जम्मू के एक गांव में 3 परिवारों में 17 मौतें:एक ही पैटर्न पर सभी मौतें, साजिश या हादसा; फैमिली बोली- केस करेंगे
‘ये बीमारी नहीं है। सोची समझी साजिश है। अगर बीमारी होती तो गांव में दूसरे लोगों को भी होती। जब परिवार में एक साथ हुई इतनी मौतों के बारे में सोचा, तब समझ आया कि ये बीमारी नहीं बल्कि मर्डर है। मैं कत्ल का केस करूंगा। ये बहुत जरूरी है।’ जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बधाल गांव में महज 37 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत हुई। असलम का परिवार भी उन्हीं में से एक है। उनके परिवार के 8 लोगों की एक-एक कर तबीयत बिगड़ी। फिर सबकी मौत हो गई। ये 17 मौतें 7 दिसंबर 2024 से 12 जनवरी 2025 के बीच हुईं। प्रशासन ने रहस्यमयी बीमारी का शक जताया और गांव को कंटेनमेंट जोन बना दिया। बाद में फोरेंसिक जांच में पता चला कि मौत की वजह क्लोरफेनपायर नाम की कीटनाशक दवा है। जिन 17 लोगों की मौतें हुईं, उनमें से 95% से ज्यादा के शरीर में ये कीटनाशक पाया गया है। हालांकि, बधाल गांव में हुई मौतों का रहस्य यहीं खत्म नहीं हुआ। जिस कीटनाशक दवा से 17 मौतें हुईं, वो जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से बैन है। पिछले दो साल में ये कीटनाशक दवा न कहीं बेची गई और न खरीदी गई। पड़ताल में ये भी पता चला कि राजौरी के बधाल गांव में जैसे रहस्यमयी मौतें हुईं, उसी तरह से पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में भी कई लोगों की जान जा चुकी है। अब सवाल ये है कि इन मौतों के पीछे आखिर क्या कोई गहरी साजिश है या परिवारों की कोई आपसी दुश्मनी। मामले की पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। सबसे पहले जानिए…
बधाल गांव में हुई 17 मौतों की कहानी
जम्मू से करीब 210 किमी दूर और राजौरी से करीब 60 किमी आगे हम पहाड़ों के रास्ते होते हुए बधाल गांव पहुंचे। 4 हजार से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में पहले हम फजल हुसैन के घर पहुंचे, लेकिन घर पर कोई नहीं मिला। पता चला 2 दिसंबर 2024 को फजल हुसैन की बड़ी बेटी सुल्ताना की शादी थी। इसमें रिश्तेदारों समेत 200 से ज्यादा लोग आए। शादी के बाद 6 दिसंबर को पहली बार फजल और उनके 4 बच्चों की तबीयत बिगड़ी। उल्टी, पेट दर्द, सुस्ती और बेहोशी आने लगी। 7 दिसंबर को इन्हें राजौरी के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में भर्ती कराया गया। 40 साल के फजल का सिरदर्द बढ़ने लगा। सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS) में दिक्कत हुई और उनकी मौत हो गई। फजल के 3 बच्चों की तबीयत भी तेजी से बिगड़ी। उन्हें जम्मू के चाइल्ड अस्पताल भेजा गया, लेकिन तीनों ने दम तोड़ दिया। राजौरी मेडिकल कॉलेज की टीम ने इन चारों मौतों की जांच शुरू की। टीम को फूड पॉइजनिंग का शक हुआ। सैंपल लेकर जांच की गई, लेकिन कोई ऐसा जहरीला पदार्थ नहीं मिला, जिससे जान को खतरा हो। रफीक का परिवार…
