सेनेटरी लैंडफिल साइट:हाईकोर्ट ने कहा-20 जून तक खत्म करें काम:300 मीटर के दायरे में स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, आपत्तिकर्ताओं को फिर सुना जाएगा
सेनेटरी लैंडफिल साइट:हाईकोर्ट ने कहा-20 जून तक खत्म करें काम:300 मीटर के दायरे में स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, आपत्तिकर्ताओं को फिर सुना जाएगा
ग्वालियर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने केदारपुर में प्रस्तावित सेनेटरी लैंडफिल साइट (सीबीजी प्लांट) का काम 20 जून तक पूरा करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि यह कार्य डेढ़ साल से सुस्त गति से चल रहा था, पर अब काम में तेजी दिखने लगी है। बता दें कि सेनेटरी लैंडफिल साइट की चिन्हित जमीन विवादों में है। इस जमीन के 300 मीटर के दायरे में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और रहवासी क्षेत्र है। जिसे लेकर लोगों ने आपत्ति उठाई है। यही कारण है कि जमीन आवंटन के संबंध में संभागायुक्त ने आपत्तिकर्ताओं को सुनवाई का एक मौका और दिया है। इस दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की राय भी लेनी होगी। नगर निगम को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य विभागों से 20 जून तक एनओसी लेनी पड़ेगी। जमीन के आवंटन को लेकर उठ रहे सवाल
स्थानीय निवासी सरताज सिंह ने लैंडफिल साइट पर एकत्र होने वाले कचरे को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। साइट पर जो कचरा एकत्रित है, उसका निस्तारण नहीं हो पा रहा है। नया कचरा और एकत्रित हो रहा है, जिससे आसपास पॉल्यूशन फैल रहा है। हाईकोर्ट ने कचरे को लेकर अहम आदेश दिए हैं। 6 मई की सुनवाई में न्यायमित्र ने आपत्ति करते हुए बताया था कि नई जगह जहां पर आवंटित की जा रही है, उसके आसपास आबादी है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल व रहवासी क्षेत्र के अलावा फूड प्रोसेसिंग यूनिट है। लैंडफिल साइट को लेकर आपत्तियां उठाई जा रही हैं। इससे उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। इसको लेकर शासन ने बताया कि संभागायुक्त ने प्रस्ताव लौटाया है। लैंडफिल साइट पर जो आपत्तियां आई हैं, उन आपत्तिकर्ताओं को फिर से मौका दिया जा रहा है।
पॉल्यूशन बोर्ड से लेनी होगी राय
इस मामले में सेनेटरी लैंडफिल साइट के लिए नई चिन्हित जगह पर सवाल उठते ही विवाद गहरा गया है। यही कारण है कि अब विभाग को साइट स्थापित करने से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी राय लेनी पड़ेगी और विभाग राय ले भी रहा है, क्योंकि जो जगह चिन्हित है उसके 300 मीटर के दायरे में जल स्त्रोत, कुआं, स्कूल, कॉलेज व अस्पताल के अलावा लोगाें को बसाने जमीन के पट्टे भी दिए जा चुके हैं। पॉल्यूशन विभाग का कहना है कि नियमों के आधार पर ही एनओसी दी जा सकेगी।
कोर्ट में पेश किया फार्मेट
हाईकोर्ट में नगर निगम ने एक फार्मेट पेश किया है। इसमें प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद कब काम शुरू कर देगा। इसकी जानकारी दी है। प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद ठेकेदार को पांच साल तक उसे चलाना होगा और मेंटेनेंस भी करना होगा। सेनेटरी लैंडफिल साइट शुरू करने के लिए मापदंडों का भी ध्यान रखना होगा।
ग्वालियर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने केदारपुर में प्रस्तावित सेनेटरी लैंडफिल साइट (सीबीजी प्लांट) का काम 20 जून तक पूरा करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि यह कार्य डेढ़ साल से सुस्त गति से चल रहा था, पर अब काम में तेजी दिखने लगी है। बता दें कि सेनेटरी लैंडफिल साइट की चिन्हित जमीन विवादों में है। इस जमीन के 300 मीटर के दायरे में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और रहवासी क्षेत्र है। जिसे लेकर लोगों ने आपत्ति उठाई है। यही कारण है कि जमीन आवंटन के संबंध में संभागायुक्त ने आपत्तिकर्ताओं को सुनवाई का एक मौका और दिया है। इस दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की राय भी लेनी होगी। नगर निगम को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य विभागों से 20 जून तक एनओसी लेनी पड़ेगी। जमीन के आवंटन को लेकर उठ रहे सवाल
स्थानीय निवासी सरताज सिंह ने लैंडफिल साइट पर एकत्र होने वाले कचरे को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। साइट पर जो कचरा एकत्रित है, उसका निस्तारण नहीं हो पा रहा है। नया कचरा और एकत्रित हो रहा है, जिससे आसपास पॉल्यूशन फैल रहा है। हाईकोर्ट ने कचरे को लेकर अहम आदेश दिए हैं। 6 मई की सुनवाई में न्यायमित्र ने आपत्ति करते हुए बताया था कि नई जगह जहां पर आवंटित की जा रही है, उसके आसपास आबादी है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल व रहवासी क्षेत्र के अलावा फूड प्रोसेसिंग यूनिट है। लैंडफिल साइट को लेकर आपत्तियां उठाई जा रही हैं। इससे उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। इसको लेकर शासन ने बताया कि संभागायुक्त ने प्रस्ताव लौटाया है। लैंडफिल साइट पर जो आपत्तियां आई हैं, उन आपत्तिकर्ताओं को फिर से मौका दिया जा रहा है।
पॉल्यूशन बोर्ड से लेनी होगी राय
इस मामले में सेनेटरी लैंडफिल साइट के लिए नई चिन्हित जगह पर सवाल उठते ही विवाद गहरा गया है। यही कारण है कि अब विभाग को साइट स्थापित करने से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी राय लेनी पड़ेगी और विभाग राय ले भी रहा है, क्योंकि जो जगह चिन्हित है उसके 300 मीटर के दायरे में जल स्त्रोत, कुआं, स्कूल, कॉलेज व अस्पताल के अलावा लोगाें को बसाने जमीन के पट्टे भी दिए जा चुके हैं। पॉल्यूशन विभाग का कहना है कि नियमों के आधार पर ही एनओसी दी जा सकेगी।
कोर्ट में पेश किया फार्मेट
हाईकोर्ट में नगर निगम ने एक फार्मेट पेश किया है। इसमें प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद कब काम शुरू कर देगा। इसकी जानकारी दी है। प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद ठेकेदार को पांच साल तक उसे चलाना होगा और मेंटेनेंस भी करना होगा। सेनेटरी लैंडफिल साइट शुरू करने के लिए मापदंडों का भी ध्यान रखना होगा।