आज का एक्सप्लेनर:जीरो टैरिफ से बर्बाद हो सकते हैं भारत के किसान; ट्रम्प का दावा- भारत तैयार है, क्या सच में ऐसा कर रही सरकार

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत पूरी भी नहीं हुई और डोनाल्ड ट्रम्प ने जीरो टैरिफ का दावा करके सभी को हैरान कर दिया। ट्रम्प ने 15 मई को कहा- भारत ने हमें डील ऑफर की है कि वह अमेरिकी सामान पर टैरिफ खत्म करने के लिए तैयार है। भारत ने इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल बातचीत करने अमेरिका गए हैं। क्या होता है जीरो टैरिफ, जिसके लिए ट्रम्प इतने उतावले हैं, इससे भारत पर क्या असर पड़ेगा और क्या मोदी सरकार ऐसा करेगी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: जीरो टैरिफ क्या है, जिसका दावा ट्रम्प ने किया? जवाब: अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रम्प कहते रहे हैं कि भारत, अमेरिका पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से है। 2 अप्रैल 2025 को ट्रम्प ने 100 से ज्यादा देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया, तो उसमें भारत पर भी 26% टैरिफ थोपा। 5 अप्रैल से ये टैरिफ रेट लागू हुए, जिसके बाद अमेरिका सहित कई देशों के मार्केट तेजी से गिरने लगे। 9 अप्रैल को ट्रम्प ने चीन के अलावा सभी देशों पर लगने वाला टैरिफ 90 दिन के लिए रोक दिया। अब बाइलैट्रल ट्रेड एग्रीमेंट के जरिए भारत और अमेरिका टैरिफ रेट तय करने पर बातचीत कर रहे हैं। जीरो टैरिफ का मतलब होता है किसी विदेशी सामान को बिना किसी टैक्स या शुल्क के देश में आने देना। उदाहरण के लिए मान लीजिए भारत में अमेरिका से बादाम मंगवाने पर 50% टैरिफ लगता है। अगर अमेरिका से 1,000 रुपए की बादाम मंगाई जाए तो भारत में उसका कुल दाम 1,500 रुपए हो जाएगा। भारत-अमेरिका के बीच जीरो टैरिफ समझौता होने के बाद ये बादाम 1 हजार रुपए में ही भारत में बिक सकेगा। इससे अमेरिकी बादाम की भारत में बिक्री बढ़ेगी। यानी जीरो टैरिफ का इस्तेमाल किसी देश से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। हालांकि इससे घरेलू बाजार को नुकसान होता है। कई बार देश में बने सामान विदेशी कंपनियों के सस्ते सामान का मुकाबला नहीं कर पाते। इससे घरेलू उद्योग बंद होने लगते हैं और देश में बेरोजगारी बढ़ जाती है। जीरो टैरिफ से सरकार को रेवेन्यू का नुकसान होता है, सो अलग। सवाल-2: क्या भारत ने सच में ट्रम्प को जीरो टैरिफ का ऑफर दिया है? जवाब: भारत ने आधिकारिक रूप से ऐसी कोई घोषणा नहीं की है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की तरफ से जीरो टैरिफ का प्रस्ताव दिए जाने की बात खारिज की है। उन्होंने कहा- भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड पर बातचीत अभी भी जारी है। ये बातचीत बहुत जटिल है। अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। हम ऐसी डील चाहेंगे जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो। इस बीच वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल 17 से 20 मई तक अमेरिका दौरे पर हैं। इस दौरान वे अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक से भारत-अमेरिका ट्रेड पर बातचीत करेंगे। JNU में इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के रिटायर्ड प्रोफेसर बिश्वजीत धर के मुताबिक, ‘भारत सरकार की तरफ से तो जीरो टैरिफ की कोई बात नहीं की गई। ट्रम्प जबसे सत्ता में आए है किसी न किसी तरह से दूसरे देशों पर प्रेशर डाल रहे हैं। उनका ये बयान भी भारत पर प्रेशर डालने के लिए हो सकता है।’ हालांकि न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भारत ने पहले फेज में 60% अमेरिकी आयात पर जीरो टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है। भारत भविष्य में इसे बढ़ाकर 90% तक कर सकता है। सवाल-3: अमेरिकी सामान पर जीरो टैरिफ लगाने से भारत को क्या नुकसान हो सकता है? जवाब: अगर भारत अमेरिका से आने वाले सामान पर टैरिफ खत्म कर देता है, तो इससे भारत के आम आदमी के साथ-साथ देश की इकोनॉमी पर 5 बड़े इम्पैक्ट होंगे… 1. जीरो टैरिफ से भारत के किसान बर्बाद हो सकते हैं 2. जीरो टैरिफ से सरकार के रेवेन्यू में कमी आएगी 3. घरेलू बाजार में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा 4. घरेलू उद्योग बंद पड़ेंगे, नौकरियां घटेंगी 5. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो सकता है सवाल 4: अमेरिकी सामान पर जीरो टैरिफ लगाने से क्या भारत को कोई फायदा भी है? जवाब: टैरिफ खत्म कर देना भारत की इकोनॉमी के लिए अच्छा नहीं होगा, लेकिन ऐसा करने से ग्राहकों को शॉर्ट टर्म के लिए फायदा भी हो सकता है- अमेरिकी सामान सस्ता होगा: टैरिफ खत्म होने से भारत में अमेरिकी सामान बहुत सस्ता हो जाएगा। भारत अमेरिका से पेट्रोलियम क्रूड, गोल्ड, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट्स और कोयला जैसी चीजें खरीदता है। टैरिफ कम होने से भारत में यह चीजें सस्ती हो जाएंगी। ट्रम्प के 26% टैरिफ से बचेंगे: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। अगर भारत अमेरिका के साथ जीरो टैरिफ की डील कर लेता है, तो डोनाल्ड ट्रम्प भारत पर 26% टैरिफ नहीं लगाएंगे। इससे अमेरिका में एक्सपोर्ट करना भारत के लिए आसान हो जाएगा और भारत ज्यादा सामान अमेरिका एक्सपोर्ट करेगा। साथ ही ट्रम्प की बात मानकर, भारत ट्रम्प को भारत में निवेश बढ़ाने के लिए भी राजी कर सकता है। ग्राहकों के लिए विकल्प बढ़ेंगे: टैरिफ कम होने से ज्यादा अमेरिकी सामान भारतीय मार्केट में आएंगे। इससे भारतीय खरीदारों को घरेलू सामानों का विकल्प मिलेगा। अभी भारत, अमेरिका का दसवां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2024-25 में भारत ने अमेरिका से 45.33 बिलियन डॉलर यानी करीब 3.8 लाख करोड़ का सामान आयात किया था। सवाल 5: क्या भारत सरकार सच में अमेरिकी सामानों पर लगने वाला टैरिफ खत्म कर देगी? जवाब: विवेक मिश्र के मुताबिक, ‘ट्रम्प की राजनीति प्री-एम्प्टिव है यानी भारत कोई घोषणा करे, इससे पहले वे उस बारे में घोषणा कर देते हैं। सीजफायर के दौरान भी ट्रम्प ने ऐसा ही किया। फिर भी मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार बिल्कुल ही टैरिफ खत्म कर देगी। टैरिफ में खासी छूट दी जाएगी।’ विवेक मिश्र बताते हैं- इंडिया का मत यह है कि हम टैरिफ में छूट दे सकते हैं, लेकिन ट्रम्प के सामने नतमस्तक नहीं होंगे। कई सेक्टर्स जैसे स्टील और दवाओं में टैरिफ में छूट देने की बात हो सकती है, लेकिन कृषि जैसे सेक्टर जो भार