गोद में 6 साल की बेटी ने तड़पते हुए दी जान, हमें इंसाफ चाहिए
12 दिसंबर को शादी में आए मोहम्मद रफीक के परिवार में लोगों की तबीयत बिगड़ी। इनमें भी वही लक्षण मिले। इनके परिवार में 5 लोगों की जान गई। इसमें 4 बच्चे और रफीक की प्रेग्नेंट पत्नी शामिल थी। इसके बाद हम मोहम्मद रफीक के घर पहुंचे। वो बताते हैं, ‘10 तारीख को मेरी 6 साल की बेटी नादिया कौसर स्कूल नहीं गई। बोली- थोड़ा बुखार सा लग रहा है। मैंने पास के एक प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया। दवा खाते ही उसे उल्टी हो गई। खाना खाने के बाद फिर उल्टी हुई।‘ ‘फिर दूसरी दुकान से दवा ली, लेकिन दिक्कत दूर नहीं हुई। दूसरे दिन सुबह साढ़े 7 बजे बच्ची ने मेरी गोद में ही दम तोड़ दिया। इसके बाद मेरे दूसरे बच्चे भी बीमार पड़ गए। उन्हें पहले कोटरंका अस्पताल ले गए,फिर राजौरी ले गए। हालत बिगड़ी तो उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।‘ घर लौटे तो पत्नी की तबीयत बिगड़ गई। अब वो बीमारी की वजह से हुई या फिर बच्चों की मौत के सदमे से, ये नहीं पता। आखिरकार पत्नी की भी मौत हो गई। वजह पूछने पर रफीक कहते हैं, ’कह रहे जहरीली चीज से मौत हुई। हमें नहीं पता है। वो कैसे आया, किसने खिलाया। घर के अलावा बच्चे स्कूल में ही खाना खाते थे। जिस दिन वो बीमार हुए, उस दिन उन्होंने स्कूल में खाना खाया था। मुझे नहीं पता कि स्कूल में साजिश हुई या बाहर रची गई। हमें बस इंसाफ चाहिए।’ सभी में एक जैसे लक्षण और 24 घंटे के अंदर मौत
शुरुआती जांच में पता चला कि बीमार हुए लोगों के ऑर्गन तेजी से खराब हो रहे थे। बीमार होने के 24 घंटे के अंदर मौत हो रही है। कुछ केस में कई दिन बाद भी मौत हुई, लेकिन लक्षण सभी में एक जैसे थे। पहले पेट में दर्द, उल्टी, कमजोरी और सुस्ती लगना। सिर में तेजी से दर्द, बेचैनी और फिर मौत। मेडिकल टीम ने गांव में कैंप लगाकर लोगों की स्क्रीनिंग की। वायरल, बैक्टीरिया, फंगल और जूनोटिक बीमारी की जांच की गई। पीने के पानी का सैंपल लिया। ब्लड, यूरिन, नाक से स्वैब, कपड़े और हर तरह के सैंपल लिए, लेकिन जांच में कुछ नहीं मिला। जूनोटिक बीमारी के लिए मेडिकल टीम ने हाल में मरने वाले पशुओं की भी पड़ताल की। इसमें पता चला कि 2 दिसंबर को शादी से पहले गांव में एक भैंस की मौत हुई थी। जिस व्यक्ति की भैंस थी, उसी ने शादी में खाना बनाया था। उस कुक की भी जांच की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। एक महीने बाद ही असलम के परिवार के 8 लोगों की मौत
इन सबके करीब एक महीने बाद 10 जनवरी को बधाल में ही रहने वाले असलम के परिवार के एक साथ 8 लोग बीमार हुए। फिर बाकी 5 बच्चों और मामा-मामी की मौत हो गई। तीसरे केस में हुई 8 मौतों ने प्रशासन को हाई अलर्ट कर दिया। मामले की जांच में DRDO ग्वालियर, NIV पुणे, ICMR, पीजीआई चंडीगढ़, CFSL भी जुट गईं। केंद्रीय गृह मंत्रालय खुद मॉनिटरिंग कर रहा था। जांच के लिए बधाल के 200 से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए गए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से भी मौत की वजह पता नहीं चल सकी। मरने वालों की किडनी, स्टमक, लिवर, स्प्लीन और ब्लड के सैंपल लिए गए थे। ये सैंपल देश की सभी बड़ी नेशनल फोरेंसिक लैब को जांच के लिए भेजे गए। रिपोर्ट में पता चला कि मरने वालों में 95% से ज्यादा में कीटनाशक क्लोरफेनपायर पाया गया। असलम का परिवार…
