय बन गया है। अजीत कहते हैं कि करीब 18 हजार स्कूल ऐसे हैं जो किरायानामा नहीं बनवा पा रहे हैं, इसलिए इनकी मान्यता पर खतरा बना हुआ है।
सवा लाख से अधिक कर्मचारी बेरोजगारी की कगार पर
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि सरकार ने मान्यता के नियमों को बहुत जटिल बना दिया है। जिससे सबसे अधिक कठिनाई ग्रामीण जिलों में हो रही है। वहीं एफडी अमाउंट भी लिया जा रहा है। सत्र 2025-26 की मान्यता में कई स्कूलों के बंद होने की संभावना है।
14 फरवरी तक कर सकते हैं आवेदन
राज्य शिक्षा केंद्र ने हाल ही में मान्यता के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 31 जनवरी से बढ़ाकर 7 फरवरी कर दी थी। विलंब शुल्क के साथ वह 14 फरवरी तक भी आवेदन कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों के मान्यता नियमों में बदलाव को लेकर मंगलवार को स्कूल संचालकों ने बीजेपी ऑफिस के सामने धरना दिया। करीब दो घंटे तक वे ऑफिस के बाहर डटे रहे, फिर लौट गए। अब वे शिक्षा मंत्री से भी मिलेंगे। इससे पहले स्कूल संचालकों ने 10 जनवरी को हड़ताल की थी।
वहीं, महीनेभर पहले स्कूल संचालक राज्य शिक्षा केंद्र कार्यालय परिसर में जमकर नारेबाजी कर चुके हैं। स्कूल संचालक इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दे चुके हैं।
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