परीक्षा के दौर में विद्यार्थियों का सच्चा साथी है योग: योगाचार्य शिवाकांत

अनमोल संदेश, शहडोल
परीक्षाओं का समय आते ही विद्यार्थियों के मन में तनाव, अनिद्रा और अस्थिरता आने लगती है। ऐसे में योग न केवल शारीरिक ऊर्जा बढ़ाता है, बल्कि मानसिक संतुलन का एक सशक्त माध्यम भी बन जाता है। आइए जानें कि कैसे योग की साधना विद्यार्थियों को परीक्षा के इस चुनौतीपूर्ण दौर में मदद कर सकती है।
परीक्षा के दबाव में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी होती है। योगासन जैसे बालासन, मर्कटासन, भुजंगासन, ताड़ासन और शवासन शरीर को रिलैक्स करते हैं। वहीं, प्राणायाम (अनुलोम-विलोम, कपालभाति) तंत्रिका तंत्र को शांत करके तनाव कम करते हैं। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार, नियमित योग चिंता को 30 प्रतिशत तक घटा सकता है। योग की त्राटक क्रिया और ध्यान (मेडिटेशन) जैसी विधियाँ मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस को सक्रिय करती हैं, जो सीखने और याददाश्त के लिए जि़म्मेदार है। 20 मिनट का ध्यान पढ़ाई में 15प्रतिशत तक सुधार ला सकता है। वृक्षासन जैसे संतुलन वाले आसन एकाग्रता को बढ़ाने में मददगार हैं। रात में जागना और नींद की कमी विद्यार्थियों की उर्जा घटाती है। योग निद्रा और हलासन जैसे आसन गहरी नींद लाने में सहायक हैं। एक अध्ययन के अनुसार, योग करने वाले छात्रों में नींद के समय में 25 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। लंबे समय तक बैठकर पढ़ाई करने से कमर दर्द और आँखों पर दबाव बढ़ता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास मांसपेशियों को लचीला बनाता है, जबकि मार्जरी आसन रीढ़ की हड्डी को आराम देता है। योग की मंत्र और सकारात्मक विज़ुअलाइज़ेशन तकनीकें आत्मविश्वास बढ़ाती हैं।
अभ्यास कैसे शुरू करें ?
प्रतिदिन सुबह 15-20 मिनट सूर्य नमस्कार और प्राणायाम का अभ्यास करें। पढ़ाई के बीच में 5 मिनट का शवासन या उज्जयी श्वास करें। सोने से पहले ऊँ का उच्चारण करते हुए ध्यान लगाएँ। योग कोई जादू नहीं, बल्कि एक साधना है जो विद्यार्थियों को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सक्षम बनाती है। परीक्षा का समय हो या जीवन की कोई भी चुनौती, योग सफलता की नींव रखने का एक स्थायी उपाय है।
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