फजल के घर मातम में
‘ये बीमारी नहीं है। सोची समझी साजिश है। अगर बीमारी होती तो गांव में दूसरे लोगों को भी होती। जब परिवार में एक साथ हुई इतनी मौतों के बारे में सोचा, तब समझ आया कि ये बीमारी नहीं बल्कि मर्डर है। मैं कत्ल का केस करूंगा। ये बहुत जरूरी है।’ जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बधाल गांव में महज 37 दिनों में 3 परिवारों के 17 लोगों की मौत हुई। असलम का परिवार भी उन्हीं में से एक है। उनके परिवार के 8 लोगों की एक-एक कर तबीयत बिगड़ी। फिर सबकी मौत हो गई। ये 17 मौतें 7 दिसंबर 2024 से 12 जनवरी 2025 के बीच हुईं। प्रशासन ने रहस्यमयी बीमारी का शक जताया और गांव को कंटेनमेंट जोन बना दिया। बाद में फोरेंसिक जांच में पता चला कि मौत की वजह क्लोरफेनपायर नाम की कीटनाशक दवा है। जिन 17 लोगों की मौतें हुईं, उनमें से 95% से ज्यादा के शरीर में ये कीटनाशक पाया गया है। हालांकि, बधाल गांव में हुई मौतों का रहस्य यहीं खत्म नहीं हुआ। जिस कीटनाशक दवा से 17 मौतें हुईं, वो जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से बैन है। पिछले दो साल में ये कीटनाशक दवा न कहीं बेची गई और न खरीदी गई। पड़ताल में ये भी पता चला कि राजौरी के बधाल गांव में जैसे रहस्यमयी मौतें हुईं, उसी तरह से पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में भी कई लोगों की जान जा चुकी है। अब सवाल ये है कि इन मौतों के पीछे आखिर क्या कोई गहरी साजिश है या परिवारों की कोई आपसी दुश्मनी। मामले की पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। सबसे पहले जानिए…
बधाल गांव में हुई 17 मौतों की कहानी
जम्मू से करीब 210 किमी दूर और राजौरी से करीब 60 किमी आगे हम पहाड़ों के रास्ते होते हुए बधाल गांव पहुंचे। 4 हजार से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में पहले हम फजल हुसैन के घर पहुंचे, लेकिन घर पर कोई नहीं मिला। पता चला 2 दिसंबर 2024 को फजल हुसैन की बड़ी बेटी सुल्ताना की शादी थी। इसमें रिश्तेदारों समेत 200 से ज्यादा लोग आए। शादी के बाद 6 दिसंबर को पहली बार फजल और उनके 4 बच्चों की तबीयत बिगड़ी। उल्टी, पेट दर्द, सुस्ती और बेहोशी आने लगी। 7 दिसंबर को इन्हें राजौरी के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में भर्ती कराया गया। 40 साल के फजल का सिरदर्द बढ़ने लगा। सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS) में दिक्कत हुई और उनकी मौत हो गई। फजल के 3 बच्चों की तबीयत भी तेजी से बिगड़ी। उन्हें जम्मू के चाइल्ड अस्पताल भेजा गया, लेकिन तीनों ने दम तोड़ दिया। राजौरी मेडिकल कॉलेज की टीम ने इन चारों मौतों की जांच शुरू की। टीम को फूड पॉइजनिंग का शक हुआ। सैंपल लेकर जांच की गई, लेकिन कोई ऐसा जहरीला पदार्थ नहीं मिला, जिससे जान को खतरा हो। रफीक का परिवार…
