निर्माण में देरी के लिए विभाग ने मानी गलती ठेकेदार को पहुंचाया 5 करोड़ का फायदा

पीडब्ल्यूडी के कन्या शिक्षा परिसर भवन निर्माण में भी भ्रष्टाचार
विशेष संवाददाता, भोपाल
प्रदेश में हुए कन्या शिक्षा परिसर भवन निर्माण में देरी के लिए पीडब्ल्यूडी(भवन) ने स्वयं की गलती मानकर ठेकेदारों को लगभग 5 करोड़ की फायदा पहुंचाया। खास बात यह है कि क्यूब कंस्ट्रक्शन मामलें में पद का दुरूपयोग करने के आरोपी तत्कालीन मुख्य अभियंता भोपाल एसएल सूर्यवंशी ने यहां भी अधीक्षण यंत्री के अधिकारों का उपयोग कर समयवृद्वि का फैसला ठेकेदारों के पक्ष में सुनाया। इससे शासन को करोड़ों रूपए की वित्तीय हानि उठानी पड़ी।
गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग(भवन) द्वारा वर्ष 2015-16 के बीच अलग अलग स्थानों में पांच कन्या शिक्षा परिसर भवनों कें निर्माण के लिए अनुबंध किया गया था। जिसको 24 माह में पूर्ण किया जाना था। लेकिन ठेकेदारों ने कार्य पूर्ण करने में लगभग 4 साल से ज्यादा का वक्त लगा दिया।
सूर्यवंशी पर पद के दुरूपयोग का आरोप
गौरतलब है कि एग्रीमेंट के अनुसार समयवृद्वि एवं लिक्विडेटेड डैमेज लगाने का अधिकार अधीक्षण यंत्रि को दिए गए है। लेकिन दैनिक अनमोल संदेश के पास मौजूद दस्तावेज बताते है कि इस मामले में भी सूर्यवंशी ने अधीक्षण यंत्री के अधिकारों पर कब्जा करते हुए ठेकेदारों के पक्ष में फैसला दिया। यदि ठेकेदारों पर कार्य में देरी के लिए पेनाल्टी लगाया जाता तो, शासन को वित्तीय हानि से बचाया जा सकता था।
पूर्व में मिल चुका है आरोप पत्र
उल्लेखनीय है कि ऐसे ही एक मामले में तत्कालीन मुख्य अभियंता एसएल सूर्यवंशी को आरोप पत्र दिया जा चुका है जिसमें उन्होंने पद का दुरूपयोग करते हुए अधीक्षण यंत्री के पॉवर का इस्तेमाल किया था। राजधानी के हमीदिया अस्पताल में 2000 बिस्तरीय मल्टी का निर्माण करने वाली कंपनी क्यूब कंस्ट्रक्षन पर 44 करोड़ की पेनाल्टी लगाई थी। इसी मामले पर सूर्यवंशी पर 4 करोड़ की रिष्वत मांगे जाने के आरोप लगे थे। कंपनी द्वारा की गई शिकायत के बाद सूर्यवंशी का ग्वालियर तबादला कर दिया गया था।
कैसे हुई शासन को वित्तीय हानि
मुख्य अभियंता एसएल सूर्यवंशी द्वारा अपील पर दिए फैसले से सभी ठेकेदारों को समय वृद्वि बिना किसी अर्थदण्ड के प्राप्त हो गया। परिणाम यह रहा कि एग्रीमेंट के क्लाज 31 के तहत सभी मामलों में प्राइज एक्सक्लेशन की स्थिति पैदा हो गई और शासन को वित्तीय हानि उठानी पड़ी। इतना ही नही जो काम एक या दो साल में पूरा होना था, उसको पूरा होने में दो से तीन साल ज्यादा लग गए।
कहां-कहां बने कन्या शिक्षा परिसर...?
- बैतूल(भैसदेही): निर्माण में 455 दिवस की देरी हुई, लेकिन विभाग ने कार्य के लिए स्वयं को जिम्मेदार माना। इसके कारण ठेकेदार बिना किसी पेनाल्टी के समयवृद्वि पाने में कामयाब हो गया।
- बैतूल(चिचोली): यह बने कन्या शिक्षा परिसर में 1366 दिन की देरी हुई अर्थात 3 वर्ष से अधिक लेकिन इसके बाद भी ठेकेदार को पेनाल्टी नही लगाई बल्कि मुख्य अभियंता ने इसको विभागीय विलंब मानते हुए ठेकेदार को फायदा पहुंचाया।
- रायसेन: इस कार्य में भी 1079 दिवस की देरी हुई लेकिन इसमें भी पेनाल्टी नही लगाई और शासन को वित्तीय हानि हुई।
- सीहोर: 1101 दिवस की देरी हुई और ठेकेदार को क्लीनचिट देते हुए विभाग ने स्वयं को जिम्मेदार बताया।
- नर्मदापुरम: 1134 दिवस की देरी हुई और ठेकेदार को बिना किसी पेनाल्टी के समयवृद्वि दे दी गई।
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