आयुर्वेद कॉलेजों में योग को स्वतंत्र विषय के रूप में पढ़ाने की तैयारी

अनमोल संदेश, भोपाल
सरकार का ध्यान अब तेजी से बढ़ती गैर संक्रामक बीमारियों जैसे डायबिटीज, कैंसर, ब्लड प्रेशर आदि को रोकने पर है। यही कारण है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में योग को महत्व दिया गया है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआइएसएम) को पत्र लिखकर इसे आयुर्वेद स्नातक के पाठ्यक्रम में अलग विषय के रूप में शामिल करने के लिए कहा है।आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. राकेश पांडेय ने बताया कि एनसीआइएसएम के निर्देश के बाद सभी आयुर्वेद कालेजों में योग विषय के शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। उम्मीद है कि 2024-25 या 2025-26 से इसे अलग विषय के रूप में पढ़ाया जा सकता है। भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डा. उमेश शुक्ला के मुताबिक अभी योग को स्वस्थवृत्त विषय के अंतर्गत पढ़ाया जा रहा है।कालेजों में रोगियों को भी उनकी बीमारी के अनुसार योग क्रियाओं के बारे में बताया जाता है। योग पर शोध भी हो रहे हैं। हालांकि, अलग से विषय नहीं है। प्रदेश में दो और निजी आयुर्वेद कालेज खुलने के आसार - प्रदेश के सरकारी और निजी कालेजों की मान्यता के लिए एनसीआइएसएम की टीमों का निरीक्षण चल रहा है। अगले माह से मान्यता जारी होने लगेगी। प्रदेश में भोपाल और इंदौर में एक-एक निजी आयुर्वेद कालेजों को मान्यता मिलने की उम्मीद है।
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