गोद में 6 साल की बेटी ने तड़पते हुए दी जान, हमें इंसाफ चाहिए
12 दिसंबर को शादी में आए मोहम्मद रफीक के परिवार में लोगों की तबीयत बिगड़ी। इनमें भी वही लक्षण मिले। इनके परिवार में 5 लोगों की जान गई। इसमें 4 बच्चे और रफीक की प्रेग्नेंट पत्नी शामिल थी। इसके बाद हम मोहम्मद रफीक के घर पहुंचे। वो बताते हैं, ‘10 तारीख को मेरी 6 साल की बेटी नादिया कौसर स्कूल नहीं गई। बोली- थोड़ा बुखार सा लग रहा है। मैंने पास के एक प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया। दवा खाते ही उसे उल्टी हो गई। खाना खाने के बाद फिर उल्टी हुई।‘ ‘फिर दूसरी दुकान से दवा ली, लेकिन दिक्कत दूर नहीं हुई। दूसरे दिन सुबह साढ़े 7 बजे बच्ची ने मेरी गोद में ही दम तोड़ दिया। इसके बाद मेरे दूसरे बच्चे भी बीमार पड़ गए। उन्हें पहले कोटरंका अस्पताल ले गए,फिर राजौरी ले गए। हालत बिगड़ी तो उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।‘ घर लौटे तो पत्नी की तबीयत बिगड़ गई। अब वो बीमारी की वजह से हुई या फिर बच्चों की मौत के सदमे से, ये नहीं पता। आखिरकार पत्नी की भी मौत हो गई। वजह पूछने पर रफीक कहते हैं, ’कह रहे जहरीली चीज से मौत हुई। हमें नहीं पता है। वो कैसे आया, किसने खिलाया। घर के अलावा बच्चे स्कूल में ही खाना खाते थे। जिस दिन वो बीमार हुए, उस दिन उन्होंने स्कूल में खाना खाया था। मुझे नहीं पता कि स्कूल में साजिश हुई या बाहर रची गई। हमें बस इंसाफ चाहिए।’ सभी में एक जैसे लक्षण और 24 घंटे के अंदर मौत
शुरुआती जांच में पता चला कि बीमार हुए लोगों के ऑर्गन तेजी से खराब हो रहे थे। बीमार होने के 24 घंटे के अंदर मौत हो रही है। कुछ केस में कई दिन बाद भी मौत हुई, लेकिन लक्षण सभी में एक जैसे थे। पहले पेट में दर्द, उल्टी, कमजोरी और सुस्ती लगना। सिर में तेजी से दर्द, बेचैनी और फिर मौत। मेडिकल टीम ने गांव में कैंप लगाकर लोगों की स्क्रीनिंग की। वायरल, बैक्टीरिया, फंगल और जूनोटिक बीमारी की जांच की गई। पीने के पानी का सैंपल लिया। ब्लड, यूरिन, नाक से स्वैब, कपड़े और हर तरह के सैंपल लिए, लेकिन जांच में कुछ नहीं मिला। जूनोटिक बीमारी के लिए मेडिकल टीम ने हाल में मरने वाले पशुओं की भी पड़ताल की। इसमें पता चला कि 2 दिसंबर को शादी से पहले गांव में एक भैंस की मौत हुई थी। जिस व्यक्ति की भैंस थी, उसी ने शादी में खाना बनाया था। उस कुक की भी जांच की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। एक महीने बाद ही असलम के परिवार के 8 लोगों की मौत