May 20, 2025 - 14:35
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आज का एक्सप्लेनर:जीरो टैरिफ से बर्बाद हो सकते हैं भारत के किसान; ट्रम्प का दावा- भारत तैयार है, क्या सच में ऐसा कर रही सरकार
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत पूरी भी नहीं हुई और डोनाल्ड ट्रम्प ने जीरो टैरिफ का दावा करके सभी को हैरान कर दिया। ट्रम्प ने 15 मई को कहा- भारत ने हमें डील ऑफर की है कि वह अमेरिकी सामान पर टैरिफ खत्म करने के लिए तैयार है। भारत ने इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल बातचीत करने अमेरिका गए हैं। क्या होता है जीरो टैरिफ, जिसके लिए ट्रम्प इतने उतावले हैं, इससे भारत पर क्या असर पड़ेगा और क्या मोदी सरकार ऐसा करेगी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: जीरो टैरिफ क्या है, जिसका दावा ट्रम्प ने किया? जवाब: अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रम्प कहते रहे हैं कि भारत, अमेरिका पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से है। 2 अप्रैल 2025 को ट्रम्प ने 100 से ज्यादा देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया, तो उसमें भारत पर भी 26% टैरिफ थोपा। 5 अप्रैल से ये टैरिफ रेट लागू हुए, जिसके बाद अमेरिका सहित कई देशों के मार्केट तेजी से गिरने लगे। 9 अप्रैल को ट्रम्प ने चीन के अलावा सभी देशों पर लगने वाला टैरिफ 90 दिन के लिए रोक दिया। अब बाइलैट्रल ट्रेड एग्रीमेंट के जरिए भारत और अमेरिका टैरिफ रेट तय करने पर बातचीत कर रहे हैं। जीरो टैरिफ का मतलब होता है किसी विदेशी सामान को बिना किसी टैक्स या शुल्क के देश में आने देना। उदाहरण के लिए मान लीजिए भारत में अमेरिका से बादाम मंगवाने पर 50% टैरिफ लगता है। अगर अमेरिका से 1,000 रुपए की बादाम मंगाई जाए तो भारत में उसका कुल दाम 1,500 रुपए हो जाएगा। भारत-अमेरिका के बीच जीरो टैरिफ समझौता होने के बाद ये बादाम 1 हजार रुपए में ही भारत में बिक सकेगा। इससे अमेरिकी बादाम की भारत में बिक्री बढ़ेगी। यानी जीरो टैरिफ का इस्तेमाल किसी देश से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। हालांकि इससे घरेलू बाजार को नुकसान होता है। कई बार देश में बने सामान विदेशी कंपनियों के सस्ते सामान का मुकाबला नहीं कर पाते। इससे घरेलू उद्योग बंद होने लगते हैं और देश में बेरोजगारी बढ़ जाती है। जीरो टैरिफ से सरकार को रेवेन्यू का नुकसान होता है, सो अलग। सवाल-2: क्या भारत ने सच में ट्रम्प को जीरो टैरिफ का ऑफर दिया है? जवाब: भारत ने आधिकारिक रूप से ऐसी कोई घोषणा नहीं की है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की तरफ से जीरो टैरिफ का प्रस्ताव दिए जाने की बात खारिज की है। उन्होंने कहा- भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड पर बातचीत अभी भी जारी है। ये बातचीत बहुत जटिल है। अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। हम ऐसी डील चाहेंगे जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो। इस बीच वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल 17 से 20 मई तक अमेरिका दौरे पर हैं। इस दौरान वे अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक से भारत-अमेरिका ट्रेड पर बातचीत करेंगे। JNU में इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के रिटायर्ड प्रोफेसर बिश्वजीत धर के मुताबिक, ‘भारत सरकार की तरफ से तो जीरो टैरिफ की कोई बात नहीं की गई। ट्रम्प जबसे सत्ता में आए है किसी न किसी तरह से दूसरे देशों पर प्रेशर डाल रहे हैं। उनका ये बयान भी भारत पर प्रेशर डालने के लिए हो सकता है।’ हालांकि न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भारत ने पहले फेज में 60% अमेरिकी आयात पर जीरो टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है। भारत भविष्य में इसे बढ़ाकर 90% तक कर सकता है। सवाल-3: अमेरिकी सामान पर जीरो टैरिफ लगाने से भारत को क्या नुकसान हो सकता है? जवाब: अगर भारत अमेरिका से आने वाले सामान पर टैरिफ खत्म कर देता है, तो इससे भारत के आम आदमी के साथ-साथ देश की इकोनॉमी पर 5 बड़े इम्पैक्ट होंगे… 1. जीरो टैरिफ से भारत के किसान बर्बाद हो सकते हैं 2. जीरो टैरिफ से सरकार के रेवेन्यू में कमी आएगी 3. घरेलू बाजार में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा 4. घरेलू उद्योग बंद पड़ेंगे, नौकरियां घटेंगी 5. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो सकता है सवाल 4: अमेरिकी सामान पर जीरो टैरिफ लगाने से क्या भारत को कोई फायदा भी है? जवाब: टैरिफ खत्म कर देना भारत की इकोनॉमी के लिए अच्छा नहीं होगा, लेकिन ऐसा करने से ग्राहकों को शॉर्ट टर्म के लिए फायदा भी हो सकता है- अमेरिकी सामान सस्ता होगा: टैरिफ खत्म होने से भारत में अमेरिकी सामान बहुत सस्ता हो जाएगा। भारत अमेरिका से पेट्रोलियम क्रूड, गोल्ड, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट्स और कोयला जैसी चीजें खरीदता है। टैरिफ कम होने से भारत में यह चीजें सस्ती हो जाएंगी। ट्रम्प के 26% टैरिफ से बचेंगे: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। अगर भारत अमेरिका के साथ जीरो टैरिफ की डील कर लेता है, तो डोनाल्ड ट्रम्प भारत पर 26% टैरिफ नहीं लगाएंगे। इससे अमेरिका में एक्सपोर्ट करना भारत के लिए आसान हो जाएगा और भारत ज्यादा सामान अमेरिका एक्सपोर्ट करेगा। साथ ही ट्रम्प की बात मानकर, भारत ट्रम्प को भारत में निवेश बढ़ाने के लिए भी राजी कर सकता है। ग्राहकों के लिए विकल्प बढ़ेंगे: टैरिफ कम होने से ज्यादा अमेरिकी सामान भारतीय मार्केट में आएंगे। इससे भारतीय खरीदारों को घरेलू सामानों का विकल्प मिलेगा। अभी भारत, अमेरिका का दसवां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2024-25 में भारत ने अमेरिका से 45.33 बिलियन डॉलर यानी करीब 3.8 लाख करोड़ का सामान आयात किया था। सवाल 5: क्या भारत सरकार सच में अमेरिकी सामानों पर लगने वाला टैरिफ खत्म कर देगी? जवाब: विवेक मिश्र के मुताबिक, ‘ट्रम्प की राजनीति प्री-एम्प्टिव है यानी भारत कोई घोषणा करे, इससे पहले वे उस बारे में घोषणा कर देते हैं। सीजफायर के दौरान भी ट्रम्प ने ऐसा ही किया। फिर भी मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार बिल्कुल ही टैरिफ खत्म कर देगी। टैरिफ में खासी छूट दी जाएगी।’ विवेक मिश्र बताते हैं- इंडिया का मत यह है कि हम टैरिफ में छूट दे सकते हैं, लेकिन ट्रम्प के सामने नतमस्तक नहीं होंगे। कई सेक्टर्स जैसे स्टील और दवाओं में टैरिफ में छूट देने की बात हो सकती है, लेकिन कृषि जैसे सेक्टर जो भारत में बहुत संवेदनशील है, इंटरनल पॉलिटिक्स का मुद्दा है, किसानों के प्रोटेस्ट होते रहते हैं यहां जीरो टैरिफ करना मुश्किल है। ट्रम्प से डील करने के लिए भारत के पास एडवांटेज यह है कि वह अमेरिका से 45 बिलियन डॉलर के ट्रेड सरप्लस पर खड़ा है। ट्रेड में छूट देने से अगर भारत का सरप्लस घटकर 25-30 बिलियन डॉलर भी हो जाता है, तो भारत को उतना ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। भारत में अमेरिकी इंवेस्टमेंट बढ़ने से और जिस सेक्टर में टैरिफ बढ़ाया है उसका एक्सपोर्ट बढ़ा देने से ये बैलेंस हो जाएगा। वहीं ट्रम्प को एक नंबर दिखाई देगा कि ट्रेड सरप्लस कम हुआ है।’ वहीं बिश्वजीत धर कहते हैं- किसी भी इम्पोर्ट पर टैरिफ न लगाएं, यह तो नामुमकिन है। भारत ने ब्रिटेन के साथ फॉरेन ट्रेड एग्रीमेंट यानी FTA के तहत कई चीजों पर टैरिफ जीरो कर दिया है, वैसे ही अमेरिका के साथ भी कुछ सामानों पर कर सकते हैं। सावल 6: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के टैरिफ पर चर्चा करने अमेरिका जाने से कोई हल निकलेगा? जवाब: डोनाल्ड ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर जो 90 दिन की रोक लगाई थी, उसमें से लगभग आधा समय बीत चुका है। ऐसे में भारत को जल्द ही अमेरिका के साथ बाइलैट्रल ट्रेड एग्रीमेंट की शर्तें फाइनल करनी होंगी। पीयूष गोयल इसी पर बात करने अमेरिका गए हैं। 12 मई को भारत ने वर्ल्ड बैंक से कहा था कि अमेरिका के स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाने से उनका 7.6 बिलियन डॉलर यानी 65 हजार करोड़ रुपए का निर्यात प्रभावित हो सकता है। ऐसे में भारत भी अमेरिकी सामान पर टैरिफ लगाने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है। मीटिंग में इस मुद्दे पर भी बात हो सकती है। बिश्वजीत धर के मुताबिक ‘बाइलैट्रल ट्रेड एग्रीमेंट दोनों देशों के फायदे के लिए होता है। यह पहला एग्रीमेंट है जहां हमारा साथी देश सिर्फ उसके ही फायदे की बात कर रहा है। हमारे फायदे की नहीं। भारत सरकार को चाहिए कि वो कहे, हम इम्पोर्ट ड्यूटी घटाएंगे, पर जब हमें सही लगे और जब इससे हमें फायदा हो। यह नहीं होना चाहिए कि आप हमें आदेश दें और हम ड्यूटी कम कर दें। सरकार को भारत में रोजगार और इनकम बचाने का अधिकार है। ट्रम्प अगर हमारे मार्केट में घुसना चाहते हैं तो उन्हें इसका दाम देना होगा।’ —------- डोनाल्ड ट्रम्प से जुड़ा यह एक्सप्लेनर भी पढ़िए... आज का एक्सप्लेनर:मोदी के साथ क्यों खड़े नहीं हुए 'दोस्त' ट्रम्प, PAK के बराबर तौला; iPhone मसले पर भी बवाल, क्या खतरे में दोस्ती 'हाउडी मोदी' से 'नमस्ते ट्रम्प' तक, कई मौकों पर ट्रम्प और मोदी एक-दूसरे को अच्छा दोस्त बता चुके हैं। लेकिन जब जंग के हालात बने, तो ट्रम्प ने भारत को भी पाकिस्तान के बराबर तौल दिया। इससे पहले रेसिप्रोकल टैरिफ में भी कोई रियायत नहीं दी और अब तो iPhone की मैन्युफैक्चरिंग भी भारत में नहीं होने देना चाहते। पूरी खबर पढ़िए

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