इन सबके करीब एक महीने बाद 10 जनवरी को बधाल में ही रहने वाले असलम के परिवार के एक साथ 8 लोग बीमार हुए। फिर बाकी 5 बच्चों और मामा-मामी की मौत हो गई। तीसरे केस में हुई 8 मौतों ने प्रशासन को हाई अलर्ट कर दिया। मामले की जांच में DRDO ग्वालियर, NIV पुणे, ICMR, पीजीआई चंडीगढ़, CFSL भी जुट गईं। केंद्रीय गृह मंत्रालय खुद मॉनिटरिंग कर रहा था। जांच के लिए बधाल के 200 से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए गए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से भी मौत की वजह पता नहीं चल सकी। मरने वालों की किडनी, स्टमक, लिवर, स्प्लीन और ब्लड के सैंपल लिए गए थे। ये सैंपल देश की सभी बड़ी नेशनल फोरेंसिक लैब को जांच के लिए भेजे गए। रिपोर्ट में पता चला कि मरने वालों में 95% से ज्यादा में कीटनाशक क्लोरफेनपायर पाया गया। असलम का परिवार…
फजल के घर मातम में शरीक होने गए, पूरा परिवार खो दिया
इसके बाद हमने मोहम्मद असलम के घर का रुख किया। वो अस्पताल से लौटे ही थे। वे बताते हैं, ‘मामा की कोई औलाद नहीं थी। मुझे गोद लिया था। मैं यहां 10 साल से रह रहा हूं। मेरे रिश्तेदार फजल की मौत के करीब एक महीने बाद मेरे घर भी वही घटना हुई। 12 जनवरी को पहले बच्ची की मौत हुई। मेरे परिवार में कुल 10 लोग थे। मामा-मामी, 6 बच्चे और हम पति-पत्नी।‘ 9 जनवरी की बात होगी। हम फजल की मौत पर उसके खत्म-ए-शरीफ प्रोग्राम में गए थे। साथ में मेरी पत्नी और 3 बच्चे भी थे। एक बच्चा फजल के घर रुका, जबकि पत्नी और दो बच्चे लौट आए थे। ‘अगले ही दिन पहले 3 बच्चे बीमार हुए। तीनों बच्चों को लेकर मैं राजौरी गया। वहां से मुझे जम्मू शिफ्ट कर दिया गया। पहले तीनों बेहोश हो गए। फिर एक-एक कर तीनों की मौत हो गई।‘ ‘घर पर मामा-मामी ठीक थे। तीनों बच्चों के मातम के दौरान मामा-मामी भी बीमार हो गए। उन्हें राजौरी ले गए और उसी रात उन दोनों की भी मौत हो गई। इनके बाद बाकी तीनों बच्चे बीमार हुए और फिर उन तीनों की भी मौत हो गई। सभी की लाशें यहीं पीछे घर के पास ही दफनाई हैं। रोज उन्हें सुबह-शाम देखते हैं। ‘पहले लगा बीमारी है, अब ये गहरी साजिश लगती है
क्या ये मौतें बीमारी की वजह से हुईं या फिर आपको कोई साजिश लगती है। जवाब में असलम कहते हैं, ‘मुझे तो ये बीमारी नहीं लगती है। ये पूरी तरह साजिश है। अगर बीमारी होती तो गांव में दूसरे लोगों को भी लगती। ये बीमारी नहीं बल्कि मर्डर है। मैं कत्ल का मुकदमा कराऊंगा।‘ ‘मुझे लगता है कि कुछ जमीन को लेकर भी मामला हो सकता है, क्योंकि मेरे मामा-मामी ने मुझे गोद लिया था। गोद लेने से लेकर अब तक कोई विवाद नहीं था। अब लग रहा है कि मेरे परिवार के खिलाफ बड़ी साजिश हुई। मेरे पास 50 से 60 कैनाल जमीन है। जिन्हें जमीन की जरूरत है, ये उनकी साजिश हो सकती है।‘ बच्चे अब किसी बाहरी का दिया पानी भी नहीं पीते, टॉफी भी नहीं लेते
17 मौतों को लेकर बधाल गांव के लोगों में एक डर सा हो गया है। यहां मिले गफूर अहमद बताते हैं, ‘इन मौतों के बाद हम सब 22 दिन तक क्वारैंटाइन रहे थे। पूरा गांव डरा हुआ है। बच्चों को स्कूल में खाने से भी मना कर दिया है।‘ अब जांच टीम की बात...
पहले फूड पॉइजनिंग का शक, बाद में पता चला क्लोरफेनपायर से हुईं मौतें
बधाल में हुई मौतों को लेकर एक मेडिकल टीम बनाई गई है। टीम के इंचार्ज डॉ. शुजा कादरी हैं। इस केस से जुड़ी जांच से लेकर सर्विलांस टीम में इनकी अहम भूमिका रही। इनसे मिलने हम राजौरी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। डॉ. शुजा यहां डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के हेड हैं। केस को लेकर डॉ. शुजा बताते हैं, ‘बधाल गांव में पहले केस के बाद सभी संबंधित विभाग जांच में शामिल हो गए। शुरू में हमें ये फूड पॉइजनिंग का केस लगा, लेकिन एक हफ्ते के बाद ही गांव का दूसरा परिवार भी प्रभावित हुआ। इसके बाद हमें लगा कि कहीं न कहीं ये रहस्यमयी बीमारी है। नए सिरे से जांच शुरू हुई। हम लोग पूरे गांव की सैंपलिंग में जुट गए।‘ हमने पानी, खाना, अनाज सभी तरह की सैंपलिंग की। उनकी जांच सिर्फ जम्मू-कश्मीर के विभागों में नहीं हुई। बल्कि देश की सभी बड़ी मेडिकल जांच एजेंसियों से कराई गई। जांच से ये साफ हो गया कि ये कोई फूड पॉइजनिंग का केस नहीं है। न ही बैक्टीरियल इन्फेक्शन, वायरस या जूनोटिक बीमारी है। ‘दूसरे केस के करीब एक महीने बाद गांव में तीसरा केस सामने आया। परिवार के 10 में से 8 लोगों की मौत हुई थी। यहां भी सभी के लक्षण पहले दोनों केस जैसे ही थे। इसके बाद हमने केस को हर स्तर पर डायग्नोस किया। आखिर में पोस्टमॉर्टम के दौरान जांच के लिए जो सैंपल लिए गए थे, उनकी फोरेंसिक लैब में जांच कराई गई। तब पता चला कि ये न्यूरो टॉक्सिन का असर है, जिसका नाम क्लोरफेनपायर है।‘ ‘मुझे लगता है कि जितने लोगों की जान गई, उनमें करीब 95% से ज्यादा ये क्लोरफेनपायर कीटनाशक पाया गया था। अब ये परिवारों को जानबूझकर दिया गया या फिर गलती से परिवार ने इसका सेवन कर लिया। ये जांच का विषय है। इस एंगल पर पुलिस जांच कर रही है।‘ जम्मू कश्मीर में दो साल से नहीं बिक रही क्लोरफेनपायर, PoK में भी ऐसे ही हुईं मौतें
क्या ये कीटनाशक जम्मू-कश्मीर में मिल सकता है। इसके जवाब में डॉ. शुजा कादरी कहते हैं, ‘हमारी पड़ताल में पता चला है कि पिछले डेढ़ से दो साल में पूरे जम्मू कश्मीर में इस कीटनाशक की बिक्री ही नहीं हुई है, क्योंकि ये पूरी तरह से बैन है। ऐसे में इसे ऑनलाइन स्टोर से तो नहीं मंगाया गया, इसकी भी जांच की जा रही है।‘ ‘हालांकि, पहाड़ी एरिया में ऑनलाइन सप्लाई भी मुश्किल है। अभी तक ये पता नहीं चल सका है कि इस कीटनाशक को किसने खरीदा। कहां से खरीदा। इसे जानबूझकर लाया गया। इसकी जांच पुलिस एंगल से हो रही है।‘ ‘बधाल गांव में हुई मौतों से कुछ महीने पहले PoK में भी ऐसी रहस्यमयी मौतों की खबर आई थी। वहां भी मरने वालों में इसी तरह के लक्षण होने की जानकारी मिली थी। इसलिए ये भी एंगल देखा जा रहा है कि हमारे देश के खिलाफ कोई गहरी साजिश तो नहीं की जा रही है। इसलिए हर तरह की आशंकाओं को देखते हुए सभी एजेंसियां जांच कर रही हैं।‘ इस मामले को लेकर हमने राजौरी SP वजाहत हुसैन से भी जांच से जुड़ा अपडेट जानने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं मिला। जानकारी मिलने पर खबर में अपडेट करेंगे। ......................... ये खबर भी पढ़ें... पंजाब-हरियाणा से आया गेहूं खाकर गंजे हुए महाराष्ट्र के लोग 32 साल के प्रदीप आईने के सामने खड़े होकर कंघी कर रहे थे। प्रदीप ने नोटिस किया कि उनके बाल बहुत ज्यादा झड़ रहे हैं। 4-5 दिन में ही वे लगभग गंजे हो गए। ऐसा सिर्फ प्रदीप के साथ नहीं हुआ। महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में बीते दिसंबर और जनवरी में 279 लोगों के बाल अचानक झड़ने लगे। जांच रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया कि सरकारी राशन दुकान से मिले गेहूं को खाने की वजह से ये दिक्कत हुई है। पढ़िए पूरी खबर...